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R Kumar

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पति-पत्नी के बीच झगड़े की शुरुआत...😯

पत्नी 😚 : जानते हैं जी, हमारे गांव में पहला 24 घंटे बोलने वाला रेडियो 📻 मेरे पापा लाये थे...

पति 🤐 : अपनी मां के बारे में ऐसा नहीं बोलते पगली..!!

👉👊👊👊👊

एक नगर में एक मशहूर चित्रकार रहता था । चित्रकार ने एक बहुत सुन्दर तस्वीर बनाई और उसे नगर के चौराहे मे लगा दिया और नीचे लिख दिया कि जिस किसी को , जहाँ भी इस में कमी नजर आये वह वहाँ निशान लगा दे । जब

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एक नगर में एक मशहूर चित्रकार रहता था । चित्रकार ने एक बहुत सुन्दर तस्वीर बनाई और उसे नगर के चौराहे मे लगा दिया और नीचे लिख दिया कि जिस किसी को , जहाँ भी इस में कमी नजर आये वह वहाँ निशान लगा दे । जब उसने शाम को तस्वीर देखी उसकी पूरी तस्वीर पर निशानों से ख़राब हो चुकी थी । यह देख वह बहुत दुखी हुआ । उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करे वह दुःखी बैठा हुआ था ।

तभी उसका एक मित्र वहाँ से गुजरा उसने उस के दुःखी होने का कारण पूछा तो उसने उसे पूरी घटना बताई । उसने कहा एक काम करो कल दूसरी तस्वीर बनाना और उस मे लिखना कि जिस किसी को इस तस्वीर मे जहाँ कहीं भी कोई कमी नजर आये उसे सही कर दे । उसने अगले दिन यही किया । शाम को जब उसने अपनी तस्वीर देखी तो उसने देखा की तस्वीर पर किसी ने कुछ नहीं किया । वह संसार की # रीति समझ गया ।

"कमी निकालना , निंदा करना , बुराई करना आसान लेकिन उन कमियों को दूर करना अत्यंत कठिन होता ह This is life........ जब दुनिया यह कह्ती है कि ‘हार मान लो’ तो आशा धीरे से कान में कह्ती है कि.,,,, ‘एक बार फिर प्रयास करो’ और यह ठीक भी है..,,, "जिंदगी आईसक्रीम की तरह है, टेस्ट करो तो भी पिघलती है;.,,, वेस्ट करो तो भी पिघलती है,,,,,, इसलिए जिंदगी को टेस्ट करना सीखो, वेस्ट तो हो ही रही है.,,,, Life is very beautiful !!!

झुकजा श्याम चरण में प्यारे,
          और कहीं ना झुकने देगा..
मन में है विश्वाश जो पक्का,
          काम कभी ना रुकने देगा..

जय श्री श्याम।।।

एक फ्लैट में घंटी बजती है,
😁😁
और महिला जो घर में अकेली है...
दरवाज़ा खोलती है...👸
😀😀
.
भिक्षुक: "माई, भिक्षा दे।"😀😀
महिला:"ले लो, महाराज..."

भिक्षुक:"माई..., ज़रा यह द्वार पार करके बाहर तो आना।"
😛😛😛😛
वह द्वार पार

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एक फ्लैट में घंटी बजती है,
😁😁
और महिला जो घर में अकेली है...
दरवाज़ा खोलती है...👸
😀😀
.
भिक्षुक: "माई, भिक्षा दे।"😀😀
महिला:"ले लो, महाराज..."

भिक्षुक:"माई..., ज़रा यह द्वार पार करके बाहर तो आना।"
😛😛😛😛
वह द्वार पार करके बाहर आती है।
भिक्षुक (उसे पकड़ते हुए ) :
"हा... हा... हा...
मैं भिक्षुक नहीं, रावण हूं !"
😛😛
महिला:
"हा... हा... हा...
मैं कहा सीता हूं,
कामवाली बाई हूँ।"
😛😛😛
पिक्चर अभी बाकी है...

रावण :
"हा..हा..हा..
सीता का अपहरण करके आज तक पछता रहा हूं,
तुम्हें ले जाऊंगा तो मंदोदरी खुश हो जायेगी। उसे भी कामवाली बाई की ही ज़रूरत है..."
😛😛😛
महिला :
"हा...हा... हा...
पगले, सीता को ढूंढने सिर्फ राम आऐ थे ...
मुझे ढुंढने सारी सोसायटी आएगी।"👏👌👌

संजू : पंडित जी , किसी सुंदर लड़की का हाथ पाने के लिए क्या करूं?
पंडित जी: किसी मॉल के बाहर मेहंदी लगाने का काम शुरू कर दे…😂😝

😎😎😎हाथ में टच फ़ोन📱, बस स्टेटस के लिये अच्छा है,
सबके टच में रहो, जींदगी के लिये ज्यादा अच्छा है.😎😎

कितना खूबसूरत चेहरा है तुम्हारा, ये दिल तो बस दीवाना है तुम्हारा,
लोग कहते है चाँद का टुकड़ा तुम्हें, पर मैं कहता हूँ चाँद भी टुकड़ा है तुम्हारा।

 *🕊🌹🕊_____इश्क़ में कोई खोज नहीं होती यह हर किसी से हर रोज नहीं होती____🕊🌹🕊*

*🕊🌹🕊_____अपनी जिंदगी में हमारी मौजूदगी को बेवजह मत समझना क्योंकि पलके कभी आँखों पर बोझ नहीं होती____🕊🌹🕊*

हमारे लिए उनके दिल में कभी चाहत ना थी, किसी ख़ुशी में कभी कोई दावत ना थी
मैंने दिल उनके कदमो में रख दिया, पर उनको ज़मीन पर देखने कि आदत ना थी

तेरी एक हँसी पे ये दिल कुर्बान कर जाऊँ,
ऐतराज ना हो अगर तो तेरा दिल चुरा ले जाऊँ,
ना बहने दुँ कभी इन आँखों से आँसू,
तु कहे तो तेरे सारे सितम सह जाऊँ,
हँसता हुआ रखूँ तेरे लबों को हमेशा,
छू कर जिन्हें वो

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तेरी एक हँसी पे ये दिल कुर्बान कर जाऊँ,
ऐतराज ना हो अगर तो तेरा दिल चुरा ले जाऊँ,
ना बहने दुँ कभी इन आँखों से आँसू,
तु कहे तो तेरे सारे सितम सह जाऊँ,
हँसता हुआ रखूँ तेरे लबों को हमेशा,
छू कर जिन्हें वो प्यारी मुस्कान दे जाऊँ,
दिल से लगा के रखूँ तुम्हें,
मन तो करता है तुम्ही में खो जाऊँ,
सुनता ही रहूँ तुम्हारी धड़कनों को,
और अपने दिल की हर बात कह जाऊँ,
गम को कभी करीब ना आने दूँ,
और तुम्हें जिन्दगी की खुशीयाँ तमाम दे जाऊँ..

क्यों सताते हो मुझे तुम मेरे भी जज़्बात है,
मुझ पे भी नन्हा सा दिल है मेरे भी अहसास है।
छिड़क कर गंगा का पानी दे दो इनको मुक्ति अब,
खत नहीं है ये तो मेरी रूह की आवाज़ है!!

🌹 *एक लघु कथा*🌹

*एक गर्भवती स्त्री ने अपने पति से कहा, "आप क्या आशा करते हैं लड़का होगा या लड़की?"*

*पति-"अगर हमारा लड़का होता है, तो मैं उसे गणित पढाऊगा, हम खेलने जाएंगे, मैं उसे मछली पकड़ना सिखा

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🌹 *एक लघु कथा*🌹

*एक गर्भवती स्त्री ने अपने पति से कहा, "आप क्या आशा करते हैं लड़का होगा या लड़की?"*

*पति-"अगर हमारा लड़का होता है, तो मैं उसे गणित पढाऊगा, हम खेलने जाएंगे, मैं उसे मछली पकड़ना सिखाऊगा।"*

*पत्नी - "अगर लड़की हुई तो...?"*

*पति- "अगर हमारी लड़की होगी तो, मुझे उसे कुछ सिखाने की जरूरत ही नही होगी"*

*"क्योंकि, उन सभी में से एक होगी जो सब कुछ मुझे दोबारा सिखाएगी, कैसे पहनना, कैसे खाना, क्या कहना या नही कहना।"*

*"एक तरह से वो, मेरी दूसरी मां होगी। वो मुझे अपना हीरो समझेगी, चाहे मैं उसके लिए कुछ खास करूँ या ना करूँ।"*

*"जब भी मै उसे किसी चीज़ के लिए मना करूँगा तो मुझे समझेगी। वो हमेशा अपने पति की मुझ से तुलना करेगी।"*

*"यह मायने नही रखता कि वह कितने भी साल की हो पर वो हमेशा चाहेगी की मै उसे अपनी baby doll की तरह प्यार करूँ।"*

*"वो मेरे लिए संसार से लड़ेगी, जब कोई मुझे दुःख देगा वो उसे कभी माफ नहीं करेगी।"*

*पत्नी - "कहने का मतलब है कि, आपकी बेटी जो सब करेगी वो आपका बेटा नहीं कर पाएगा।"*

*पति- "नहीं, नहीं क्या पता मेरा बेटा भी ऐसा ही करेगा, पर वो सिखेगा।"*

*"परंतु बेटी, इन गुणों के साथ पैदा होगी। किसी बेटी का पिता होना हर व्यक्ति के लिए गर्व की बात है।"*

*पत्नी - "पर वो हमेशा हमारे साथ नही रहेगी...?"*

*पति- "हां, पर हम हमेशा उसके दिल में रहेंगे।"*

*"इससे कोई फर्क नही पडेगा चाहे वो कही भी जाए, बेटियाँ परी होती हैं"*

*"जो सदा बिना शर्त के प्यार और देखभाल के लिए जन्म लेती है।"*

बेटियाँ सब के मुकद्दर में, कहाँ होती हैं
जो घर ईश्वर को पसंद हो, वहां होती हैं

कुछ अपने हैं, इसलिये चुप हैं,

कुछ चुप हैं, इसलिये अपने हैं!

संस्कृत की क्लास मे गुरूजी ने पूछा- पप्पू इस श्लोक का अर्थ बताओ...

"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन"

पप्पू- राधिका शायद रस्ते मे फल बेचने का काम कर रही है...

गुरूजी- मूर्ख, ये अर्थ नही होता है. चल इ

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संस्कृत की क्लास मे गुरूजी ने पूछा- पप्पू इस श्लोक का अर्थ बताओ...

"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन"

पप्पू- राधिका शायद रस्ते मे फल बेचने का काम कर रही है...

गुरूजी- मूर्ख, ये अर्थ नही होता है. चल इसका अर्थ बता:-

"बहुनि मे व्यतीतानि, जन्मानि तव चार्जुन."

पप्पू- मेरी बहू के कई बच्चे पैदा हो चुके हैं, सभी का जन्म चार जून को हुआ है.😬😬😬😬

गुरूजी- अरे गधे, संस्कृत पढता है कि घास चरता है. अब इसका अर्थ बता-

"दक्षिणे लक्ष्मणोयस्य वामे तू जनकात्मजा."

पप्पू- दक्षिण मे खडे होकर लक्ष्मण बोला जनक आजकल तो तू बहुत मजे मे है...

गुरूजी- अरे पागल, तुझे १ भी श्लोक का अर्थ नही मालूम है क्या ?

पप्पू- मालूम है ना...

गूरूजी- तो आखरी बार पूछता हूँ इस श्लोक का सही सही अर्थ बताना-

हे पार्थ त्वया चापि मम चापि... का क्या अर्थ है जल्दी से बता...

पप्पू- महाभारत के युद्ध मे श्रीकृष्ण भगवान अर्जुन से कह रहे हैं कि...

गुरूजी उत्साहित होकर बीच मे ही कहते हैं- हाँ, शाबास, बता क्या कहा श्रीकृष्ण ने अर्जुन से..?

पप्पू: भगवान बोले- अर्जुन तू भी चाय पी ले, मैं भी चाय पी लेता हूँ. फिर युद्ध करेंगे...

गुरूजी बेहोश...
😀😀😀😀

उम्र भर उठाया बोझ उस कील ने
और लोग तारीफ़ तस्वीर की करते रहे

पत्नी जी को किसी पार्टी में जाना था तो उन्होंने अपने पति से पूछा, "सुनो जी मैं कौन सी साड़ी पहनूं ? नीली वाली , पीली वाली या लाल वाली ?
पति : नीली वाली पहन लो ।
पत्नी : लेकिन नीली वाली तो मैंने परसों भी प

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पत्नी जी को किसी पार्टी में जाना था तो उन्होंने अपने पति से पूछा, "सुनो जी मैं कौन सी साड़ी पहनूं ? नीली वाली , पीली वाली या लाल वाली ?
पति : नीली वाली पहन लो ।
पत्नी : लेकिन नीली वाली तो मैंने परसों भी पहनी थी और पीली वाली कल ?
पति : अच्छा तो फिर लाल ही पहन लो।
पत्नी : अच्छा सैंडल कौन से अच्छे लगेंगे, फूल वाले या प्लेन ?
पति : प्लेन वाले !
पत्नी : अरे , मैं पार्टी में जा रही हूं, किसी कथा में नहीं ।
पति : ताे ठीक है बाबा , फूल वाले पहन लो।
पत्नी : अच्छा बिंदी कौन सी अच्छी लगेगी ? ओवल या बड़ी या छोटी ?
पति : ओवल ठीक रहेगी।
पत्नी : तुम्हें फैशन का जरा भी आइडिया नहीं है। अरे इस साड़ी पर छोटी बिंदी ही अच्छी लगेगी।
पति : तो ठीक है, मेरी माँ , छोटी ही लगा लो।
पत्नी : अच्छा, पर्स कौन सा जमेगा ? क्लच या बड़ा हैंडबैग।
पति : क्लच ले लो ।
पत्नी : अरे यार, अाजकल तो बड़े हैंडबैग का फैशन है।
पति : अरे बाबा तो वही ले जाओ। मुझे क्या करना है। बस पार्टी को एंजॉय करना।
पत्नी जी जब पार्टी से लौटकर आई तो बड़े गुस्से में थी।
पति : अरे क्या हुआ ? मुंह क्यूँ फूला है ?
पत्नी : तुम एक भी काम ढंग से नहीं कर सकते क्या ? फेसबुक पर ही टचे रहते हो ?
पति : क्यों , मैंने क्या गलत कर दिया ?
पत्नी : पार्टी में सब मेरा मजाक उड़ा रहे थे कि कैसी साड़ी पहनकर आ गई, कैसी बिंदी लगाई है, पर्स और सैंडल पर भी कमेंट पास कर रहे थे । एक भी लाइक नहीं कर रहा था !
पति : तो इसमें मेरी क्या गलती है ?
पत्नी : सब मैंने तुमसे ही पूछ कर किया था न ? ढंग से नहीं बता सकते थे क्या ? इससे तो अच्छा था कि मैं खुद ही डिसाइड कर लेती।

पत्नी (मायके से) : मेरे दोनों पैर फ्रैक्चर हो गए हैं जी, तुम जल्दी से आ जाओ..

पति : ओह, कब और कैसे..?

पत्नी : कल शाम छत से उतरते समय गिर गई थी।

पति : पर तुम तो पापा की परी थी न उड़ जाती..

मोहल्ले की एक औरत पड़ोस में दही लेने गई ..
सास बाजार गई थी, बहु ने कहा - दही नहीं है, कल हमने कढ़ी बना ली |
औरत वापस जा रही थी .. रास्ते में सास मिल गई,
औरत ने सास को बताया, तुम्हारे घर दही लेने गई थी, तुम्हार

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मोहल्ले की एक औरत पड़ोस में दही लेने गई ..
सास बाजार गई थी, बहु ने कहा - दही नहीं है, कल हमने कढ़ी बना ली |
औरत वापस जा रही थी .. रास्ते में सास मिल गई,
औरत ने सास को बताया, तुम्हारे घर दही लेने गई थी, तुम्हारी बहू ने कहा - दही नहीं है, कल हमने कढ़ी बना ली |
सास बोली ' मेरे साथ चल '
घर आकर सास उस औरत से बोली - दही नहीं है, कल हमने कढ़ी बना ली |
वो औरत बोली, ये बात तो तुम्हारी बहु ने ही कही थी, फिर मुझे वापस क्यों लाईं ?
सास बोली : *बहु कौन होती है! मना करने वाली, मना करना है तो मैं करुंगी

*किस से कैसे बात करनी चाहिए*

माँ से = बिना भेद ...खुलकर बात करनी चाहिए
बाप से = आदर के साथ ...
भाई से = दिल खोल के...
बहन से = प्यार से ...
बच्चों से = दुलार से..
अफसर से = नम्रता से ...
समधी से = सन्मान देकर...
दोस्तों से =

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*किस से कैसे बात करनी चाहिए*

माँ से = बिना भेद ...खुलकर बात करनी चाहिए
बाप से = आदर के साथ ...
भाई से = दिल खोल के...
बहन से = प्यार से ...
बच्चों से = दुलार से..
अफसर से = नम्रता से ...
समधी से = सन्मान देकर...
दोस्तों से = हंसी मजाक से ...
भगवान से = आँख भर के...
गुरूजी से = नजर नीची कर के...
दुकान वाले से = कड़क रहकर..
ग्राहक से = ईमानदारी से...

और

*घरवाली से ....अं हं हं हं ह ह.....*

यहाँ पर आते ही पूरा ध्यान रखे .....
इनके आगे चुप ही रहना चाहिए ....
नत-मस्तक होकर इनकी पूरी बात सुन लेनी चाहिए ...
इनके आगे बोलना घातक सिद्ध हो सकता है

😛😛😛😛😛😛😛😀😀😀😀😉😉😉

पति रोज रात को शक्कर का डिब्बा खोलकर देखता... 😮
और सो जाता..! 😴
.
पत्नी से रहा नही गया और उसने पति से पूछ ही लिया :
.
''क्यूं जी ये रोज रोज आप शक्कर का डिब्बा खोलकर क्या देखते हो...?” 😕

पति:- अरे, डाॅक्टर ने कहा है..घर पर रोज रात को
शुगर चेक कर लिया करो..! 😆

पत्नी बेहोश..!
😂😂😂😂

So Funny...😂😨😂
कुछ हिंदी फ़िल्मी गीत जो कुछ बीमारियों का वर्णन करते हैं:🤔🤔

गीत – जिया जले, जान जले, रात भर धुआं चले
बीमारी – बुखार🤒

गीत – तड़प-तड़प के इस दिल से आह निकलती रही
बीमारी – हार्ट अटैक💘

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So Funny...😂😨😂
कुछ हिंदी फ़िल्मी गीत जो कुछ बीमारियों का वर्णन करते हैं:🤔🤔

गीत – जिया जले, जान जले, रात भर धुआं चले
बीमारी – बुखार🤒

गीत – तड़प-तड़प के इस दिल से आह निकलती रही
बीमारी – हार्ट अटैक💘💔

गीत – सुहानी रात ढल चुकी है, न जाने तुम कब आओगे
बीमारी – कब्ज़😰

गीत – बीड़ी जलाई ले जिगर से पिया, जिगर म बड़ी आग है
बीमारी – एसिडिटी😡

गीत – तुझमे रब दिखता है, यारा मैं क्या करूँ
बीमारी – मोतियाबिंद😎

गीत – तुझे याद न मेरी आई किसी से अब क्या कहना
बीमारी – यादाश्त कमज़ोर🤔

गीत – मन डोले मेरा तन डोले
बीमारी – चक्कर आना😇

गीत – टिप-टिप बरसा पानी, पानी ने आग लगाई
बीमारी – यूरिन इन्फेक्शन😅🤒

गीत – जिया धड़क-धड़क जाये
बीमारी – उच्च रक्तचाप😜

गीत – हाय रे हाय नींद नहीं आये
बीमारी – अनिद्रा😖

गीत – बताना भी नहीं आता, छुपाना भी नहीं आता
बीमारी – बवासीर💩

और अंत में

गीत – लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है
बीमारी – दस्त🙀

😀😀😀

तेरे हाथ की काश मैं वो लकीर बन जाऊं,
काश मैं तेरा मुक़द्दर तेरी तक़दीर बन जाऊं..
मैं तुम्हें इतना चाहूँ कि तुम भूल जाओ हर रिश्ता,
सिर्फ मैं ही तुम्हारे हर रिश्ते की तस्वीर बन जाऊं..
तुम आँखें बंद करो तो आऊं मैं ही नज़र,
इस तरह मैं तुम्हारे हर ख्वाब की ताबीर बन जाऊ

एक   हसीन   लडकी राजा  के  दरबार   में डांस   कर  रही   थी...

( राजा   बहुत   बदसुरत   था )

 लडकी   ने   राजा   से   एक  सवाल   की  इजाजत  मांगी

राजा   ने

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एक   हसीन   लडकी राजा  के  दरबार   में डांस   कर  रही   थी...

( राजा   बहुत   बदसुरत   था )

 लडकी   ने   राजा   से   एक  सवाल   की  इजाजत  मांगी

राजा   ने  कहा ,   " चलो  पुछो ."

लडकी   ने   कहा ,  "जब    हुस्न   बंट   रहा   था   तब   आप   कहां  थे..??

राजा   ने   गुस्सा   नही  किया  बल्कि मुस्कुराते   हुवे   कहा
 
जब   तुम   हुस्न   की   लाइन्   में   खडी   हुस्न    ले   रही   थी , ~

तो   में  किस्मत  की   लाइन  में  खडा  किस्मत  ले  रहा  था

और   आज   तुझ  जैसीे   हुस्न   वालीयां   मेरी  गुलाम   की   तरह  नाच   रही   है...........

इसलीय  शायर  खुब  कहते  है,

हुस्न   ना   मांग  नसीब   मांग   ए   दोस्त ,
हुस्न   वाले   तो अक्सर   नसीब   वालों  के  गुलाम   हुआ   करते   है...

जो   भाग्य   में   है ,  वह   भाग   कर  आएगा,
जो   नहीं   है ,  वह   आकर   भी  भाग   जाएगा....!!!!!

🌷🕉🌷  कागज 🌷🕉🌷

राधिका और नवीन को आज तलाक के कागज मिल गए थे। दोनो साथ ही कोर्ट से बाहर निकले। दोनो के परिजन साथ थे और उनके चेहरे पर विजय और सुकून के निशान साफ झलक रहे थे। चार साल की लंबी लड़ाई के ब

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🌷🕉🌷  कागज 🌷🕉🌷

राधिका और नवीन को आज तलाक के कागज मिल गए थे। दोनो साथ ही कोर्ट से बाहर निकले। दोनो के परिजन साथ थे और उनके चेहरे पर विजय और सुकून के निशान साफ झलक रहे थे। चार साल की लंबी लड़ाई के बाद आज फैसला हो गया था।
दस साल हो गए थे शादी को मग़र साथ मे छः साल ही रह पाए थे। चार साल तो तलाक की कार्यवाही में लग गए। राधिका के हाथ मे दहेज के समान की लिस्ट थी जो अभी नवीन के घर से लेना था और नवीन के हाथ मे गहनों की लिस्ट थी जो राधिका से लेने थे।

साथ मे कोर्ट का यह आदेश भी था कि नवीन  दस लाख रुपये की राशि एकमुश्त राधिका को चुकाएगा। राधिका और नवीन दोनो एक ही टेम्पो में बैठकर नवीन के घर पहुंचे।  दहेज में दिए समान की निशानदेही राधिका को करनी थी। इसलिए चार वर्ष बाद ससुराल जा रही थी। आखरी बार बस उसके बाद कभी नही आना था उधर।
सभी परिजन अपने अपने घर जा चुके थे। बस तीन प्राणी बचे थे।नवीन, राधिका और राधिका की माता जी।

नवीन घर मे अकेला ही रहता था।  मां-बाप और भाई आज भी गांव में ही रहते हैं। राधिका और नवीन का इकलौता बेटा जो अभी सात वर्ष का है कोर्ट के फैसले के अनुसार बालिग होने तक वह राधिका के पास ही रहेगा। नवीन महीने में एक बार उससे मिल सकता है।

घर मे परिवेश करते ही पुरानी यादें ताज़ी हो गई। कितनी मेहनत से सजाया था इसको राधिका ने। एक एक चीज में उसकी जान बसी थी। सब कुछ उसकी आँखों के सामने बना था।एक एक ईंट से  धीरे धीरे बनते घरोंदे को पूरा होते देखा था उसने। सपनो का घर था उसका। कितनी शिद्दत से नवीन ने उसके सपने को पूरा किया था। नवीन थकाहारा सा सोफे पर पसर गया। बोला "ले लो जो कुछ भी चाहिए मैं तुझे नही रोकूंगा" राधिका ने अब गौर से नवीन को देखा। चार साल में कितना बदल गया है। बालों में सफेदी झांकने लगी है। शरीर पहले से आधा रह गया है। चार साल में चेहरे की रौनक गायब हो गई।

वह स्टोर रूम की तरफ बढ़ी जहाँ उसके दहेज का अधिकतर  समान पड़ा था। सामान ओल्ड फैशन का था इसलिए कबाड़ की तरह स्टोर रूम में डाल दिया था। मिला भी कितना था उसको दहेज। प्रेम विवाह था दोनो का। घर वाले तो मजबूरी में साथ हुए थे।
प्रेम विवाह था तभी तो नजर लग गई किसी की। क्योंकि प्रेमी जोड़ी को हर कोई टूटता हुआ देखना चाहता है।
बस एक बार पीकर बहक गया था नवीन। हाथ उठा बैठा था उसपर। बस वो गुस्से में मायके चली गई थी।
फिर चला था लगाने सिखाने का दौर । इधर नवीन के भाई भाभी और उधर राधिका की माँ। नोबत कोर्ट तक जा पहुंची और तलाक हो गया।

न राधिका लौटी और न नवीन लाने गया।

राधिका की माँ बोली" कहाँ है तेरा सामान? इधर तो नही दिखता। बेच दिया होगा इस शराबी ने ?"  "चुप रहो माँ"
राधिका को न जाने क्यों नवीन को उसके मुँह पर शराबी कहना अच्छा नही लगा।

फिर स्टोर रूम में पड़े सामान को एक एक कर लिस्ट में मिलाया गया।  बाकी कमरों से भी लिस्ट का सामान उठा लिया गया। राधिका ने सिर्फ अपना सामान लिया नवीन के समान को छुवा भी नही।  फिर राधिका ने नवीन को गहनों से भरा बैग पकड़ा दिया।  नवीन ने बैग वापस राधिका को दे दिया " रखलो, मुझे नही चाहिए काम आएगें तेरे मुसीबत में ।" गहनों की किम्मत 15 लाख से कम नही थी।  "क्यूँ, कोर्ट में तो तुम्हरा वकील कितनी दफा गहने-गहने चिल्ला रहा था"

"कोर्ट की बात कोर्ट में खत्म हो गई, राधिका। वहाँ तो मुझे भी दुनिया का सबसे बुरा जानवर और शराबी साबित किया गया है।" सुनकर राधिका की माँ ने नाक भों चढ़ाई।

"नही चाहिए। वो दस लाख भी नही चाहिए" "क्यूँ?" कहकर नवीन सोफे से खड़ा हो गया। "बस यूँ ही" राधिका ने मुँह फेर लिया। "इतनी बड़ी जिंदगी पड़ी है कैसे काटोगी? ले जाओ,,, काम आएगें।" इतना कह कर नवीन ने भी मुंह फेर लिया और दूसरे कमरे में चला गया। शायद आंखों में कुछ उमड़ा होगा जिसे छुपाना भी जरूरी था।

राधिका की माता जी गाड़ी वाले को फोन करने में व्यस्त थी। राधिका को मौका मिल गया। वो नवीन के पीछे उस कमरे में चली गई। वो रो रहा था। अजीब सा मुँह बना कर।  जैसे भीतर के सैलाब को दबाने दबाने की जद्दोजहद कर रहा हो। राधिका ने उसे कभी रोते हुए नही देखा था। आज पहली बार देखा न जाने क्यों दिल को कुछ सुकून सा मिला।

मग़र ज्यादा भावुक नही हुई। सधे अंदाज में बोली "इतनी फिक्र थी तो क्यों दिया तलाक?"

"मैंने नही तलाक तुमने दिया"  "दस्तखत तो तुमने भी किए" "माफी नही माँग सकते थे?" "मौका कब दिया तुम्हारे घर वालों ने। जब भी फोन किया काट दिया।" "घर भी आ सकते थे"?

"हिम्मत नही थी?"  राधिका की माँ आ गई। वो उसका हाथ पकड़ कर बाहर ले गई। "अब क्यों मुँह लग रही है इसके? अब तो रिश्ता भी खत्म हो गया"

मां-बेटी बाहर बरामदे में सोफे पर बैठकर गाड़ी का इंतजार करने लगी।  राधिका के भीतर भी कुछ टूट रहा था। दिल बैठा जा रहा था। वो सुन्न सी पड़ती जा रही थी। जिस सोफे पर बैठी थी उसे गौर से देखने लगी। कैसे कैसे बचत कर के उसने और नवीन ने वो सोफा खरीदा था। पूरे शहर में घूमी तब यह पसन्द आया था।" फिर उसकी नजर सामने तुलसी के सूखे पौधे पर गई। कितनी शिद्दत से देखभाल किया करती थी। उसके साथ तुलसी भी घर छोड़ गई।

घबराहट और बढ़ी तो वह फिर से उठ कर भीतर चली गई। माँ ने पीछे से पुकारा मग़र उसने अनसुना कर दिया। नवीन बेड पर उल्टे मुंह पड़ा था। एक बार तो उसे दया आई उस पर। मग़र  वह जानती थी कि अब तो सब कुछ खत्म हो चुका है इसलिए उसे भावुक नही होना है।

उसने सरसरी नजर से कमरे को देखा। अस्त व्यस्त हो गया है पूरा कमरा। कहीं कंही तो मकड़ी के जाले झूल रहे हैं। कितनी नफरत थी उसे मकड़ी के जालों से? फिर उसकी नजर चारों और लगी उन फोटो पर गई जिनमे वो नवीन से लिपट कर मुस्करा रही थी। कितने सुनहरे दिन थे वो।

इतने में माँ फिर आ गई। हाथ पकड़ कर फिर उसे बाहर ले गई।

बाहर गाड़ी आ गई थी। सामान गाड़ी में डाला जा रहा था। राधिका सुन सी बैठी थी। नवीन गाड़ी की आवाज सुनकर बाहर आ गया।

अचानक नवीन कान पकड़ कर घुटनो के बल बैठ गया।
बोला--" मत जाओ,,, माफ कर दो" शायद यही वो शब्द थे जिन्हें सुनने के लिए चार साल से तड़प रही थी। सब्र के सारे बांध एक साथ टूट गए। राधिका ने कोर्ट के फैसले का कागज निकाला और फाड़ दिया ।

और मां कुछ कहती उससे पहले ही लिपट गई नवीन से। साथ मे दोनो बुरी तरह रोते जा रहे थे।

दूर खड़ी राधिका की माँ समझ गई कि कोर्ट का आदेश दिलों के सामने कागज से ज्यादा कुछ नही।

एक महिला रोज मंदिर जाती थी ! एक दिन उस महिला ने पुजारी से कहा अब मैं मंदिर नही आया करूँगी !

इस पर पुजारी ने पूछा -- क्यों ?

तब महिला बोली -- मैं देखती हूँ लोग मंदिर परिसर में अपने फोन से अपने व्यापार की

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एक महिला रोज मंदिर जाती थी ! एक दिन उस महिला ने पुजारी से कहा अब मैं मंदिर नही आया करूँगी !

इस पर पुजारी ने पूछा -- क्यों ?

तब महिला बोली -- मैं देखती हूँ लोग मंदिर परिसर में अपने फोन से अपने व्यापार की बात करते हैं ! कुछ ने तो मंदिर को ही गपशप करने का स्थान चुन रखा है ! कुछ पूजा कम पाखंड,दिखावा ज्यादा करते हैं !

इस पर पुजारी कुछ देर तक चुप रहे फिर कहा -- सही है ! परंतु अपना अंतिम निर्णय लेने से पहले क्या आप मेरे कहने से कुछ कर सकती हैं !

महिला बोली -आप बताइए क्या करना है ?

पुजारी ने कहा -- एक गिलास पानी भर लीजिए और 2 बार मंदिर परिसर के अंदर परिक्रमा लगाइए । शर्त ये है कि गिलास का पानी गिरना नहीं चाहिये !

महिला बोली -- मैं ऐसा कर सकती हूँ !

फिर थोड़ी ही देर में उस महिला ने ऐसा ही कर दिखाया ! उसके बाद मंदिर के पुजारी ने महिला से 3 सवाल पूछे -

1.क्या आपने किसी को फोन पर बात करते देखा?

2.क्या आपने किसी को मंदिर में गपशप करते देखा?

3.क्या किसी को पाखंड करते देखा?

महिला बोली -- नहीं मैंने कुछ भी नहीं देखा !

फिर पुजारी बोले --- जब आप परिक्रमा लगा रही थीं तो आपका पूरा ध्यान गिलास पर था कि इसमें से पानी न गिर जाए इसलिए आपको कुछ दिखाई नहीं दिया|

 अब जब भी आप मंदिर आयें तो अपना ध्यान सिर्फ़ परम पिता परमात्मा में ही लगाना फिर आपको कुछ दिखाई नहीं देगा| सिर्फ भगवान ही सर्वत्र दिखाई देगें|

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