गुरूजी विद्यालय से घर लौट रहे थे ।
रास्ते में एक नदी पड़ती थी ।
नदी पार करने लगे तो ना जाने क्या सूझा ,
एक पत्थर पर बैठ अपने झोले में से पेन और कागज निकाल अपने वेतन का हिसाब निकालने लगे ।
अ
क्या खूब लिखा है एक गरीब कुम्हार ने,🙏
बना कर दिये मिट्टी के,
जरा सी आस पाली है,
खरीद लो मेहनत मेरी,
मेरे घर भी दिवाली है,🙏
नदी ने कब होना चाहा समंदर,
वो बस बहती रही
अनजाने से गीत को
लिये अपने अंदर.
किनारे के बंधनों में
बंधी सी लेकिन
अपने आप में मुक्त
बहती रही है निरंतर,
उसके बहाव में ही
टूटती रही हैं न जाने
कितनी राह की
अखंड गोद रहे सबकी, अगनॉं में किलकारी गूँजती रहे , मॉं की कोख और बाप का दुलार अमर रहे,
नाती पोतो से घर गुलज़ार रहे, हे अहोई माता सब बच्चों पर कृपा रखना।
हर मुसीबत से बचा दुलारों को,बुरी नज़र से भी दूर रखना, संतान सुख देकर सबको, हमारी पूजा भी अखंड रखना
🙏 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
बोलो अहोई माता की जय
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
👌किसी शायर ने मौत को क्या खूब कहा है;
.
. .. जिंदगी मे २ मिनट कोई मेरे पास ना बैठा.. , आज सब मेरे पास बैठे जा रहे थे.. .
.
. .. कोई तौहफा ना मिला आज तक.. , और आज फूल-ही-फूल दिये जा रहे थे.. .
.
. .. तरस गये थे हम किसी एक हाथ
*"प्राचीन स्वास्थ्य दोहावली"*
पानी में गुड डालिए, बीत जाए जब रात!
सुबह छानकर पीजिए, अच्छे हों हालात!!
धनिया की पत्ती मसल, बूंद नैन में डार!
दुखती अँखियां ठीक हों, पल लागे दो-चार!!
ऊर्जा मिलती है बहुत, पि
पप्पू भाई ने तलाक के लिए कोर्ट में अर्जी दी !
जज :-- तुम्हें तलाक क्यों चाहिए ?
पप्पू:-- मैं बीवी को और सहन नहीं कर सकता जज साहब ! रोज रात को वो निकलती है और एक डांस-बार से दूसरे डांस-बार, दूसरे डांस-बार से तीसरे डांस-बार.....! ऐसे वो सारे डांस-बारों के चक्कर लगाती, आधी रात को घर लौटती है !
.
जज :-- लेकिन आपकी बीवी ऐंसा क्यों करती है ?
पप्पू :-- वो मुझे ढूँढती है, जज साहब !
🤣🤣🤣🤣🤣🤣