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R Kumar

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🙏एक बार,एक'अत्यंत गरीब" महिला,जो "कान्हा" पर,बेइंतिहा "विश्वास"करती थी !!!

🙏अत्यंत ही,विकट स्थिति में आ गई !!!!!
🙏कई दिनों से खाने के लिए,पूरे परिवार को नहीं मिला !!!

🙏एक दिन,उसने रेडियो के




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🙏एक बार,एक'अत्यंत गरीब" महिला,जो "कान्हा" पर,बेइंतिहा "विश्वास"करती थी !!!

🙏अत्यंत ही,विकट स्थिति में आ गई !!!!!
🙏कई दिनों से खाने के लिए,पूरे परिवार को नहीं मिला !!!

🙏एक दिन,उसने रेडियो के माध्यम से,"कान्हा"को,अपना सन्देश भेजा, कि वह उसकी मदद करे !!!

🙏यह प्रसारण,एक"नास्तिक, घमण्डी,और अहंकारी"," उद्योगपति" ने,सुना !!!!

🙏और उसने सोचा कि, क्यों न, इस महिला के साथ, कुछ ऐसा "मजाक"किया जाये,कि उसकी "कृष्ण"के प्रति"आस्था", डगमगा जाये !!!!

🙏उसने,अपने"सेक्रेटरी"को कहा, कि वह,"ढेर सारा खाना"और"महीने भर का राशन",उसके घर पर,देकर आ जाये !!!!

🙏और जब वह महिला पूछे,किसने भेजा है ??? तो,कह देना,कि
"शैतान" ने भेजा है !!!

🙏जैसे ही,"महिला"के पास,सामान पंहुचा !!!! पहले तो,उसके" परिवार"ने,तृप्त होकर,भोजन किया !!!!
🙏फिर, वह सारा राशन,"अलमारी" में रखने लगी !!!

🙏जब,"महिला"ने पूछा नहीं कि, यह सब किसने भेजा है ????

🙏तो,"सेक्रेटरी"से रहा नहीं गया, और पूछा !!!!

🙏आपको क्या"जिज्ञासा" नहीं होती कि,  यह सब किसने भेजा है ???

🙏👌उस"महिला" ने,"बेहतरीन" जवाब दिया !!!

🙏👌मैं इतना क्यों सोंचू,या पूंछू ????????

🙏👌मुझे, मेरे "कान्हा"पर,"पूरा भरोसा" है !!!!
🙏👌मेरा"कृष्ण",जब आदेश देता है, तो,"शैतानों"को भी,उस"आदेश"का, पालन करना पड़ता है!!

🍃🌹🙏जय बिहारी जी की 🙏🏻🌹🍃
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😂😂 एक मज़ेदार कहानी 😂😂

एक गांव मे अंधे पति-पत्नी रहते थे । इनके यहाँ एक सुन्दर बेटा पैदा हुआ। पर वो अंधा नही था।

एक बार पत्नी रोटी बना रही थी। उस समय बिल्ली रसोई में घुस कर बनाई रोटियां खा गई।
बिल

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😂😂 एक मज़ेदार कहानी 😂😂

एक गांव मे अंधे पति-पत्नी रहते थे । इनके यहाँ एक सुन्दर बेटा पैदा हुआ। पर वो अंधा नही था।

एक बार पत्नी रोटी बना रही थी। उस समय बिल्ली रसोई में घुस कर बनाई रोटियां खा गई।
बिल्ली की रसोईं मे आने की रोज की आदत बन गई इस कारण दोनों को कई दिनों तक भूखा सोना पड़ा।
एक दिन किसी प्रकार से मालूम पड़ा कि रोटियाँ बिल्ली खा जाती है।
अब पत्नी जब रोटी बनाती उस समय पति दरवाजे के पास बाँस का फटका लेकर जमीन पर पटकता।
इससे बिल्ली का आना बंद हो गया।
जब लङका बङा हुआ और उसकी शादी हुई।
बहू जब पहली बार रोटी बना रही थी तो उसका पति बाँस का फटका लेकर बैठ गया औऱ फट फट करने लगा।

कई दिन बीत जाने के बाद पत्नी ने उससे पूछा कि तुम रोज रसोई के दरवाजे पर बैठ कर बाँस का फटका क्यों पीटते हो?
पति ने जवाब दिया कि ये हमारे घर की परम्परा (रिवाज) है इसलिए मैं ऐसा कर रहा हूँ।

कहानी का सार:
माँ बाप तो अंधे थे, जो बिल्ली को देख नहीं पाते थे, उनकी मजबूरी थी इसलिये फटका लगाते थे। पर बेटा तो आँख का अंधा नही था पर अकल का अंधा था, इसलिये वह भी वैसा करता था जैसा माँ-बाप करते थे।

ऐसी ही दशा आज के अपने समाज की है।
पहले शिक्षा का अभाव था इसलिए पाखण्डी लोग जिनका स्वयं का भला हो रहा था, पाखण्डवादी मूल्यों को अपनाया और फैलाया। जिनके पीछे किसी प्रकार का लाजिक नहीं है।
 
लेकिन आज  पढ़लिख कर, शिक्षित होने के बाद भी अपने समाज के लोग उन्हीं पाखंडपूर्ण परम्पराओं व रूढ़िवादिता के वशीभूत हो कर जीवन जी रहे हैं। ऐसे समाज व व्यक्तियों को आँख का अंधा कहा जाता है।

👉🏼इसलिये किसी भी परम्परा को सबसे पहले समझो, जानो और सही प्रतीत हो तब मानो, तभी समाज में परिवर्तन होगा नहीं तो वही...... ढाक के तीन पात,,,,,

"अत्त दीपो भव" अर्थात् अपना दीपक स्वयम् बनो !

एक बार एक बूढ़े आदमी ने अफवाह फैलाई कि उसके पड़ोस में रहने वाला नौजवान चोर है।

यह बात दूर - दूर तक फैल गई आस-पास के लोग उस नौजवान से बचने लगे। नौजवान परेशान हो गया कोई उस पर विश्वास ही नहीं करता था।

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एक बार एक बूढ़े आदमी ने अफवाह फैलाई कि उसके पड़ोस में रहने वाला नौजवान चोर है।

यह बात दूर - दूर तक फैल गई आस-पास के लोग उस नौजवान से बचने लगे। नौजवान परेशान हो गया कोई उस पर विश्वास ही नहीं करता था।

तभी गाँव में चोरी की एक वारदात हुई और शक उस नौजवान पर गया उसे गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन कुछ दिनों के बाद सबूत के अभाव में वह निर्दोष साबित हो गया।

निर्दोष साबित होने के बाद वह नौजवान चुप नहीं बैठा उसने बूढ़े आदमी पर गलत आरोप लगाने के लिए मुकदमा दायर कर दिया।

पंचायत में बूढ़े आदमी ने अपने बचाव में सरपंच से कहा:- मैंने जो कुछ कहा था वह एक टिप्पणी से अधिक कुछ नहीं था किसी को नुकसान पहुंचाना मेरा मकसद नहीं था।

सरपंच ने बूढ़े आदमी से कहा:- आप एक कागज के टुकड़े पर वो सब बातें लिखें जो आपने उस नौजवान के बारे में कहीं थीं और जाते समय उस कागज के टुकड़े-टुकड़े करके घर के रस्ते पर फ़ेंक दें फिर कल फैसला सुनने के लिए आ जाएँ।

बूढ़े व्यक्ति ने वैसा ही किया।

अगले दिन सरपंच ने बूढ़े आदमी से कहा कि फैसला सुनने से पहले आप बाहर जाएँ और उन कागज के टुकड़ों को, जो आपने कल बाहर फ़ेंक दिए थे, इकट्ठा कर ले आएं।

बूढ़े आदमी ने कहा मैं ऐसा नहीं कर सकता उन टुकड़ों को तो हवा कहीं से कहीं उड़ा कर ले गई होगी अब वे नहीं मिल सकेंगें मैं कहाँ-कहाँ उन्हें खोजने के लिए जाऊंगा ?

सरपंच ने कहा:- ठीक इसी तरह एक सरल सी टिप्पणी भी किसी का मान-सम्मान उस सीमा तक नष्ट कर सकती है, जिसे वह व्यक्ति किसी भी दशा में दोबारा प्राप्त करने में सक्षम नहीं हो सकता।
इसलिए यदि किसी के बारे में कुछ अच्छा नहीं कह सकते, तो चुप रहें। वाणी पर हमारा नियंत्रण होना चाहिए ।
👏🏽👏👏🏽👏👏🏽

सुहागरात के बाद पति ने पत्नी से पूछा, "कैसा महसूस कर रही हो?"
पत्नी(शरमाते हुए): आप ने तो मुझे कॉलेज के दिनों की याद दिला दी।
😌😜😝😂😝😂😝😂😝

वो राहें वो मंजर फिर से बुलाते हैं मुझे
साथ गुज़ारे पल बहुत याद आते हैं मुझे
जिस को भी चाहा दिल से समझा अपना
ना जाने क्यों राह में छोड़ जाते हैं मुझे|

परीक्षा में गब्बरसिंह का चरित्र चित्रण करने के लिए कहा गया-😀😁

दसवीं के एक छात्र ने लिखा-😉

1. सादगी भरा जीवन-  शहर की भीड़ से दूर जंगल में रहते थे, एक ही कपड़े में कई दिन गुजारा करते थे, खैनी के बड़

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परीक्षा में गब्बरसिंह का चरित्र चित्रण करने के लिए कहा गया-😀😁

दसवीं के एक छात्र ने लिखा-😉

1. सादगी भरा जीवन-  शहर की भीड़ से दूर जंगल में रहते थे, एक ही कपड़े में कई दिन गुजारा करते थे, खैनी के बड़े शौकीन थे.😂

2. अनुशासनप्रिय- कालिया और उसके साथी को प्रोजेक्ट ठीक से न करने पर सीधा गोली मार दिये थे.😂

3. दयालु प्रकृति- ठाकुर को कब्जे में लेने के बाद ठाकुर के सिर्फ हाथ काटकर छोड़ दिया था, चाहते तो गला भी काट सकते थे😂

4. नृत्य संगीत प्रेमी- उनके मुख्यालय में नृत्य संगीत के कार्यक्रम चलते रहते थे. 'महबूबा महबूबा', 'जब तक है जां जाने जहां'. बसंती को देखते ही परख गये थे कि कुशल नृत्यांगना है.😂😂

5. हास्य रस के प्रेमी- कालिया और उसके साथियों को हंसा हंसा कर ही मारे थे. खुद भी ठहाका मारकर हंसते थे, वो इस युग के 'लाफिंग बुद्धा' थे.😂

6. नारी सम्मान- बंसती के अपहरण के बाद सिर्फ उसका नृत्य देखने का अनुरोध किया था,😀😂

7. भिक्षुक जीवन- उनके आदमी गुजारे के लिए बस  अनाज मांगते थे, कभी बिरयानी या चिकन टिक्का की मांग नहीं की.. 😂

8. समाज सेवक- रात को बच्चों को सुलाने का काम भी करते थे . सो जा नही तो गब्बर सिंह आ जायेगा

 टीचर ने पढा तो आँख भर आई और बोली सारी गलती जय वीरू की 😁😂😂😂😂

बेवक़ूफ़ गृहणी:

एक गृहणी वो रोज़ाना की तरह आज फिर ईश्वर का नाम लेकर उठी थी ।

किचन में आई और चूल्हे पर चाय का पानी चढ़ाया।

फिर बच्चों को नींद से जगाया ताकि वे स्कूल के लिए तैयार हो सकें ।
 
कुछ ही

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बेवक़ूफ़ गृहणी:

एक गृहणी वो रोज़ाना की तरह आज फिर ईश्वर का नाम लेकर उठी थी ।

किचन में आई और चूल्हे पर चाय का पानी चढ़ाया।

फिर बच्चों को नींद से जगाया ताकि वे स्कूल के लिए तैयार हो सकें ।
 
कुछ ही पलों मे वो अपने  सास ससुर को चाय देकर आयी फिर बच्चों का नाश्ता तैयार किया और इस बीच उसने बच्चों को ड्रेस भी पहनाई।

फिर बच्चों को नाश्ता कराया।

इस बीच स्कूल का रिक्शा आ गया और  वो बच्चों को रिक्शा तक छोड़ने चली गई ।

फिर  मेज़ से जूठे बर्तन इकठ्ठा किये ।

इस बीच पतिदेव की आवाज़ आई की मेरे कपङे निकाल दो । 

उनको ऑफिस जाने लिए कपङे निकाल कर दिए।

अभी पति के लिए उनकी पसंद का नाश्ता तैयार करके टेबिल पर लगाया ही था की छोटी ननद आई और ये कहकर ये कहकर गई की भाभी आज मुझे भी कॉलेज जल्दी जाना, मेरा भी नाश्ता लगा देना।

तभी देवर की भी आवाज़ आई की भाभी नाश्ता तैयार हो गया क्या?
 
अभी लीजिये नाश्ता तैयार है।

पति और देवर ने नाश्ता किया और अखबार पढ़कर अपने अपने ऑफिस के लिए निकल चले ।

उसने मेज़ से खाली बर्तन समेटे और सास ससुर के लिए उनका परहेज़ का नाश्ता तैयार करने लगी ।
   
दोनों को नाश्ता कराने के बाद फिर बर्तन इकट्ठे किये और उनको भी किचिन में लाकर धोने लगी ।

इस बीच सफाई वाली भी आ गयी ।

उसने बर्तन का काम सफाई वाली को सौंप कर खुद बेड की चादरें वगेरा इकट्ठा करने पहुँच गयी और फिर सफाई वाली के साथ मिलकर सफाई में जुट गयी ।
 
अब तक 11 बज चुके थे, अभी वो पूरी तरह काम समेट भी ना पायी थी की काल बेल बजी ।

दरवाज़ा खोला तो सामने बड़ी ननद और उसके पति व बच्चे सामने खड़े थे ।

उसने ख़ुशी ख़ुशी सभी को आदर के साथ घर में बुलाया और उनसे बाते करते करते  उनके आने से हुई ख़ुशी का इज़हार करती रही ।
 
ननद की फ़रमाईश के मुताबिक़ नाश्ता तैयार करने के बाद अभी वो नन्द के पास बेठी ही थी की सास की आवाज़ आई की बहु खाने का क्या प्रोग्राम हे ।

उसने घडी पर नज़र डाली तो 12 बज रहे थे ।
    
उसकी फ़िक्र बढ़ गयी वो जल्दी से फ्रिज की तरफ लपकी और सब्ज़ी निकाली  और फिर से दोपहर के खाने की तैयारी में जुट गयी ।
     
खाना बनाते बनाते अब दोपहर का दो बज चुके थे ।

बच्चे स्कूल से आने वाले थे,  लो बच्चे आ गये ।

उसने जल्दी जल्दी बच्चों की ड्रेस उतारी और उनका मुंह हाथ धुलवाकर उनको खाना खिलाया ।
    
इस बीच छोटी नन्द भी कॉलेज से आगयी और देवर भी आ चुके थे ।

उसने सभी के लिए मेज़ पर खाना लगाया और खुद रोटी बनाने में लग गयी ।
   
खाना खाकर सब लोग फ्री हुवे तो उसने मेज़ से फिर बर्तन जमा करने शुरू करदिये ।

इस वक़्त तीन बज रहे थे ।
   
अब उसको खुदको भी भूख का एहसास होने लगा था ।

उसने हॉट पॉट देखा तो उसमे कोई रोटी नहीं बची थी ।

उसने फिर से किचिन की और रुख किया तभी पतिदेव घर में दाखिल होते हुये बोले की आज देर होगयी भूख बहुत लगी हे जल्दी से खाना लगादो ।
 
उसने जल्दी जल्दी पति के लिए खाना बनाया और मेज़ पर खाना लगा कर पति को किचिन से गर्म रोटी बनाकर ला ला कर देने लगी ।
   
अब तक चार बज चुके थे ।
    
अभी वो खाना खिला ही रही थी की पतिदेव ने कहा की आजाओ तुमभी खालो ।
   
उसने हैरत से पति की तरफ देखा तो उसे ख्याल आया की आज मैंने सुबह से कुछ खाया ही नहीं ।
  
इस ख्याल के आते ही वो पति के साथ खाना खाने बैठ गयी । 

अभी पहला निवाला उसने मुंह में डाला ही था की आँख से आंसू निकल आये
   
पति देव ने उसके आंसू देखे तो फ़ौरन पूछा की तुम क्यों रो रही हो  ।
 
वो खामोश रही और सोचने लगी की इन्हें कैसे बताऊँ की ससुराल में कितनी मेहनत के बाद ये रोटी का निवाला नसीब होता हे और लोग इसे मुफ़्त की रोटी कहते हैं ।
   
पति के बार बार पूछने पर उसने सिर्फ इतना कहा की कुछ नहीं बस ऐसे ही आंसू आगये ।
    
पति मुस्कुराये और बोले कि तुम औरते भी बड़ी "बेवक़ूफ़" होती हो, बिना वजह रोना शुरू करदेती हो।

सभी गृहणियों को सादर समर्पित..🙏🏼

आरती नामक एक युवती का विवाह हुआ और वह अपने पति और सास के साथ अपने ससुराल में रहने लगी। कुछ ही दिनों बाद आरती को आभास होने लगा कि उसकी सास के साथ पटरी नहीं बैठ रही है। सास पुराने ख़यालों की थी और ब

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आरती नामक एक युवती का विवाह हुआ और वह अपने पति और सास के साथ अपने ससुराल में रहने लगी। कुछ ही दिनों बाद आरती को आभास होने लगा कि उसकी सास के साथ पटरी नहीं बैठ रही है। सास पुराने ख़यालों की थी और बहू नए विचारों वाली।
आरती और उसकी सास का आये दिन झगडा होने लगा।
दिन बीते, महीने बीते. साल भी बीत गया. न तो सास टीका-टिप्पणी करना छोड़ती और न आरती जवाब देना। हालात बद से बदतर होने लगे। आरती को अब अपनी सास से पूरी तरह नफरत हो चुकी थी. आरती के लिए उस समय स्थिति और बुरी हो जाती जब उसे भारतीय परम्पराओं के अनुसार दूसरों के सामने अपनी सास को सम्मान देना पड़ता। अब वह किसी भी तरह सास से छुटकारा पाने की सोचने लगी.
एक दिन जब आरती का अपनी सास से झगडा हुआ और पति भी अपनी माँ का पक्ष लेने लगा तो वह नाराज़ होकर मायके चली आई।
आरती के पिता आयुर्वेद के डॉक्टर थे. उसने रो-रो कर अपनी व्यथा पिता को सुनाई और बोली – “आप मुझे कोई जहरीली दवा दे दीजिये जो मैं जाकर उस बुढ़िया को पिला दूँ नहीं तो मैं अब ससुराल नहीं जाऊँगी…”
बेटी का दुःख समझते हुए पिता ने आरती के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा – “बेटी, अगर तुम अपनी सास को ज़हर खिला कर मार दोगी तो तुम्हें पुलिस पकड़ ले जाएगी और साथ ही मुझे भी क्योंकि वो ज़हर मैं तुम्हें दूंगा. इसलिए ऐसा करना ठीक नहीं होगा.”
लेकिन आरती जिद पर अड़ गई – “आपको मुझे ज़हर देना ही होगा ….
 अब मैं किसी भी कीमत पर उसका मुँह देखना नहीं चाहती !”
कुछ सोचकर पिता बोले – “ठीक है जैसी तुम्हारी मर्जी। लेकिन मैं तुम्हें जेल जाते हुए भी नहीं देख सकता इसलिए जैसे मैं कहूँ वैसे तुम्हें करना होगा ! मंजूर हो तो बोलो ?”
“क्या करना होगा ?”, आरती ने पूछा.
पिता ने एक पुडिया में ज़हर का पाउडर बाँधकर आरती के हाथ में देते हुए कहा – “तुम्हें इस पुडिया में से सिर्फ एक चुटकी ज़हर रोज़ अपनी सास के भोजन में मिलाना है।
कम मात्रा होने से वह एकदम से नहीं मरेगी बल्कि धीरे-धीरे आंतरिक रूप से कमजोर होकर 5 से 6 महीनों में मर जाएगी. लोग समझेंगे कि वह स्वाभाविक मौत मर गई.”
पिता ने आगे कहा -“लेकिन तुम्हें बेहद सावधान रहना होगा ताकि तुम्हारे पति को बिलकुल भी शक न होने पाए वरना हम दोनों को जेल जाना पड़ेगा ! इसके लिए तुम आज के बाद अपनी सास से बिलकुल भी झगडा नहीं करोगी बल्कि उसकी सेवा करोगी।
 यदि वह तुम पर कोई टीका टिप्पणी करती है तो तुम चुपचाप सुन लोगी, बिलकुल भी प्रत्युत्तर नहीं दोगी ! बोलो कर पाओगी ये सब ?”
आरती ने सोचा, छ: महीनों की ही तो बात है, फिर तो छुटकारा मिल ही जाएगा. उसने पिता की बात मान ली और ज़हर की पुडिया लेकर ससुराल चली आई.
ससुराल आते ही अगले ही दिन से आरती ने सास के भोजन में एक चुटकी ज़हर रोजाना मिलाना शुरू कर दिया।
 साथ ही उसके प्रति अपना बर्ताव भी बदल लिया. अब वह सास के किसी भी ताने का जवाब नहीं देती बल्कि क्रोध को पीकर मुस्कुराते हुए सुन लेती।
रोज़ उसके पैर दबाती और उसकी हर बात का ख़याल रखती।
सास से पूछ-पूछ कर उसकी पसंद का खाना बनाती, उसकी हर आज्ञा का पालन करती।

कुछ हफ्ते बीतते बीतते सास के स्वभाव में भी परिवर्तन आना शुरू हो गया. बहू की ओर से अपने तानों का प्रत्युत्तर न पाकर उसके ताने अब कम हो चले थे बल्कि वह कभी कभी बहू की सेवा के बदले आशीष भी देने लगी थी।
धीरे-धीरे चार महीने बीत गए. आरती नियमित रूप से सास को रोज़ एक चुटकी ज़हर देती आ रही थी।
किन्तु उस घर का माहौल अब एकदम से बदल चुका था. सास बहू का झगडा पुरानी बात हो चुकी थी. पहले जो सास आरती को गालियाँ देते नहीं थकती थी, अब वही आस-पड़ोस वालों के आगे आरती की तारीफों के पुल बाँधने लगी थी।
 बहू को साथ बिठाकर खाना खिलाती और सोने से पहले भी जब तक बहू से चार प्यार भरी बातें न कर ले, उसे नींद नही आती थी।
छठा महीना आते आते आरती को लगने लगा कि उसकी सास उसे बिलकुल अपनी बेटी की तरह मानने लगी हैं। उसे भी अपनी सास में माँ की छवि नज़र आने लगी थी।
जब वह सोचती कि उसके दिए ज़हर से उसकी सास कुछ ही दिनों में मर जाएगी तो वह परेशान हो जाती थी।
इसी ऊहापोह में एक दिन वह अपने पिता के घर दोबारा जा पहुंची और बोली – “पिताजी, मुझे उस ज़हर के असर को ख़त्म करने की दवा दीजिये क्योंकि अब मैं अपनी सास को मारना नहीं चाहती … !
 वो बहुत अच्छी हैं और अब मैं उन्हें अपनी माँ की तरह चाहने लगी हूँ!”
पिता ठठाकर हँस पड़े और बोले – “ज़हर ? कैसा ज़हर ? मैंने तो तुम्हें ज़हर के नाम पर हाजमे का चूर्ण दिया था … हा हा हा !!!”
"बेटी को सही रास्ता दिखाये, माँ बाप का पूर्ण फर्ज अदा करे"

बरसों से..अपनी हकीकत को.. जानबूझकर नजरअंदाज

 करके जी रही हूँ, यही मेरी..सबसे बड़ी हकीकत है,..!!

अब झेली नही जाती..तेरी कड़वी सच्चाईयों को,

इससे अच्छा तो..ऐ जिन्दगी.. तू मेरी आँखे बंद ही कर  दे..!!

रात गुमसूँ है मगर चेन खामोश नही,
कैसे कह दू आज फिर होश नही,
ऐसा डूबा तेरी आखो की गहराई मैं,
हाथ में जाम है मगर पीने का होश नही

एक आदमी काफी समय से मैरिज सटिर्फिकेट देख रहा था 😇😇😇
पत्नी ने पूछा तूम इस मे काफी समय से क्या देख रहे हो ।
पति - Expiry date देख रहा था
सालो ने लिखी ही नही

 

 

रोज नहीं,पर मुलाकात भी जरुरी हैं,
कभी-कभी थोड़ा इंतज़ार जरूरी हैं!
पहल तुम करो या पहल मैं करूँ,
हर रोज,थोड़ा सा इज़हार जरूरी हैं!
कभी मैं रूठ जाऊँ,कभी तुम मनाना
थोड़ा सा ,पर मतभेद भी जरुरी हैं!
एकतरफा कैसे सींचे,यह प्रेमी पौधा?
थोड़ा तुम्हे,थोड़ा मुझे बदलना जरुरी हैं!

😂😂😂(((((रिपोर्ट कार्ड )))))😂😂😂
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पापा आफिस में पहुंचे ही थे कि स्कूल से फोन आया! सुरीली आवाज में एक मैम बोलीं - "सर! आप की बेटी जो सेकंड क्लास में है, मैं उसकी क्लास टीचर बोल रहीं हूँ। आज पैरंट्स टी

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😂😂😂(((((रिपोर्ट कार्ड )))))😂😂😂
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पापा आफिस में पहुंचे ही थे कि स्कूल से फोन आया! सुरीली आवाज में एक मैम बोलीं - "सर! आप की बेटी जो सेकंड क्लास में है, मैं उसकी क्लास टीचर बोल रहीं हूँ। आज पैरंट्स टीचर मीटिंग है। रिपोर्ट कार्ड दिखाया जाएगा। आप अपनी बेटी के साथ टाईम से पहुंचें।".. बेचारे पापा क्या करते। आदेश के पाबंद... तुरंत छुट्टी लेकर, घर से बेटी को लेकर स्कूल पहुंच गए। सामने गुलाबी साड़ी पहने,छोटी सी बिंदी लगाए, नयी उम्र की, गोरी सी लेकिन बेहद तेज मैम बैठी थी। पापा कुछ बोल पाते कि इससे पहले लगभग डांटते हुए बोलीं -" आप अभी रुकिए, मैं आप से अलग बात करूंगी।"
पापा ने बेटी की तरफ देखा, और दोनों चुपचाप पीछे जाकर बैठ गए। "मैम बहुत गुस्से में लगती हैं" - बेटी ने धीरे से कहा। "तुम्हारा रिपोर्ट कार्ड तो ठीक है" - उसी तरह पापा भी धीरे से बोले। "पता नहीं पापा, मैंने तो देखा नहीं। "-बेटी ने अपना बचाव किया। "मुझे भी लगता है, आज तुम्हारी मैम तुम्हारे साथ मेरी भी क्लास लेंगी।" - पापा खुद को तैयार करते हुए बोले।
वो दोनों आपस में फुसफुसा ही रहे थे कि तभी मैम खाली होकर बोलीं - "हाँ! अब आप दोनों भी आ जाइए।पापा किसी तरह उस शहद भरी मिर्ची सी आवाज के पास पहुंचे। और बेटी पापा के के पीछे छुप कर खड़ी हो गई।
मैम- देखिए! आप की बेटी की शिकायत तो बहुत है लेकिन पहले आप इसकी परीक्षा की कापियां और रिपोर्ट देखिए। और बताइए इसको कैसे पढ़ाया जाये।
... मैम ने सारांश में लगभग सारी बात कह दी..
मैम- पहले इंग्लिश की कापी देखिए.. फेल है आप की बेटी।
... पापा ने एक नजर बेटी को देखा, जो सहमी सी खड़ी थी.. फिर मुस्कुरा कर बोले...
पापा - अंग्रेजी एक विदेशी भाषा है। इस अम्र में बच्चे अपनी ही भाषा नहीं समझ पाते।
... इतना मैम को चिढ़ने के लिए काफी था...
मैम- अच्छा! और ये देखिए! ये हिंदी में भी फेल है। क्यों?
... पापा ने फिर बेटी की तरफ देखा.. मानो उसकी नजरें साॅरी बोल रहीं हों...
पापा - हिंदी एक कठिन भाषा है। ध्वनि आधारित है। इसको जैसा बोला जाता है, वैसा लिखा जाता है। अब आप के इंग्लिश स्कूल में कोई शुद्ध हींदी बोलने वाला नहीं होगा...
.....पापा की बात मैम बीच में काटते हुए बोलीं...
मैम - अच्छा... तो आप और बच्चों के बारे में क्या कहेंगे जो....
इस बार पापा ने मैम की बात काट कर बोले..
पापा - और बच्चे क्यों फेल हुए ये मैं नहीं बता सकता... मै तो....
मैम चिढ़ते हुए बोली - "आप पूरी बात तो सुन लिया करो, मेरा मतलब था कि और बच्चे कैसे पास हो गये..." फेल नहीं"...अच्छा छोड़ो ये दूसरी कापी देखो आप। आज के बच्चे जब मोबाइल और लैपटॉप की रग रग से वाकिफ हैं तो आप की बच्ची कम्प्यूटर में कैसे फेल हो गई?
.... पापा इस बार कापी को गौर से देखते हुए, गंभीरता से बोले - "ये कोई उम्र है कम्प्यूटर पढ़ने और मोबाइल चलाने की। अभी तो बच्चों को फील्ड में खेलना चाहिए।
... मैम का पारा अब सातवें आसमान पर था... वो कापियां समेटते हुए बोली-" सांइस की कापी दिखाने से तो कोई फायदा है नहीं। क्योंकि मैं भी जानती हूँ कि अल्बर्ट आइंस्टीन बचपन फेल होते थे।"
... पापा चुपचाप थे...
मैम ने फिर शिकायत आगे बढ़ाई - "ये क्लास में डिस्पलिन में नहीं रहती, बात करती है, शोर करती है, इधर-उधर घूमती है।
पापा ने मैम को बीच में रोक कर, खोजती हुई निगाह से बोले...
पापा - वो सब छोड़िए! आप कुछ भूल रहीं हैं। इसमें गणित की कापी कहां है। उसका रिजल्ट तो बताइए।
मैंम-(मुंह फेरते हुए) हां, उसे दिखाने की जरूरत नहीं है।
पापा - फिर भी, जब सारी कापियां दिखा दी तो वही क्यों बाकी रहे।
मैम ने इस बार बेटी की तरफ देखा और अनमने मन से गणित की कापी निकाल कर दे दी।
.... गणित का नम्बर, और विषयों से अलग था.... 100%.....
मैम अब भी मुंह फेरे बैठी थीं, लेकिन पापा पूरे जोश में थे।
पापा - हाँ तो मैंम, मेरी बेटी को इंग्लिश कौन पढ़ाता है?
:
मैम- (धीरे से) मैं!
:
पापा - और हिंदी कौन पढ़ाता है?
:
मैम- "मै"
:
पापा - और कम्प्यूटर कौन पढ़ाता है?
:
मैम- वो भी "मैं"
:
पापा - अब ये भी बता दीजिए कि गणित कौन पढ़ाता है?
:
मैम कुछ बोल पाती, पापा उससे पहले ही जवाब देकर खड़े हो गए...
पापा - "मैं"...
:
मैम - (झेंपते हुए) हां पता है।
:
पापा- तो अच्छा टीचर कौन है????? दुबारा मुझसे मेरी बेटी की शिकायत मत करना। बच्ची है। शरारत तो करेगी ही।
:
मैम तिलमिला कर खड़ी हो गई और जोर से बोलीं-"""मिलना तुम दोनों आज घर पर, दोनों बाप बेटी की अच्छे से खबर लेती हूं"""!!!!
:
:
:
(((कुछ समझे? )))
😂😂😂😂😂😂

एक बार एक केकड़ा समुद्र किनारे अपनी मस्ती में चला जा रहा था और बीच बीच में रुक कर अपने पैरों के निशान देख कर खुश होता। आगे बढ़ता पैरों के निशान देखता और खुश होता,
इतने में एक लहर आई और उसके पैरों के

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एक बार एक केकड़ा समुद्र किनारे अपनी मस्ती में चला जा रहा था और बीच बीच में रुक कर अपने पैरों के निशान देख कर खुश होता। आगे बढ़ता पैरों के निशान देखता और खुश होता,
इतने में एक लहर आई और उसके पैरों के सभी निशान मिट गये, इस पर केकड़े को बड़ा गुस्सा आया, उसने लहर से कहा -
ए लहर मैं तो तुझे अपना मित्र मानता था, पर ये तूने क्या किया, मेरे बनाये सुंदर पैरों के निशानों को ही मिटा दिया कैसी दोस्त हो तुम।
तब लहर बोली वो देखो पीछे से मछुआरे पैरों के निशान देख कर केकड़ों को पकड़ने आ रहे हैं। हे मित्र, तुमको वो पकड़ न लें, बस इसीलिए मैंने निशान मिटा दिए। ये सुनकर केकड़े की आँखों में आँसू आ गये।

सच यही है, कई बार हम सामने वाले की बातों को समझ नहीं पाते और अपनी सोच अनुसार उसे गलत समझ लेते हैं जबकि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, अतः मन में बैर और वैमनष्यता लाने से बेहतर है कि हम दिल से सोचें दिल की सुने फिर निष्कर्ष निकालें।

लड़का : हेलो अंकल, सिमरन घर पे है..?

अंकल : हां है.. बोलो क्या काम है बेटा..? 🤔

लड़का 🧑 : उसे बोलना..
जा सिमरन जा, जी ले अपनी जिंदगी....👉

😎😎💞💞💞😎😎

🍃🍂तेरी यादें अधूरी मुलाकाते,
अधूरी बातें,अधूरे दिन अधूरी राते🍂🍃

दिल ही  दिल में रह गयी....
दिल की कुछ अनकही बातें,
होठों पर बस गयी आकर....
कुछ अनचाही मुस्कुराहटें,
बाते जो अधूरी रह गयी दिल में...
बन

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🍃🍂तेरी यादें अधूरी मुलाकाते,
अधूरी बातें,अधूरे दिन अधूरी राते🍂🍃

दिल ही  दिल में रह गयी....
दिल की कुछ अनकही बातें,
होठों पर बस गयी आकर....
कुछ अनचाही मुस्कुराहटें,
बाते जो अधूरी रह गयी दिल में...
बन गयी एक किताब तेरी यादों की,
नम हो जाती है आँखे,
तेरी याद में जब भी मै....
यादों की किताब को पढ़ता हूँ,
दिल तो चुप रहता है.....मगर 
पन्ने  रो पड़ते है,
लब तो खामोश रहते है....मगर
आंसूं बहने लगते है,
नजरे तेरी राह  देखती है....मगर
कदम पीछे हट जाते है,
तुम बिन रह गया बहुत कुछ,
अनकहा और अधूरा....
अधूरी मुलाकाते, अधूरी बातें,
अधूरे दिन अधूरी राते,
रह गया मै भी अधूरा
दिल में लेकर कुछ अनकही बातें....!

एक लड़का क्लास में लड़की को रोज चुपके चुपके देखा करता था,
एक दिन लड़का बोला – I Love You,
लड़की – अगर मैं भी I Love You बोलूँ, तो तुमको कैसा लगेगा?
लड़का – जानम, मैं तो ख़ुशी से मर जाऊँगा,
लड़की बड़ी चालाक निकली,
तिरछी नजर घुमा के बोली- जा नहीं बोलती, जी ले अपनी जिंदगी
😂😂😛

एक गरीब परिवार में एक सुन्दर सी  बेटी ने जन्म लिया..
बाप दुखी हो गया बेटा पैदा होता तो कम से कम काम में तो हाथ बटाता,,
उसने बेटी को पाला जरूर, मगर दिल से नही....

वो पढने जाती थी तो ना ही स्कूल की फीस

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एक गरीब परिवार में एक सुन्दर सी  बेटी ने जन्म लिया..
बाप दुखी हो गया बेटा पैदा होता तो कम से कम काम में तो हाथ बटाता,,
उसने बेटी को पाला जरूर, मगर दिल से नही....

वो पढने जाती थी तो ना ही स्कूल की फीस टाइम से जमा करता,
और ना ही कापी किताबों पर ध्यान देता था...
अक्सर दारू पी कर घर में कोहराम मचाता था........

उस लडकी की माँ बहुत अच्छी व बहुत भोली भाली थी
वो अपनी बेटी को बडे लाड प्यार से रखती थी..
वो पति से छुपा-छुपा कर बेटी की फीस जमा करती और कापी किताबों का खर्चा देती थी..
अपना पेट काटकर फटे पुराने कपडे पहन कर गुजारा कर लेती थी, मगर बेटी का पूरा खयाल रखती थी...
पति अक्सर घर से कई कई दिनों के लिये गायब हो जाता था. जितना कमाता था दारू मे ही फूक देता था...

वक्त का पहिया घूमता गया बेटी धीरे-धीरे समझदार हो गयी..
दसवीं क्लास में उसका एडमीसन होना था.
माँ के पास इतने पैसै ना थे जो बेटी का स्कूल में दाखिला करा पाती..

बेटी डरडराते हुये पापा से बोली:
पापा मैं पढना चाहती हूं मेरा हाईस्कूल में एडमीसन करा दीजिए
मम्मी के पास पैसै नही है...
बेटी की बात सुनते ही बाप आग वबूला हो गया और चिल्लाने लगा बोला:
तू कितनी भी पड लिख जाये तुझे तो चौका चूल्हा ही सम्भालना है क्या करेगी तू ज्यादा पड लिख कर..
उस दिन उसने घर में आतंक मचाया व सबको मारा पीटा

बाप का व्यहार देखकर बेटी ने मन ही मन में सोच लिया कि अब वो आगे की पढाई नही करेगी....
एक दिन उसकी माँ बाजार गयी बेटी ने पूछा: माँ कहॉ गयी थी
माँ ने उसकी बात को अनसुना करते हुये कहा : बेटी कल मै तेरा स्कूल में दाखिला कराउगी

बेटी ने कहा: नही माँ मै अब नही पडूगी मेरी वजह से तुम्हे कितनी परेशानी उठानी पडती है
पापा भी तुमको मारते पीटते हैं कहते कहते रोने लगी..
माँ ने उसे सीने से लगाते हुये कहा: बेटी मै बाजार से कुछ रुपये लेकर आयी हूं मै कराउगी तेरा दखिला..
बेटी ने माँ की ओर देखते हुये पूछा: माँ तुम इतने पैसै कहॉ से लायी हो??
मॉ ने उसकी बात को फिर अनसुना कर दिया..

वक्त वीतता गया माँ ने जी तोड मेहनत करके बेटी को पढाया लिखाया
बेटी ने भी माँ की मेहनत को देखते हुये मन लगा कर दिन रात पढाई की और आगे बडती चली गयी......

इधर बाप दारू पी पी कर बीमार पड गया डाक्टर के पास ले गये
डाक्टर ने कहा इनको टी.बी. है एक दिन तबियत ज्यादा गम्भीर  होने पर बेहोशी की हालत में अस्पताल में भर्ती कराया..
.
कुछ दिनो बाद उसे जब होश आया  तो डाक्टरनी का चेहरा देखकर  उसके होश उड गये
वो डाक्टरनी कोई और नही वल्कि  उसकी अपनी बेटी थी..
शर्म से पानी पानी बाप कपडे से अपना चेहरा छुपाने लगा और रोने लगा हाथ जोडकर बोला:
बेटी मुझे माफ करना मैं तुझे समझ  ना सका...
बाप को रोते देखकर बेटी ने बाप  को गले लगा लिया.

दोस्तों गरीबी और अमीरी से कोई  फर्क नहीं पडता, अगर इन्सान का इरादा हो तो  आसमान में भी छेद हो सकता है

एक दिन बेटी माँ से बोली:  माँ तुमने मुझे आजतक नहीं बताया  कि मेरे हाईस्कूल के एडमीसन के  लिये पैसै कहाँ से लायी थी??
बेटी के बार बार पूछने पर माँ ने जो बात बतायी उसे सुनकर बेटी की रूह काँप गयी....
माँ ने अपने शरीर का खून बेच कर  बेटी का एडमीसन कराया था....

दोस्तों तभी तो माँ को भगवान का दर्जा दिया गया है माँ जितना औलाद के लिये त्याग कर सकती है उतना दुनियाँ में कोई और नही..

समझदार पत्नियों को समर्पित 🙏

पति : डॉक्टर ने चाय फीकी पीने को कहा है।

पत्नी: अलग अलग चाय नही बनाउंगी, लडडू खा कर पी लेना फीकी लगेगी।
😂😂😂😂😂

        🍀🍀🍀भुली बीसरी यादे ☘☘
        👇👇👇👇👇👇👇👇👇
हमारे बचपन में कपड़े तीन टाइप के ही होते थे •••
स्कूल का ••• घर का ••• और किसी खास मौके का •••
 
अब तो ••• कैज़

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        🍀🍀🍀भुली बीसरी यादे ☘☘
        👇👇👇👇👇👇👇👇👇
हमारे बचपन में कपड़े तीन टाइप के ही होते थे •••
स्कूल का ••• घर का ••• और किसी खास मौके का •••
 
अब तो ••• कैज़ुअल, फॉर्मल, नॉर्मल, स्लीप वियर, स्पोर्ट वियर, पार्टी वियर, स्विमिंग, जोगिंग, संगीत ड्रेस, फलाना - ढिमका •••

जिंदगी आसान बनाने चले थे ••• पर वह कपड़ों की तरह कॉम्प्लिकेटेड हो गयी है •••🤕🤕🤔🤔

 बचपन में पैसा जरूर कम था पर साला उस बचपन में दम था"
.
"पास में महंगे से मंहगा मोबाइल है पर बचपन वाली गायब वो स्माईल है"
.
"न गैलेक्सी, न वाडीलाल, न नैचुरल था, पर घर पर जमीं आइसक्रीम का मजा ही कुछ ओर था"
.
अपनी अपनी बाईक और  कारों में घूम रहें हैं हम पर किराये की उस साईकिल का मजा ही कुछ और था

"बचपन में पैसा जरूर कम था पर यारो उस बचपन में दम था

कभी हम भी बहुत अमीर हुआ करते थे हमारे भी जहाज चला करते थे।

हवा में भी। पानी में भी।

दो दुर्घटनाएं हुई। सब कुछ ख़त्म हो गया।

                पहली दुर्घटना

जब क्लास में हवाई जहाज उड़ाया। टीचर के सिर से टकराया।
स्कूल से निकलने की नौबत आ गई। बहुत फजीहत हुई।
कसम दिलाई गई। औऱ जहाज बनाना और उडाना सब छूट गया।

                 दूसरी दुर्घटना

बारिश के मौसम में, मां ने अठन्नी दी।
चाय के लिए दूध लाना था। कोई मेहमान आया था।
हमने अठन्नी गली की नाली में तैरते अपने जहाज में बिठा दी।
तैरते जहाज के साथ हम शान से चल रहे थे।
ठसक के साथ। खुशी खुशी।
अचानक तेज बहाब आया। और जहाज डूब गया।

साथ में अठन्नी भी डूब गई। ढूंढे से ना मिली।

मेहमान बिना चाय पीये चले गये। फिर जमकर ठुकाई हुई।
घंटे भर मुर्गा बनाया गया। औऱ हमारा पानी में जहाज तैराना भी बंद हो गया।

आज जब प्लेन औऱ क्रूज के सफर की बातें चलती हैं , तो उन दिनों की याद दिलाती हैं।

वो भी क्या जमाना था !

और आज के जमाने में मेरे बेटी ने पंद्रह हजार का मोबाइल गुमाया तो..

मां बोली : कोई बात नहीं ! पापा दूसरा दिला देंगे।

हमें अठन्नी पर मिली सजा याद आ गई।

फिर भी आलम यह है कि आज भी हमारे सर मां-बाप के चरणों में श्रद्धा से झुकते हैं।

औऱ हमारे बच्चे 'यार पापा ! यार मम्मी ! कहकर.. बात करते हैं।
हम प्रगतिशील से.. प्रगतिवान.. हो गये हैं।

कोई लौटा दे.. मेरे बीते हुए दिन।
☔🙏

माँ बाप की लाइफ गुजर जाती है *बेटे की लाइफ बनाने में......*
और बेटा status_ रखता है--- " My wife is my Life"

जबरदस्ती का रिश्ता निभाया नहीं जाता,
किसको अपना बनाया नहीं जाता,
जो दिल के करीब होते है वही अपने होते है,
गेरो को सपनो में बसाया नहीं जाता…

मोहब्बत में कुछ इस तरह वफा करूँ,,
के भूल भी जाओ तुम तो मैं याद करूँ__

मोहब्बत ने बस इतना सिखाया है मुझे,,
की खुद से पहले तुम्हारे लिये दुआ करूँ__!!

मोहब्बत  के  लिए  खूबसूरत  होने  की  कैसी  शर्त !!
इश्क हो जाए तो सब कुछ खूबसूरत लगने लगता है !!

हसने की जुस्तजू में जो दबाया दर्द को

आंसू हमारी आंख में पत्थर के हो गए

एक लड़की थी ..
गली से गुज़रा करती थी....
उसके चेहरे पर नकाब हुआ करता था .....
एक लड़का उस पर दिलों जान से मरता था....
जब भी लड़की गली से आती थी...
तो लड़का कहता था..
अपने चेहरे से नकाब को हटाओ...
और चाँद सा चेहरा मु

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एक लड़की थी ..
गली से गुज़रा करती थी....
उसके चेहरे पर नकाब हुआ करता था .....
एक लड़का उस पर दिलों जान से मरता था....
जब भी लड़की गली से आती थी...
तो लड़का कहता था..
अपने चेहरे से नकाब को हटाओ...
और चाँद सा चेहरा मुझे दिखाओ. ..
लड़की की कुछ ही दिन बाद शादी थी. ..
लड़की ने चेहरे से नकाब को ना हटाया.. .
अपना चाँद सा चेहरा ना दिखाया...
लड़की की शादी हुई ...
लड़का एक हफ्ते तक नज़र नही आया. ...
लड़की परेशान सी रहने लगी...
पुछते पुछते उसके घर जा पहुँची....
तभी घरवालो ने कहा...
म्होतर्मा आपको आने मे थोड़ा देर हो गयी ....
उस दिवाने की तो एक हफ्ते पहले ही मौत हो गयी...
तभी पड़ोस वालो ने अपना फर्ज़ निभाया....
लड़की को लड़के की कब्र तक पहुँचाया...
लड़की जोर-जोर से रोने लगी.....
अपने आँसुओ से कब्र को धोने लगी...
तभी कब्रसे एक आवाज आयी...
समय-समय की बात है...
कल तुम थी नकाब मे...
तो मे था शबाब मे..
आज मै हुँ नकाब मे....
तो तुम हो शबाब मे...
लड़की पूछने लगी....
ऐसा क्यो किया आपने...
तभी कब्र से फिर आवाज़ आयी.. ..
तेरी डोली उठी..
मेरी म्य्यत उठी...
फूल तुझ पे भी बरसे...
फूल मुझ पे भी बरसे....
बस फर्क सिर्फ इतना था...
तू सज कर गयी...और ...मुझे सजाया गया...
तू भी घर को चली...
मै भी घर को चला...
बस फर्क सिर्फ इतना था...
तू उ ठ कर गयी...और..
मुझे उठाया गया...
महफिल वहाँ भी थी...
लोग यहाँ भी थे....
बस फर्क सिर्फ इतना था...
उनका हंसना वहाँ...
इनका रोना यहाँ...
काज़ी उधर भी था...
मौलवी इधर भी था...
दो बोल तेरे भी पड़े...
दो बोल मेरे भी पड़े..
तेरा निकाह पड़ा...
मेरा जनाज़ा पड़ा..
बस फर्क सिर्फ इतना था...
तुझे अपनाया गया.....
मुझे दफनाया गया.....

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