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लोग नहाते है “कुंभ” में
हम नहाते है “श्याम कुण्ड” में
सबके तीर्थ है “चारो धाम”
मेरा तो बस एक ही है तीर्थ
🙏जय श्री श्याम जी🙏
🔔 ऊं श्री राणी सत्यै नमः 🔔
याद करूं मैं नाम लूं दादी जी का...
सिंह चढ़कर वो आ जाए
विपदा आए मन घबराए...
दादी ही मुझको राह दिखाएं
दादी जी की चुनड़ी की छाया में..
परिवार है मेरा
मुझको कमी क्या....
जगत सेठानी पालनहार है मेरी।
⛲ श्री राणी सती दादी जी की जय ⛲
🙏🏻"अम्बर" ने पूछा धरती से कैसी खुशियां छाई,
धरती इठलाकर के बोली श्याम जन्मदिन आयो
कार्तिक शुक्ला एकादसी आई, सब भगतां न घणी बधाई...
धरती अम्बर सगला बोले, जय जय श्री श्याम 👏🏻
श्याम जन्म हुओ आज बधाई सारा भगता ने🙏🏻🍰
🚩🙏🏻 जय श्री श्याम 🙏🏻🚩
राम हृदय में है मेरे, राम ही धड़कन में हैं
राम मेरी आत्मा में, राम ही जीवन में हैं
राम हर पल में है मेरे, राम है हर स्वास में
राम हर आशा में मेरी, राम ही हर आस में
राम ही तो करुणा में है, शांति में
राम हृदय में है मेरे, राम ही धड़कन में हैं
राम मेरी आत्मा में, राम ही जीवन में हैं
राम हर पल में है मेरे, राम है हर स्वास में
राम हर आशा में मेरी, राम ही हर आस में
राम ही तो करुणा में है, शांति में राम हैं
राम ही है एकता में, प्रगती में राम हैं
राम बस भक्तों नहीं, शत्रु के भी चिंतन में हैं
देख ताज के पाप रावण, राम तेरे मन में हैं
राम तेरे मन में हैं, राम मेरे मन में हैं
राम तो घर घर में हैं, राम हर आँगन में हैं
मन से रावण जो निकाले, राम उसके मन में हैं!
🙏🙏
नादान हूँ नादानियां कर जाता हूँ . . . !
दुनिया के चक्कर में तुझे भूल जाता हूँ . . . ! !
यह तेरा बड़प्पन है कि तू मुझे संभाल लेता है . . . !
मेरे गिरने से पहले तू मुझे थाम लेता है . . . ! !
जय श्री राधे कृष्णा
साँवरिया🌷
अब कैसे कहें कि अपना बना लो मुझको,
अपनी बाहों की क़ैद में समा लो मुझको,
एक पल भी बिन तुम्हारे काटना है मुश्किल,
अब तो मुझसे ही चुरा लो मुझको।
🌸 ll ॐ श्री राणीसत्यै नमःll 🌸
जिनके बिन इस जीवन की..
हर समृद्धि आधी..
"तेजस" वही शक्ति परम..
श्री झुंझनू वाली "दादी"..
🌸🍃 ll नमो नारायणी l| 🍃🌸
🙏जय श्री राम🙏
भगवान ने स्वयं कहा है-
"तेरे हर रूप में मैं हूं,
तुझमें भी मैं ही हूं।
पाप भी मैं, पुण्य भी मैं
कर्म भी मै
🙏जय श्री राम🙏
भगवान ने स्वयं कहा है-
"तेरे हर रूप में मैं हूं,
तुझमें भी मैं ही हूं।
पाप भी मैं, पुण्य भी मैं
कर्म भी मैं, फल भी मैं
मुश्किल भी मैं,हल भी मैं
तेरे जीवन का आरंभ और अंत
मैं ही हूं।"
"मेरी सबसे सुन्दर रचना है मनुष्य,
और उससे भी सुन्दर रचना है
इमानदार मनुष्य।"
मैं तुम्हारे साथ कल भी था,
आज भी हूं और कल भी रहूंगा।"
मैं तुम्हारा मित्र हूं,
जब भी मुझे सच्चे मन से बुलाओगे,
मैं तुम्हारे पास ही तुम्हें मिलूंगा ।"
"अहम्" से ऊँचा कोई "आसमान" नहीं।
किसी की "बुराई" करने जैसा "आसान" कोई काम नहीं।
"स्वयं" को पहचानने से अधिक कोई "ज्ञान" नहीं।
और "क्षमा" करने से बड़ा कोई "दान" नहीं।
🙏🙏🙏🙏🙏
चरणों में रहते रहते दादी इतना भरोसा हो गया...
अब मैं हु तेरा और तु है मेरी बस जन्मों का रिश्ता हो गया..
🌹जय दादी की🌹
🌸।।श्री राणी सत्यै नमः।।🌸
दादी नाम कृपा सागर
रोज डुबकी लगाया करो
दादी मूरत सर्व मंगलकारी
सदा चित्त में बसाया करो।
रामचरितमानस की चौपाइयों में ऐसी क्षमता है कि इन चौपाइयों के जप से ही मनुष्य बड़े-से-बड़े संकट में भी मुक्त हो जाता है।
इन मंत्रो का जीवन में प्रयोग अवश्य करे प्रभु श्रीराम आप के जीवन को सुखमय बना
रामचरितमानस की चौपाइयों में ऐसी क्षमता है कि इन चौपाइयों के जप से ही मनुष्य बड़े-से-बड़े संकट में भी मुक्त हो जाता है।
इन मंत्रो का जीवन में प्रयोग अवश्य करे प्रभु श्रीराम आप के जीवन को सुखमय बना देगे।
1. रक्षा के लिए
मामभिरक्षक रघुकुल नायक |
घृत वर चाप रुचिर कर सायक ||
2. विपत्ति दूर करने के लिए
राजिव नयन धरे धनु सायक |
भक्त विपत्ति भंजन सुखदायक ||
3. *सहायता के लिए
मोरे हित हरि सम नहि कोऊ |
एहि अवसर सहाय सोई होऊ ||
4. सब काम बनाने के लिए
वंदौ बाल रुप सोई रामू |
सब सिधि सुलभ जपत जोहि नामू ||
5. वश मे करने के लिए
सुमिर पवन सुत पावन नामू |
अपने वश कर राखे राम ||
6. संकट से बचने के लिए
दीन दयालु विरद संभारी |
हरहु नाथ मम संकट भारी ||
7. विघ्न विनाश के लिए
सकल विघ्न व्यापहि नहि तेही |
राम सुकृपा बिलोकहि जेहि ||
8. रोग विनाश के लिए
राम कृपा नाशहि सव रोगा |
जो यहि भाँति बनहि संयोगा ||
9. ज्वार ताप दूर करने के लिए
दैहिक दैविक भोतिक तापा |
राम राज्य नहि काहुहि व्यापा ||
10. दुःख नाश के लिए
राम भक्ति मणि उस बस जाके |
दुःख लवलेस न सपनेहु ताके ||
11. खोई चीज पाने के लिए
गई बहोरि गरीब नेवाजू |
सरल सबल साहिब रघुराजू ||
12. अनुराग बढाने के लिए
सीता राम चरण रत मोरे |
अनुदिन बढे अनुग्रह तोरे ||
13. घर मे सुख लाने के लिए
जै सकाम नर सुनहि जे गावहि |
सुख सम्पत्ति नाना विधि पावहिं ||
14. सुधार करने के लिए
मोहि सुधारहि सोई सब भाँती |
जासु कृपा नहि कृपा अघाती ||
15. विद्या पाने के लिए
गुरू गृह पढन गए रघुराई |
अल्प काल विधा सब आई ||
16. सरस्वती निवास के लिए
जेहि पर कृपा करहि जन जानी |
कवि उर अजिर नचावहि बानी ||
17. निर्मल बुद्धि के लिए
ताके युग पदं कमल मनाऊँ |
जासु कृपा निर्मल मति पाऊँ ||
18. मोह नाश के लिए
होय विवेक मोह भ्रम भागा |
तब रघुनाथ चरण अनुरागा ||
19. प्रेम बढाने के लिए
सब नर करहिं परस्पर प्रीती |
चलत स्वधर्म कीरत श्रुति रीती ||
20. प्रीति बढाने के लिए
बैर न कर काह सन कोई |
जासन बैर प्रीति कर सोई ||
21. सुख प्रप्ति के लिए
अनुजन संयुत भोजन करही |
देखि सकल जननी सुख भरहीं ||
22. भाई का प्रेम पाने के लिए
सेवाहि सानुकूल सब भाई |
राम चरण रति अति अधिकाई ||
23. बैर दूर करने के लिए
बैर न कर काहू सन कोई |
राम प्रताप विषमता खोई ||
24. मेल कराने के लिए
गरल सुधा रिपु करही मिलाई |
गोपद सिंधु अनल सितलाई ||
25. शत्रु नाश के लिए
जाके सुमिरन ते रिपु नासा |
नाम शत्रुघ्न वेद प्रकाशा ||
26. रोजगार पाने के लिए
विश्व भरण पोषण करि जोई |
ताकर नाम भरत अस होई ||
27. इच्छा पूरी करने के लिए
राम सदा सेवक रूचि राखी |
वेद पुराण साधु सुर साखी ||
28. पाप विनाश के लिए
पापी जाकर नाम सुमिरहीं |
अति अपार भव भवसागर तरहीं ||
29. अल्प मृत्यु न होने के लिए
अल्प मृत्यु नहि कबजिहूँ पीरा |
सब सुन्दर सब निरूज शरीरा ||
30. दरिद्रता दूर के लिए
नहि दरिद्र कोऊ दुःखी न दीना |
नहि कोऊ अबुध न लक्षण हीना |
31. प्रभु दर्शन पाने के लिए
अतिशय प्रीति देख रघुवीरा |
प्रकटे ह्रदय हरण भव पीरा ||
32. शोक दूर करने के लिए
नयन बन्त रघुपतहिं बिलोकी |
आए जन्म फल होहिं विशोकी ||
33. क्षमा माँगने के लिए
अनुचित बहुत कहहूँ अज्ञाता |
क्षमहुँ क्षमा मन्दिर दोऊ भ्राता ||
एक प्रसंग हनुमान जी कौन हैं ।
पार्वती जी ने शंकर जी से कहा - भगवन अपने इस भक्त को कैलाश आने से रोक दीजिए, वरना किसी दिन मैं इसे अग्नि में भस्म कर दूंगी।
यह जब भी आता है, मैं बहुत असहज हो जाती हूँ।
एक प्रसंग हनुमान जी कौन हैं ।
पार्वती जी ने शंकर जी से कहा - भगवन अपने इस भक्त को कैलाश आने से रोक दीजिए, वरना किसी दिन मैं इसे अग्नि में भस्म कर दूंगी।
यह जब भी आता है, मैं बहुत असहज हो जाती हूँ। यह बात मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है। आप इसे समझा दीजिए, यह कैलाश में प्रवेश न करें।
शिव जी जानते थे कि पार्वती सिर्फ उनके वरदान की मर्यादा रखने के लिए रावण को कुछ नहीं कहती हैं।
वह चुपचाप उठकर बाहर आकर देखते हैं। रावण नंदी को परेशान कर रहा है।
शिव जी को देखते ही वह हाथ जोड़कर प्रणाम करता है। प्रणाम महादेव।
आओ दशानन कैसे आना हुआ ?
मैं तो बस आप के दर्शन करने के लिए आ गया था महादेव।
अखिर महादेव ने उसे समझाना शुरू किया। देखो रावण तुम्हारा यहां आना पार्वती को बिल्कुल भी पसंद नहीं है। इसलिए तुम यहां मत आया करो।
महादेव यह आप कह रहे हैं। आप ही ने तो मुझे किसी भी समय आप के दर्शन के लिए कैलाश पर्वत पर आने का वरदान दिया है।
और अब आप ही अपने वरदान को वापस ले रहे हैं। ऐसी बात नहीं है रावण।
लेकिन तुम्हारे क्रिया कलापों से पार्वती परेशान रहती है और किसी दिन उसने तुम्हें श्राप दे दिया तो मैं भी कुछ नहीं कर पाऊंगा। इसलिए बेहतर यही है कि तुम यहां पर न आओ।
फिर आप का वरदान तो मिथ्या हो गया महादेव।
मैं तुम्हें आज एक और वरदान देता हूं। तुम जब भी मुझे याद करोगे। मैं स्वयं ही तुम्हारे पास आ जाऊंगा। लेकिन तुम अब किसी भी परिस्थिति में कैलाश पर्वत पर मत आना।
अब तुम यहां से जाओ, पार्वती तुमसे बहुत रुष्ट है। रावण चला जाता है।
समय बदलता है हनुमानजी रावण की स्वर्ण नगरी लंका को जला कर राख करके चले जाते हैं। और रावण उनका कुछ नहीं कर सकता है।
वह सोचते-सोचते परेशान हो जाता है कि आखिर उस हनुमान में इतनी शक्ति आई कहां से।
परेशान हो कर वह महल में ही स्थित शिव मंदिर में जाकर शिवजी की प्रार्थना आरम्भ करता है।
जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले।
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्।।
उसकी प्रार्थना से शिव प्रसन्न होकर प्रकट होते हैं। रावण अभिभूत हो कर उनके चरणों में गिर पड़ता है।
कहो दशानन कैसे हो ? शिवजी पूछते हैं।
आप अंतर्यामी हैं महादेव। सब कुछ जानते हैं प्रभु।
एक अकेले बंदर ने मेरी लंका को और मेरे दर्प को भी जला कर राख कर दिया।
मैं जानना चाहता हूं कि यह बंदर जिसका नाम हनुमान है आखिर कौन है ?
और प्रभु उसकी पूंछ तो और भी ज्यादा शक्तिशाली थी। किस तरह सहजता से मेरी लंका को जला दिया। मुझे बताइए कि यह हनुमान कौन है ?
शिव जी मुस्कुराते हुए रावण की बात सुनते रहते हैं। और फिर बताते हैं कि रावण यह हनुमान और कोई नहीं मेरा ही रूद्र अवतार है।
विष्णु ने जब यह निश्चय किया कि वे पृथ्वी पर अवतार लेंगे और माता लक्ष्मी भी साथ ही अवतरित होंगी। तो मेरी इच्छा हुई कि मैं भी उनकी लीलाओं का साक्षी बनूं।
और जब मैंने अपना यह निश्चय पार्वती को बताया तो वह हठ कर बैठी कि मैं भी साथ ही रहूंगी। लेकिन यह समझ नहीं आया कि उसे इस लीला में किस तरह भागीदार बनाया जाए।
तब सभी देवताओं ने मिलकर मुझे यह मार्ग बताया। आप तो बंदर बन जाइये और शक्ति स्वरूपा पार्वती देवी आपकी पूंछ के रूप में आपके साथ रहे, तभी आप दोनों साथ रह सकते हैं।
और उसी अनुरूप मैंने हनुमान के रूप में जन्म लेकर राम जी की सेवा का व्रत रख लिया और शक्ति रूपा पार्वती ने पूंछ के रूप में और उसी सेवा के फल स्वरूप तुम्हारी लंका का दहन किया।
अब सुनो रावण! तुम्हारे उद्धार का समय आ गया है। अतः श्री राम के हाथों तुम्हारा उद्धार होगा। मेरा परामर्श है कि तुम युद्ध के लिए सबसे अंत में प्रस्तुत होना। जिससे कि तुम्हारा समस्त राक्षस परिवार भगवान श्री राम के हाथों से मोक्ष को प्राप्त करें और तुम सभी का उद्धार हो जाए।
*रावण को सारी परिस्थिति का ज्ञान होता है और उस अनुरूप वह युद्ध की तैयारी करता है और अपने पूरे परिवार को राम जी के समक्ष युद्ध के लिए पहले भेजता है और सबसे अंत में स्वयं मोक्ष को प्राप्त होता है।
ll जयसियारामजी lll ॐनमःशिवाय ll*
कृष्ण प्रिया राधा का रहस्य, पढ़ें 3 पौराणिक कथा....
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कथा 1 - राधा द्वापर युग में श्री वृषभानु के घर प्रगट होती हैं। कहते हैं कि एक बार श्रीराधा गोलोकविहारी से रूठ गईं। इसी समय गोप सुदामा प्रकट
कृष्ण प्रिया राधा का रहस्य, पढ़ें 3 पौराणिक कथा....
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कथा 1 - राधा द्वापर युग में श्री वृषभानु के घर प्रगट होती हैं। कहते हैं कि एक बार श्रीराधा गोलोकविहारी से रूठ गईं। इसी समय गोप सुदामा प्रकट हुए। राधा का मान उनके लिए असह्य हो हो गया।
उन्होंने श्रीराधा की भर्त्सना की, इससे कुपित होकर राधा ने कहा- सुदामा! तुम मेरे हृदय को सन्तप्त करते हुए असुर की भांति कार्य कर रहे हो, अतः तुम असुरयोनि को प्राप्त हो। सुदामा कांप उठे, बोले-गोलोकेश्वरी ! तुमने मुझे अपने शाप से नीचे गिरा दिया। मुझे असुरयोनि प्राप्ति का दुःख नहीं है, पर मैं कृष्ण वियोग से तप्त हो रहा हूं। इस वियोग का तुम्हें अनुभव नहीं है अतः एक बार तुम भी इस दुःख का अनुभव करो। सुदूर द्वापर में श्रीकृष्ण के अवतरण के समय तुम भी अपनी सखियों के साथ गोप कन्या के रूप में जन्म लोगी और श्रीकृष्ण से विलग रहोगी। सुदामा को जाते देखकर श्रीराधा को अपनी त्रृटि का आभास हुआ और वे भय से कातर हो उठी। तब लीलाधारी कृष्ण ने उन्हें सांत्वना दी कि हे देवी ! यह शाप नहीं, अपितु वरदान है। इसी निमित्त से जगत में तुम्हारी मधुर लीला रस की सनातन धारा प्रवाहित होगी, जिसमे नहाकर जीव अनन्तकाल तक कृत्य-कृत्य होंगे। इस प्रकार पृथ्वी पर श्री राधा का अवतरण द्वापर में हुआ।
कथा 2 - नृग पुत्र राजा सुचन्द्र और पितरों की मानसी कन्या कलावती ने द्वादश वर्षो तक तप करके श्रीब्रह्मा से राधा को पुत्री रूप में प्राप्ति का वरदान मांगा। फलस्वरूप द्वापर में वे राजा वृषभानु और रानी कीर्तिदा के रूप में जन्मे। दोनों पति-पत्नी बने। धीरे-धीरे श्रीराधा के अवतरण का समय आ गया। सम्पूर्ण व्रज में कीर्तिदा के गर्भधारण का समाचार सुख स्त्रोत बन कर फैलने लगा, सभी उत्कण्ठा पूर्वक प्रतीक्षा करने लगे। वह मुहूर्त आया। भाद्रपद की शुक्ला अष्टमी चन्द्रवासर मध्यान्ह के समये आकाश मेघाच्छन्न हो गया। सहसा एक ज्योति प्रसूति गृह में फैल गई यह इतनी तीव्र ज्योति थी कि सभी के नेत्र बंद हो गए। एक क्षण पश्चात् गोपियों ने देखा कि शत-सहस्त्र शरतचन्द्रों की कांति के साथ एक नन्हीं बालिका कीर्तिदा मैया के समक्ष लेटी हुई है। उसके चारों ओर दिव्य पुष्पों का ढेर है। उसके अवतरण के साथ नदियों की धारा निर्मल हो गई, दिशाएं प्रसन्न हो उठी, शीतल मन्द पवन अरविन्द से सौरभ का विस्तार करते हुए बहने लगी।
कथा 3 : पद्मपुराण में राधा का अवतरण
पद्मपुराण में भी एक कथा मिलती है कि श्री वृषभानुजी यज्ञ भूमि साफ कर रहे थे, तो उन्हें भूमि कन्या रूप में श्रीराधा प्राप्त हुई। यह भी माना जाता है कि विष्णु के अवतार के साथ अन्य देवताओं ने भी अवतार लिया, वैकुण्ठ में स्थित लक्ष्मीजी राधा रूप में अवतरित हुई। कथा कुछ भी हो, कारण कुछ भी हो राधा बिना तो कृष्ण हैं ही नहीं। राधा का उल्टा होता है धारा, धारा का अर्थ है करंट, यानि जीवन शक्ति। भागवत की जीवन शक्ति राधा है। कृष्ण देह है, तो श्रीराधा आत्मा। कृष्ण शब्द है, तो राधा अर्थ। कृष्ण गीत है, तो राधा संगीत। कृष्ण वंशी है, तो राधा स्वर। भगवान् ने अपनी समस्त संचारी शक्ति राधा में समाहित की है। इसलिए कहते हैं-
जहां कृष्ण राधा तहां जहं राधा तहं कृष्ण।
✍️ठाकुर जी ने कहा :- कुछ मांगों।
✍️मैंने उनसे उन्हें ही मांग लिया।
ठाकुर जी ने कहा :- मुझे नहीं, कुछ और मांगों।
मैंने कहा :- राधा के श्याम दे दो।
ठाकुर जी ने कहा :- अरे बाबा, मुझे नहीं कुछ और म
✍️ठाकुर जी ने कहा :- कुछ मांगों।
✍️मैंने उनसे उन्हें ही मांग लिया।
ठाकुर जी ने कहा :- मुझे नहीं, कुछ और मांगों।
मैंने कहा :- राधा के श्याम दे दो।
ठाकुर जी ने कहा :- अरे बाबा, मुझे नहीं कुछ और मांगों।
मैंने कहा :- मीरा के गिरिधर दे दो।
ठाकुर जी ने फिर कहा :- तुम्हें बोला ना कुछ और मांगों।
मैंने कहा :- अर्जुन के पार्थ दे दो।
अब तो ठाकुर जी ने पूछना ही बंद कर दिया। केवल इशारे से बोले :- कुछ और।
अब तो मैं भी शुरू हो गया :-
यशोदा मईया का लल्ला दे दो।
गईया का गोपाल दे दो।
सुदामा का सखा दे दो।
जना बाई के विठ्ठल दे दो।
हरिदास के बिहारी दे दो।
सूरदास के श्रीनाथ दे दो।
तुलसी के राम दे दो।
ठाकुर जी पूछ रहे है :- तेरी सुई मेरे पे ही आके क्यों अटकती हैं ?
मैंने भी कह दिया :- क्या करूँ प्यारे।
✍️जैसे घड़ी की बैटरी जब खत्म होने वाला होता है तो उसकी सुई एक ही जगह खडी-खडी, थोड़ी-थोड़ी हिलती रहती हैं।
बस ऐसा ही कुछ मेरे जीवन का हैं। श्वास रूपी सैल पता नहीं कब खत्म हों जायें।
✍️संसार के चक्कर काट-काट कर सैकड़ों बार तेरे पास आया।लेकिन अपने मद में चूर फिर वापिस लौट गया।
दादी नाम के दो अक्षर में ना जाने कैसा बल है
नामोच्चार से खत्म हो जाता मन का मैल सब है
गदगद होता कंठ नयन से स्रावित होता जल है
पुलकित होता हृदय ध्यान दादी का आता हर पल है
यही चाह है दादी नाम जप का ये तार ना टूटे
सब छूटे तो छूटे दादी तेरा ध्यान कभी ना छूटे
🌷जय जय दादी माँ🌷
दादी तेरे आँचल की छाया तले , निभ रही है ये ज़िन्दगी ......
तुम जैसे रखो ये तुम्हारी मर्ज़ी है मावड़ी .....
बस एक विनती है मेरी ये तुमसे .....
हर पल साथ खड़ी रहना हमारे .......
🙏🌺जय जय दादी माँ 🌺🙏
🌺ll ॐ श्री राणीसत्यै नमःll🌺
सब इच्छा सती आपकी .... मम् इच्छा नहीं कोई ....
जो तू चाहे जगत में .... सोई प्रतिपल होई ....
कर्म मेरो कर्ता तुम्हीं .... जीवन की आधार ....
आप नाम में सीमित है माँ .... " हम भक्तौं " को संसार ....
🌺ll नमो नारायणी l|🌺
हे मेरे श्याम..
कोई शायर तो
कोई फकीर बन जाये,
तुझे जो देखे वो
खुद तस्वीर बन जाये..
ना फूलों की ज़रूरत
ना कलियों की,
तू जहाँ पैर रख दे,
वही खाटू धाम बन जाये..!!
🎠🎠🎠जय श्री श्याम🎠🎠🎠
बंद किस्मत के लिये कोई ताली नहीं होती।
सूखी उम्मीदों की कोई डाली नहीं होती।
जो झुक जाये बाबाश्याम के चरणों में
उसकी झोली कभी खाली नहीं होती।
।। जय श्री श्याम।।
खाटू श्याम स्तुति
हाथ जोड़ विनती करूं सुनियो जित लगाए,
दास आ गयो शरण में रखियो इसकी लाज,
धन्य ढूंढारो देश हे खाटू नगर सुजान,
अनुपम छवि श्री श्याम की दर्शन से कल्याण ।
श्याम श्याम तो में
खाटू श्याम स्तुति
हाथ जोड़ विनती करूं सुनियो जित लगाए,
दास आ गयो शरण में रखियो इसकी लाज,
धन्य ढूंढारो देश हे खाटू नगर सुजान,
अनुपम छवि श्री श्याम की दर्शन से कल्याण ।
श्याम श्याम तो में रटूं श्याम हैं जीवन प्राण,
श्याम भक्त जग में बड़े उनको करू प्रणाम,
खाटू नगर के बीच में बण्यो आपको धाम,
फाल्गुन शुक्ल मेला भरे जय जय बाबा श्याम ।
फाल्गुन शुक्ला द्वादशी उत्सव भरी होए,
बाबा के दरबार से खाली जाये न कोए,
उमा पति लक्ष्मी पति सीता पति श्री राम,
लज्जा सब की रखियो खाटू के बाबा श्याम ।
पान सुपारी इलायची इत्तर सुगंध भरपूर,
सब भक्तो की विनती दर्शन देवो हजूर,
आलू सिंह तो प्रेम से धरे श्याम को ध्यान,
श्याम भक्त पावे सदा श्याम कृपा से मान ।
जय श्री श्याम बोलो जय श्री श्याम,
खाटू वाले बाबा जय श्री श्याम,
लीलो घोड़ो लाल लगाम,
जिस पर बैठ्यो बाबो श्याम ।
ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।
खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे।
ॐ जय श्री श्याम हरे..
रतन जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुरे।
तन केसरिया बागो, कुंडल श्रवण पड़े।
ॐ जय श्री श्याम
ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।
खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे।
ॐ जय श्री श्याम हरे..
रतन जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुरे।
तन केसरिया बागो, कुंडल श्रवण पड़े।
ॐ जय श्री श्याम हरे..
गल पुष्पों की माला, सिर पार मुकुट धरे।
खेवत धूप अग्नि पर दीपक ज्योति जले।
ॐ जय श्री श्याम हरे..
मोदक खीर चूरमा, सुवरण थाल भरे।
सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करे।
ॐ जय श्री श्याम हरे..
झांझ कटोरा और घडियावल, शंख मृदंग घुरे।
भक्त आरती गावे, जय-जयकार करे।
ॐ जय श्री श्याम हरे..
जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उबरे।
सेवक जन निज मुख से, श्री श्याम-श्याम उचरे।
ॐ जय श्री श्याम हरे..
श्री श्याम बिहारी जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत भक्तजन, मनवांछित फल पावे।
ॐ जय श्री श्याम हरे..
जय श्री श्याम हरे, बाबा जी श्री श्याम हरे।
निज भक्तों के तुमने, पूरण काज करे।
ॐ जय श्री श्याम हरे..
क्या है कृष्ण होने के मायने ?
♦️पहली गाली पर 'सर काटने' की शक्ति होने बाद भी; यदि 99 और गाली सुनने का 'सामर्थ्य' है, तो वो कृष्ण है।
♦️'सुदर्शन' जैसा शस्त्र होने के बाद भी; यदि हाथ में हमे
क्या है कृष्ण होने के मायने ?
♦️पहली गाली पर 'सर काटने' की शक्ति होने बाद भी; यदि 99 और गाली सुनने का 'सामर्थ्य' है, तो वो कृष्ण है।
♦️'सुदर्शन' जैसा शस्त्र होने के बाद भी; यदि हाथ में हमेशा 'मुरली' है, तो वो कृष्ण है।
♦️'द्वारिका' का वैभव होने के बाद भी; यदि 'सुदामा" मित्र है, तो वो कृष्ण है।
♦️'मृत्यु' के फन पर मौजूद होने पर भी; यदि 'नृत्य' करे तो, वो कृष्ण है।
♦️'सर्वसामर्थ्य' होने पर भी; जो यदि 'सारथी' बने, तो वो कृष्ण है।
♦️ भारत ही नही अपितु पूरे विश्व के 240 देशों जिनके अनुयायी व मंदिर होने के बावजूद मथुरा में अपने भव्य मंदिर का प्रतीक्षा कर रहे वो कृष्ण है।
🙏 पितरों को नमन🙏
वो कल थे तो आज हम हैं उनके ही तो अंश हम हैं..
जीवन मिला उन्हीं से उनके कृतज्ञ हम हैं..
सदियों से चलती आयी श्रंखला की कड़ी हम हैं..
गुण धर्म उनके ही दिये उनके प्रतीक हम हैं..
रीत
🙏 पितरों को नमन🙏
वो कल थे तो आज हम हैं उनके ही तो अंश हम हैं..
जीवन मिला उन्हीं से उनके कृतज्ञ हम हैं..
सदियों से चलती आयी श्रंखला की कड़ी हम हैं..
गुण धर्म उनके ही दिये उनके प्रतीक हम हैं..
रीत रिवाज़ उनके हैं दिये संस्कारों में उनके हम हैं..
देखा नहीं सब पुरखों को पर उनके ऋणी तो हम हैं..
पाया बहुत उन्हीं से पर न जान पाते हम हैं..
दिखते नहीं वो हमको पर उनकी नज़र में हम हैं..
देते सदा आशीष हमको धन्य उनसे हम हैं..
खुश होते उन्नति से दुखी होते अवनति से
देते हमें सहारा उनकी संतान जो हम हैं..
इतने जो दिवस मनाते मित्रता प्रेम आदि के
पितरों को भी याद कर लें.. जिनकी वजह से हम हैं..
आओ नमन कर लें कृतज्ञ हो लें क्षमा माँग लें आशीष ले लें
पितरों से जो चाहते हमारा भला उनके जो अंश हम हैं..
🚩पितर देवता को सादर प्रणाम🚩
प्यार दे कर जो हमें विदा हुए संसार से,
आओ उनका स्वागत करें आज से।
वो हुए पुरखो में शामिल जो कभी थे साथ में,
आज से नमन करेंगे हम मन के द्वार से।
पितर चरण में नमन करें, ध्
🚩पितर देवता को सादर प्रणाम🚩
प्यार दे कर जो हमें विदा हुए संसार से,
आओ उनका स्वागत करें आज से।
वो हुए पुरखो में शामिल जो कभी थे साथ में,
आज से नमन करेंगे हम मन के द्वार से।
पितर चरण में नमन करें, ध्यान धरें दिन रात।
कृपा दृष्टि हम पर करें, सिर पर धर दें हाथ।
ये कुटुम्ब है आपका, आपका है परिवार।
आपके आशीर्वाद से, फले - फूले संसार।
भूल -चूक सब क्षमा करें, करें महर भरपूर।
सुख सम्पति से घर भरें, कष्ट करें सब दूर।
आप हमारे हृदय में, आपकी हम संतान।
आपके नाम से है जुड़ी, मेरी हर पहचान।
सभी पितरो को सादर🌷नमन🌷👏