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R Kumar

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मौसम विभाग की चेतावनी है कि अगले दो-तीन दिन में तेज हवाओं के साथ चक्रवाती तूफान आ सकता है..

अतः सुरक्षित रहें और यथासंभव बाहर ना निकलें..

बहुत ज़्यादा हो तो अपनी पत्नी को घर के बाहर खड़ा कर दे  क्योंकि तूफान से तूफान ही लड़ सकता है

आता हूँ "श्याम"... दर पर तेरे
 
      अपना सर झुकाने को...।
 
        सौ जन्म भी कम है...
 
     एहसान तेरा चुकाने को ।।
 
 🙏🏻🙏🏻जय श्री श्याम जी 🙏🏻🙏🏻

जिंदगी गुज़र गई है इमतिहानों के दौर से
एक जखम भरता नही ओर दूसरा आने की जिद़ करता हे....

देख कर मेरी आँखें, एक फकीर कहने लगा;
पलकें तुम्हारी नाज़ुक है खवाबों का वज़न कम कीजिये!

हसीना से मिलें नजरें अट्रैक्शन हो भी सकता है,
चढ़े फीवर मोहब्बत का तो एक्शन हो भी सकता है,
हसीनों को मुसीबत तुम समझ कर दूर ही रहना,
ये अंग्रेजी दवाएं हैं रिएक्शन हो भी सकता है।

नई टीचर

लड़कियों के स्कूल में आने वाली नई टीचर बेहद खूबसूरत और शैक्षणिक तौर पर भी मजबूत थी लेकिन उसने अभी तक शादी नहीं की थी...

सब लड़कियां उसके इर्द-गिर्द जमा हो गईं और मज़ाक करने लगी कि मैडम आपन

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नई टीचर

लड़कियों के स्कूल में आने वाली नई टीचर बेहद खूबसूरत और शैक्षणिक तौर पर भी मजबूत थी लेकिन उसने अभी तक शादी नहीं की थी...

सब लड़कियां उसके इर्द-गिर्द जमा हो गईं और मज़ाक करने लगी कि मैडम आपने अभी तक शादी क्यों नहीं की...?

मैडम ने दास्तान कुछ यूं शुरू की- एक महिला की पांच बेटियां थीं, पति ने उसको धमकी दी कि अगर इस बार भी बेटी हुई तो उस बेटी को बाहर किसी सड़क या चौक पर फेंक आऊंगा, ईश्वर की मर्जी वो ही जाने कि छटी बार भी बेटी ही पैदा हुई और पति ने बेटी को उठाया और रात के अंधेरे में शहर के बीचों-बीच चौक पर रख आया, मां पूरी रात उस नन्हीं सी जान के लिए दुआ करती रही और बेटी को ईश्वर के सुपुर्द कर दिया।

दूसरे दिन सुबह पिता जब चौक से गुजरा तो देखा कि कोई बच्ची को नहीं ले गया है, बाप बेटी को वापस घर लाया लेकिन दूसरी रात फिर बेटी को चौक पर रख आया लेकिन रोज़​ यही होता रहा, हर बार पिता बाहर रख आता और जब कोई लेकर नहीं जाता तो मजबूरन वापस उठा लाता, यहां तक कि उसका पिता थक गया और ईश्वर की मर्जी पर राज़ी हो गया।

फिर ईश्वर ने कुछ ऐसा किया कि एक साल बाद मां फिर पेट से हो गई और इस बार उनको बेटा हुआ, लेकिन कुछ ही दिन बाद बेटियों में से एक की मौत हो गई, यहां तक कि माँ पांच बार पेट से हुई और पांच बेटे हुए लेकिन हर बार उसकी बेटियों में से एक इस दुनियां से चली जाती ।
सिर्फ एक ही बेटी ज़िंदा बची और वो वही बेटी थी जिससे बाप जान छुड़ाना चाह रहा था, मां भी इस दुनियां से चली गई इधर पांच बेटे और एक बेटी सब बड़े हो गए।

टीचर ने कहा- पता है वो बेटी जो ज़िंदा रही कौन है ? "वो मैं हूं" और मैंने अभी तक शादी इसलिए नहीं की, कि मेरे पिता इतने बूढ़े हो गए हैं कि अपने हाथ से खाना भी नहीं खा सकते और कोई दूसरा नहीं जो उनकी सेवा करें। बस मैं ही उनकी खिदमत किया करती हूं और वो पांच बेटे कभी-कभी आकर पिता का हालचाल पूछ जाते हैं ।

पिता हमेशा शर्मिंदगी के साथ रो-रो कर मुझ से कहा करते हैं, मेरी प्यारी बेटी जो कुछ मैंने बचपन में तेरे साथ किया उसके लिए मुझे माफ करना।

😂😂😂😂😂😂😊
अकबर : मुझे इस राज्य से 5 मूर्ख ढूंढ कर दिखाओ.!!

बीरबल ने खोज शुरू की.

एक महीने बाद वापस आये सिर्फ 2 लोगों के साथ।

अकबर ने कहा मैने 5 मूर्ख लाने के लिये कहा था !!

बीरबल ने कहां हुजुर लाया हूँ। प

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😂😂😂😂😂😂😊
अकबर : मुझे इस राज्य से 5 मूर्ख ढूंढ कर दिखाओ.!!

बीरबल ने खोज शुरू की.

एक महीने बाद वापस आये सिर्फ 2 लोगों के साथ।

अकबर ने कहा मैने 5 मूर्ख लाने के लिये कहा था !!

बीरबल ने कहां हुजुर लाया हूँ। पेश करने का मौका दिया जाय..

आदेश मिल गया।😂

बीरबल ने कहा- हुजुर यह पहला मूर्ख है। मैने इसे बैलगाडी पर बैठ कर भी बैग सर पर ढोते हुए देखा और पूछने पर जवाब मिला के कहीं बैल के उपर ज्यादा लोड
ना हो जाए इसलिये बैग सिर पर ढो रहा हुँ!!
इस हिसाब से यह पहला मूर्ख है!!😂

दूसरा मूर्ख यह आदमी है जो आप के सामने खडा है. मैने देखा इसके घर के ऊपर छत पर घास निकली थी. अपनी भैंस को छत पर ले जाकर घास खिला रहा था. मैने देखा और पूछा तो जवाब मिला कि घास छत पर जम जाती है तो भैंस को ऊपर ले जाकर घास खिला देता हूँ. हुजुर
जो आदमी अपने घर की छत पर जमी घास को काटकर फेंक नहीं सकता और भैंस को उस छत पर ले जाकर घास खिलाता है,  तो उससे बडा मूर्ख और कौन हो सकता है!!!

तीसरा मूर्ख: बीरबल ने आगे कहा. जहाँपनाह अपने राज्य मे इतना काम है. पूरी नीति मुझे सम्हालना है. फिर भी मै मूर्खों को ढूढने में एक महीना बर्बाद कर रहा हूॅ इसलिये तीसरा मूर्ख मै
ही हूँ.

चौथा मूर्ख.. जहाँपनाह. पूरे राज्य की जिम्मेदारी आप के ऊपर है.
दिमाग वालों से ही सारा काम होने वाला है. मूर्खों से कुछ होने वाला नहीं है. फिर भी आप मूर्खों को ढूढ रहे हैं. इस लिये चौथा मूर्ख जहाँपनाह आप हुए।

पांचवा मूर्ख...जहाँ पनाह मै बताना चाहता हूँ कि  दुनिया भर के काम धाम को छोड़कर. घर परिवार को छोड़कर. पढाई लिखाई पर ध्यान ना देकर, फेसबुक पर पूरा ध्यान लगा कर और पाँचवें मूर्ख को जानने के लिए अब भी पोस्ट पढ़ रहा है वही पाँचवा मूर्ख है

🙈🙉🙊🙊💩😂😂😂😂😂😂😜

व्यापारीयों की ज़िंदगी उस मुकाम पर हैं,
कि अगर पहाड़ों की हसीन वादियों में भी जाकर जोर से पुकारे .....

धंधा

तो वापस सुनाई देगा
मंदा .मंदा .मंदा
🤣🤣

ना हमदर्द, ना हमसफर ना हमराह है साथ

कोई ......फिर भी चलते जाना है ........

ख़ुश हूँ मैं इस तन्हा सफर......का साथ मुझे अकेले ही  निभाना है

टीचर–तुम दो दिन स्कूल क्यों नहीं आये?

छेदन–मैडम मेरी एक ही चड्ढी है उसे मम्मी ने धो दिया

इसीलिए मैं परसों नहीं आया

टीचर–और कल क्यों नहीं आये थे?

छेदन–कल मैं स्कूल जाने के लिए निकला था

रास्ते में आपके घर के बाहर देखा आपकी चड्ढी सुख रही

थी तो मैंने सोचा आज आप स्कूल नहीं गयी

और इसलिए मैं वापस घर आ गया।
😂😁😀😜😝😋😎😍😂😁😀😁😂

😂😂😂😂 और श्रीमती जी नाराज़ हो गईं  😂😂😂😂

श्रीमती जी ने पूछा: "इस बार एनिवर्सरी पर क्या गिफ्ट दे रहे हो?"
मैंने पूछा: " क्या एनिवर्सरी इसी महीने है?"

और श्रीमती जी नाराज़ हो गईं
🙄🙄🙄🙄🙄

श्रीमती जी ने कह

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😂😂😂😂 और श्रीमती जी नाराज़ हो गईं  😂😂😂😂

श्रीमती जी ने पूछा: "इस बार एनिवर्सरी पर क्या गिफ्ट दे रहे हो?"
मैंने पूछा: " क्या एनिवर्सरी इसी महीने है?"

और श्रीमती जी नाराज़ हो गईं
🙄🙄🙄🙄🙄

श्रीमती जी ने कहा: "क्यों न आज बाहर खाना खाएं?"
🍸🍹🍴🍽🍪🍮🍿
और मैंने खाने की टेबल बाहर बरामदे में लगा दी।

और श्रीमती जी नाराज़ हो गईं
😡😡😡


श्रीमती जी ने कहा: "क्या इस साल मैं उम्मीद रखूं कि गर्मी की छुट्टियों में हम कहीं  चलेंगे?"
मैंने कहा: "उम्मीद रखो। उम्मीद तो कभी छोड़नी नहीं चाहिए!"

और श्रीमती जी नाराज़ हो गईं
😡😡😡

मैंने किताब में पढ़ा था पत्नी के खाने की तारीफ करो।
सो मैंने कहा: "तुमने आज बहुत बढ़िया सब्ज़ी बनाई है। आज कुछ अलग ही स्वाद है!"

और श्रीमती जी नाराज़ हो गईं (बिटिया ने बताया कि सब्ज़ी पड़ोस वाली आंटी दे गई थी।
😡😡😡

अरे तू इतना मोटा कैसे हो गया 😳😄

पप्पु- हमारे घर में फ्रिज नहीं है ना 😔

दोस्त- तो ? 😳😄

पप्पु – कुछ बचा नहीं सकते,  सब खाना पड़ता है.😝😜🤣

वादा है ये हमारे प्यार की दास्तान खास रहेगी
आप कहीं भी हो आपकी सूरत हमेशा दिल के पास रहेगी
नहीं भूलेंगे हम आपको और आपके हसीन अंदाज़ को
जब तक हमारे दिल में धड़कन और सांसो में जान रहेगी

"बुद्धिमान कौन "

एक गाँव में एक बनिया रहता था, उसकी ख्याति दूर दूर तक फैली थी।

एक बार वहाँ के राजा ने उसे चर्चा पर बुलाया। काफी देर चर्चा के बाद उसने कहा –

“महाशय, आप बहुत बड़े सेठ है, इतना बड़ा का

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"बुद्धिमान कौन "

एक गाँव में एक बनिया रहता था, उसकी ख्याति दूर दूर तक फैली थी।

एक बार वहाँ के राजा ने उसे चर्चा पर बुलाया। काफी देर चर्चा के बाद उसने कहा –

“महाशय, आप बहुत बड़े सेठ है, इतना बड़ा कारोबार है पर आपका लडका इतना मूर्ख क्यों है ? उसे भी कुछ सिखायें।

उसे तो सोने चांदी में मूल्यवान क्या है यह भी नही पता॥” यह कहकर वह जोर से हंस पडा..
बनिए को बुरा लगा, वह घर गया व लडके से पूछा “सोना व चांदी में अधिक मूल्यवान क्या है ?”

“सोना”, बिना एकपल भी गंवाए उसके लडके ने कहा।

“तुम्हारा उत्तर तो ठीक है, फिर राजा ने ऐसा क्यूं कहा-? सभी के बीच मेरी खिल्ली भी उठाई।”

लडके के समझ मे आ गया, वह बोला “राजा गाँव के पास एक खुला दरबार लगाते हैं,

जिसमें सभी प्रतिष्ठित व्यक्ति भी शामिल होते हैं। यह दरबार मेरे स्कूल जाने के मार्ग मे ही पडता है।

मुझे देखते हि बुलवा लेते हैं, अपने एक हाथ मे सोने का व दूसरे मे चांदी का सिक्का रखकर, जो अधिक मूल्यवान है वह ले लेने को कहते हैं...

ओर मैं चांदी का सिक्का ले लेता हूं। सभी ठहाका लगाकर हंसते हैं व मजा लेते हैं। ऐसा तकरीबन हर दूसरे दिन होता है।”

“फिर तुम सोने का सिक्का क्यों नही उठाते, चार लोगों के बीच अपनी फजिहत कराते हो व साथ मे मेरी भी।”

लडका हंसा व हाथ पकडकर पिता को अंदर ले गया ऒर कपाट से एक पेटी निकालकर दिखाई जो चांदी के सिक्कों से भरी हुई थी।

यह देख बनिया हतप्रभ रह गया।

लडका बोला “जिस दिन मैंने सोने का सिक्का उठा लिया उस दिन से यह खेल बंद हो जाएगा।

वो मुझे मूर्ख समझकर मजा लेते हैं तो लेने दें, यदि मैं बुद्धिमानी दिखाउंगा तो कुछ नही मिलेगा।”

बनिए का बेटा हु अक़्ल से काम लेता हूँ

गाँव के स्कूल में पढने वाली छुटकी आज बहुत खुश थी, उसका दाखिला शहर के एक अच्छे  स्कूल में क्लास 6 में हो गया था।

 
आज स्कूल का पहला दिन था और वो समय से पहले ही तैयार हो कर बस का इंतज़ार कर रही थी। बस

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गाँव के स्कूल में पढने वाली छुटकी आज बहुत खुश थी, उसका दाखिला शहर के एक अच्छे  स्कूल में क्लास 6 में हो गया था।

 
आज स्कूल का पहला दिन था और वो समय से पहले ही तैयार हो कर बस का इंतज़ार कर रही थी। बस आई और छुटकी बड़े उत्साह के साथ उसमे सवार हो गयी।

करीब 1 घंटे बाद जब बस स्कूल पहुंची तो सारे बच्चे उतर कर अपनी-अपनी क्लास में जाने लगे…छुटकी भी बच्चों से पूछते हुए अपनी क्लास में पहुंची।

क्लास के बच्चे गाव से आई इस लडकी को देखकर उसका मजाक उड़ाने आगे।

“साइलेंस!”, टीचर बोली, “ चुप हो जाइए आप सब…”

“ये छुटकी है, और आज से ये आपके साथ ही पढेगी।” उसके बाद टीचर ने बच्चों को सरप्राइज टेस्ट के लिए तैयार होने को कह दिया।

“चलिए, अपनी-अपनी कॉपी निकालिए और जल्दी से “दुनिया के 7 आश्चर्य लिख डालिए।”, टीचर ने निर्देश दिया।

सभी बच्चे जल्दी जल्दी उत्तर लिखने लगे, छुटकी भी धीरे-धीरे अपना उत्तर लिखने लगी।

जब सबने अपनी कॉपी जमा कर दी तब टीचर ने छुटकी से पूछा, “क्या हुआ बेटा, आपको जितना पता है उतना ही लिखिए, इन बच्चों को तो मैंने कुछ दिन पहले ही दुनिया के सात आश्चर्य बताये थे।”

“जी, मैं तो सोच रही थी कि इतनी सारी चीजें हैं…इनमे से कौन सी सात चीजें लिखूं….”, छुटकी टीचर को अपनी कॉपी थमाते हुए बोली।

टीचर ने सबकी कापियां जोर-जोर से पढनी शुरू कीं..ज्यादातर बच्चों ने अपने उत्तर सही दिए थे…
ताजमहल
चीचेन इट्ज़ा
क्राइस्ट द रिडीमर की प्रतिमा
कोलोसियम
चीन की विशाल दीवार
माचू पिच्चू
पेत्रा
टीचर खुश थीं कि बच्चों को उनका पढ़ाया याद था। बच्चे भी काफी उत्साहित थे और एक दुसरे को बधाई दे रहे थे…

अंत में टीचर ने छुटकी की कॉपी उठायी, और उसका उत्तर भी सबके सामने पढना शुरू किया….

दुनिया के 7 आश्चर्य हैं:
देख पाना
सुन पाना
किसी चीज को महसूस कर पाना
हँस पाना
प्रेम कर पाना
सोच पाना
दया कर पाना

छुटकी के उत्तर सुन पूरी क्लास में सन्नाटा छा गया। टीचर भी आवाक खड़ी थी….आज गाँव से आई एक बच्ची ने उन सभी को भगवान् के दिए उन अनमोल तोहफों का आभाष करा दिया था जिनके तरफ उन्होंने कभी ध्यान ही नहीं दिया था!

महकता हुआ जिस्म तेरा गुलाब जैसा है
नींद के सफर में तू ख्वाब जैसा है
दो घूँट पी ले दे आँखों की मस्तियाँ
नशा तेरी आँखों का शराब के जाम जैसा है

किसी गांव में एक चूहा था..! जो एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था..! एक दिन चूहे ने देखा.! कि उस कसाई और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं..! चूहे ने सोचा..! कि शायद कुछ खाने का सामान है..! तो उत्सुकत

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किसी गांव में एक चूहा था..! जो एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था..! एक दिन चूहे ने देखा.! कि उस कसाई और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं..! चूहे ने सोचा..! कि शायद कुछ खाने का सामान है..! तो उत्सुकतावश देखने पर उसने पाया..! कि वो एक चूहेदानी थी..! डर के मारे ख़तरा भाँपने पर..! उस चुहे ने पिछवाड़े में जा कर कबूतर को यह बात बताई..! कि घर में चूहेदानी आ गयी है..! तब कबूतर ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा..! कि मुझे क्या..! मुझे कौन सा उस में फँसना है..? निराश होकर चूहा ये बात मुर्गे को बताने गया..! मुर्गे ने भी उसकी खिल्ली उड़ाते हुए कहा, " जा भाई..! जा यहां से..! ये मेरी समस्या नहीं है..! अब बेचारा हताश चूहे ने बाड़े में जा कर यह बात बकरे को ये बात बताई..! और बकरा यह सून कर हँसते हँसते लोटपोट होने लगा..! अपना मजाक बनता देख, चूहा उस घर को छोड़ जंगल की ओर निकल गया..!
ठीक उसी रात चूहेदानी में "खटाक" की आवाज़ हुई..! जिस में गलती से एक ज़हरीला साँप फंस गया था..! अँधेरे में उसकी पूँछ को चूहा समझ कर..! उस कसाई की पत्नी ने जैसे ही उसे निकाला..! तभी साँप ने उसे डस लिया..! तबीयत बिगड़ने पर उस कसाई ने हकीम को बुलवाया..! हकीम ने उसे दवाई के साथ कबूतर का सूप पिलाने की सलाह दी..! कबूतर अब पतीले में उबल रहा था..! यह खबर सुनकर उस कसाई के कई रिश्तेदार मिलने आ पहुँचे..! जिनके भोजन प्रबंध हेतु अगले दिन उसी मुर्गे को काटा गया..! कुछ दिनों बाद उस कसाई की पत्नी सही सलामत हो गयी..! तो खुशी में उस कसाई ने अपने कुछ शुभचिंतकों के लिए एक दावत रखी..! फिर खुशी के माहौल बकरे को काटा गया..! लेकिन इधर चूहा अब दूर जा चुका था..! बहुत दूर..!

समझे मित्रो..! अगली बार कोई आपको अपनी समस्या बतायेे..! और आप को लगे..! कि ये मेरी समस्या नहीं है..! तो रुकिए और दुबारा सोचिये..! हो सकता है वही समस्या कल आपके पल्ले आ जाय..! जब समाज का हर एक अंग..! हर एक तबका..! हर एक नागरिक खतरे में है..! तभी तो पूरा देश खतरे में है..! आप सब अपने-अपने दायरे से बाहर निकलिये..! स्वयं तक सीमित मत रहिये..! सामाजिक बनिये..! आज जो समस्या किसी दूसरे की है..! हो सकता है कल वही समस्या आपके साथ उत्पन्न हो जाय..!

इक ज़रा सी बात पे रिश्ते बिखर गये..
मैं भी वो नहीँ रही, वो भी बदल गये !!

गर्दिशे हालात थी या मेरा कुसूर था...
इक मोड़ आया राह में रस्ते बदल गये !!

उनको भी तलाश थी शायद बहाने की...
अपने बनाये उसूलों से हम भी म

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इक ज़रा सी बात पे रिश्ते बिखर गये..
मैं भी वो नहीँ रही, वो भी बदल गये !!

गर्दिशे हालात थी या मेरा कुसूर था...
इक मोड़ आया राह में रस्ते बदल गये !!

उनको भी तलाश थी शायद बहाने की...
अपने बनाये उसूलों से हम भी मुकर गये !!
 
सोचा था कि जियेंगे तो साथ जियेंगे...
वो ख्वाहिशें बदल गईं, सपने बदल गये !!

फिसलती इन राहों पर सँभल रहे थे हम...
आखिर तो इंसान थे, हम भी फिसल गये !!

यार का दामन इन्हें नसीब कहाँ था...
जो अश्क आँख से गिरे, मिट्टी में मिल गये !!

पाबंदियां कदमों पर लगती हैं दिलों पर नहीं💕💕💕
माना कि छू सकते नहीं चाँद,देखने की मनाही तो नहीं💕💕💕

पिंटू : दादी नींद नहीं आ रही है |  TV देख लूँ....???

दादी: मुझसे बातें कर ले..

पिंटू : दादी क्या हम हमेशा 6 ही  रहेगें..? आप, मम्मी, पापा, दीदी, मैं और मेरी बिल्ली.

दादी : नहीं बेटा, आप के लिये   कल डॉगी भी आ रह

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पिंटू : दादी नींद नहीं आ रही है |  TV देख लूँ....???

दादी: मुझसे बातें कर ले..

पिंटू : दादी क्या हम हमेशा 6 ही  रहेगें..? आप, मम्मी, पापा, दीदी, मैं और मेरी बिल्ली.

दादी : नहीं बेटा, आप के लिये   कल डॉगी भी आ रहा है |  तो 7 हो जायेंगे |

पिंटू : पर...दादी डॉगी तो बिल्ली को खा जायेगा, तो फिर 6  हो जायेंगे !!!!

दादी : नहीं बेटा, आपकी शादी हो जायेगी तो फिर 7 हो  जायेंगे |

पिंटू : फिर बहन चली जायेगी शादी करके तो फिर 6 हो जायेंगे !!

दादी : बेटा.. फिर आपका बेटा..    हो जायेगा तो फिर 7 हो  जायेंगे..|

पिंटू : तब तक आप मर जाओगी वापस से 6 हो जायेंगे...!!!

दादी : नासपीटे...!!! जा TV देख !!!

😂😜😜😂😂😂😂😜😜

तेरी यादों में खोई हुई मैं
सुध बुध अपनी भूल गई

तेरे अहसास में मेरे साजन
जुल्फ संवारना भूल गई

आहट सुनी जो तेरे आने की
लाज शर्म सब भूल गई

देखने दौडी दरवाज़े पर
सजना सवरना भूल गई

रुबरु जो तुझको पाया, देखके
सारी बतिया करना भूल गई

इश्क़ मे तेरे गुम हुई ऐसे
अपना तन मन भूल गई।

पंचतंत्र की पांच प्रसिद्ध कहानियाँ

Story No. 1 – पानी और प्यासा कौआ (A Thirsty crow)

गर्मियों के दिन थे. दोपहर के समय बहुत ही सख्त गर्मी पड़ रही थी. एक कौआ पानी की तलाश में इधर – उधर भटक रहा था. लेकिन उसे कही भी प

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पंचतंत्र की पांच प्रसिद्ध कहानियाँ

Story No. 1 – पानी और प्यासा कौआ (A Thirsty crow)

गर्मियों के दिन थे. दोपहर के समय बहुत ही सख्त गर्मी पड़ रही थी. एक कौआ पानी की तलाश में इधर – उधर भटक रहा था. लेकिन उसे कही भी पानी नहीं मिला. अंत में वह थका हुआ एक बाग में पहुँचा. वह पेड़ की शाखा पर बैठा हुआ था की अचानक उसकी नजर वृक्ष के नीचे पड़े एक घड़े पर गई. वह उड़कर घड़े के पास चला गया.

वहां उसने देखा कि घड़े में थोड़ा पानी है. वह पानी पीने के लिए नीचे झुका लेकिन उसकी चोंच पानी तक न पहुँच सकी. ऐसा इसलिए हो रहा था क्योंकि घड़े में पानी बहुत कम था.

परन्तु वह कौआ हताश नहीं हुआ बल्कि पानी पीने के लिए उपाय सोचने लगा. तभी उसे एक उपाय सूझा. उसने आस – पास बिखरे हुए कंकर उठाकर घड़े में डालने शुरू कर दिए. लगातार पानी में कंकड़ डालने से पानी ऊपर आ गया. फिर उसने आराम से पानी पिया और उड़ गया.

Story No. 2 – एक चालाक लोमड़ी (A Clever Fox)

एक लोमड़ी बहुत भूखी थी. वह अपनी भूख मिटने के लिए भोजन की खोज में इधर – उधर घूमने लगी. जब उसे सारे जंगल में भटकने के बाद भी कुछ न मिला तो वह गर्मी और भूख से परेशान होकर एक पेड़ के नीचे बैठ गई. अचानक उसकी नजर ऊपर गई. पेड़ पर एक कौआ बैठा हुआ था. उसके मुंह में रोटी का एक टुकड़ा था. कौवे को देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी भर आया. वह कौवे से रोटी छीनने का उपाय सोचने लगी.

तभी उसने कौवे को कहा, ” क्यों भई कौआ भैया ! सुना है तुम गीत बहुत अच्छे गाते हो. क्या मुझे गीत नहीं सुनाओगे ?. कौआ अपनी प्रशंसा को सुनकर बहुत खुश हुआ. वह लोमड़ी की बातो में आ गया. गाना गाने के लिए उसने जैसे ही अपना मुँह खोला, रोटी का टुकड़ा नीचे गिर गया. लोमड़ी ने झट से वह टुकड़ा उठाया और वहां से भाग गई. अब कौआ अपनी मूर्खता पर पछताने लगा.

Story No. 3 – दो बिल्लियाँ और बन्दर ( Two cats and a monkey)

एक नगर में दो बिल्लियाँ रहती थी. एक दिन उन्हें रोटी का एक टुकड़ा मिला. वे दोनों आपस में लड़ने लगी. वे उस रोटी के टुकड़े को दो समान भागों में बाँटना चाहती थी लेकिन उन्हें कोई ढंग नहीं मिल पाया.

उसी समय एक बन्दर उधर से निकल रहा था. वह बहुत ही चालाक था. उसने बिल्लियों से लड़ने का कारण पूछा. बिल्लियों ने उसे सारी बात सुनाई. वह तराजू ले आया और बोला, ” लाओ, मैं तुम्हारी रोटी को बराबर बाँट देता हूँ. उसने रोटी के दो टुकड़े लेकर एक – एक पलड़े में रख दिए. वह बन्दर तराजू में जब रोटी को तोलता तो जिस पलड़े में रोटी अधिक होती, बन्दर उसे थोड़ी – सी तोड़ कर खा लेता.

इस प्रकार थोड़ी – सी रोटी रह गई. बिल्लियों ने अपनी रोटी वापस मांगी. लेकिन बन्दर ने शेष बची रोटी भी मुँह में डाल ली. फिर बिल्लियाँ उसका मुँह देखती रह गई.

Story No. 4 – अंगूर खट्टे है (The Grapes Are Sour)

एक बार एक लोमड़ी बहुत भूखी थी. वह भोजन की तलाश में इधर – उधर भटकती रही लेकिन कही से भी उसे कुछ भी खाने को नहीं मिला. अंत में थक हारकर वह एक बाग़ में पहुँच गयी. वहां उसने अंगूर की एक बेल देखी. जिसपर अंगूर के गुच्छे लगे थे.

वह उन्हें देखकर बहुत खुश हुई. वह अंगूरों को खाना चाहती थी, पर अंगूर बहुत ऊँचे थे. वह अंगूरों को पाने के लिए ऊँची – ऊँची छलांगे लगाने लगी. किन्तु वह उन तक पहुँच न सकी. वह ऐसा करते – करते बहुत थक चुकी थी. आखिर वह बाग से बाहर जाते हुए कहने लगी कि अंगूर खट्टे है. अगर मैं इन्हें खाऊँगी तो बीमार हो जाउंगी.

Story No. 5 – लालची कुत्ता (A Greedy Dog)

एक गाँव में एक कुत्ता था. वह बहुत लालची था. वह भोजन की खोज में इधर – उधर भटकता रहा. लेकिन कही भी उसे भोजन नहीं मिला. अंत में उसे एक होटल के बाहर से मांस का एक टुकड़ा मिला. वह उसे अकेले में बैठकर खाना चाहता था. इसलिए वह उसे लेकर भाग गया.

एकांत स्थल की खोज करते – करते वह एक नदी के किनारे पहुँच गया. अचानक उसने अपनी परछाई नदी में देखी. उसने समझा की पानी में कोई दूसरा कुत्ता है जिसके मुँह में भी मांस का टुकड़ा है.

उसने सोचा क्यों न इसका टुकड़ा भी छीन लिया जाए तो खाने का मजा दोगुना हो जाएगा. वह उस पर जोर से भौंका. भौंकने से उसका अपना मांस का टुकड़ा भी नदी में गिर पड़ा. अब वह अपना टुकड़ा भी खो बैठा. अब वह बहुत पछताया तथा मुँह लटकाता हुआ गाँव को वापस आ गया.

🌹🌻🌺🌹🥀🌺🌻
छू ले आसमान ज़मीन की तलाश ना कर,
जी ले ज़िंदगी खुशी की तलाश ना कर,
तकदीर बदल जाएगी खुद ही मेरे दोस्त,
मुस्कुराना सीख ले वजह की तलाश ना कर
🌹🌻🌺🌹🥀🌺🌻

भीगी नहीं थी मेरी आँखें कभी वक़्त के मार से..

देख तेरी थोड़ी सी बेरुखी ने इन्हें जी भर के रुला दिया।

💌  #नजर       💕

🏡✍एक  बार  की  बात  है , एक  नवविवाहित  जोड़ा किसी  किराए  के  घर  में रहने  पहुंचा . अगली  सुबह , जब  वे  नाश्ता  कर  रहे  थे , तभी  पत्नी  ने  खिड

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💌  #नजर       💕

🏡✍एक  बार  की  बात  है , एक  नवविवाहित  जोड़ा किसी  किराए  के  घर  में रहने  पहुंचा . अगली  सुबह , जब  वे  नाश्ता  कर  रहे  थे , तभी  पत्नी  ने  खिड़की  से देखा  कि  सामने  वाली  छत पर  कुछ  कपड़े  फैले  हैं , – “ लगता  है  इन  लोगों  को कपड़े  साफ़  करना  भी  नहीं आता …ज़रा  देखो  तो  कितने मैले  लग  रहे  हैं ? “ 
           
पति  ने  उसकी  बात  सुनी पर  अधिक  ध्यान  नहीं दिया .
 
एक -दो  दिन  बाद  फिर  उसी जगह  कुछ  कपड़े  फैले  थे . पत्नी  ने  उन्हें  देखते  ही अपनी  बात  दोहरा  दी ….” कब  सीखेंगे  ये  लोग  की कपड़े  कैसे  साफ़  करते  हैं …!!”
 
पति  सुनता  रहा  पर  इस बार  भी  उसने  कुछ  नहीं कहा .
 
पर  अब  तो  ये  आये  दिन की  बात  हो  गयी , जब  भी पत्नी  कपडे  फैले  देखती भला -बुरा  कहना  शुरू  हो जाती .
 
लगभग  एक  महीने  बाद  वे यूँहीं  बैठ  कर  नाश्ता  कर रहे  थे . पत्नी  ने  हमेशा  की तरह  नजरें  उठायीं  और सामने  वाली  छत  की  तरफ देखा , ” अरे  वाह , लगता  है इन्हें  अकल  आ  ही  गयी …आज  तो  कपडे  बिलकुल साफ़  दिख  रहे  हैं , ज़रूर किसी  ने  टोका  होगा !”
 
पति  बोला , ” नहीं  उन्हें किसी  ने  नहीं  टोका .”
 
” तुम्हे  कैसे  पता ?” , पत्नी ने आश्चर्य से  पूछा .
 
” आज  मैं  सुबह  जल्दी  उठ गया  था  और  मैंने  इस खिड़की  पर  लगे  कांच  को बाहर  से  साफ़  कर  दिया , इसलिए  तुम्हे  कपडे  साफ़ नज़र  आ  रहे  हैं . “, पति ने बात  पूरी  की ...😃😃
 
           
💕  ज़िन्दगी में भी यही बात लागू होती है : बहुत बार हम दूसरों को कैसे देखते हैं ये इस पर निर्भर करता है की हम खुद अन्दर से कितने साफ़ हैं !

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