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राम हृदय में है मेरे, राम ही धड़कन में हैं
राम मेरी आत्मा में, राम ही जीवन में हैं
राम हर पल में है मेरे, राम है हर स्वास में
राम हर आशा में मेरी, राम ही हर आस में
राम ही तो करुणा में है, शांति में
राम हृदय में है मेरे, राम ही धड़कन में हैं
राम मेरी आत्मा में, राम ही जीवन में हैं
राम हर पल में है मेरे, राम है हर स्वास में
राम हर आशा में मेरी, राम ही हर आस में
राम ही तो करुणा में है, शांति में राम हैं
राम ही है एकता में, प्रगती में राम हैं
राम बस भक्तों नहीं, शत्रु के भी चिंतन में हैं
देख ताज के पाप रावण, राम तेरे मन में हैं
राम तेरे मन में हैं, राम मेरे मन में हैं
राम तो घर घर में हैं, राम हर आँगन में हैं
मन से रावण जो निकाले, राम उसके मन में हैं!
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➖बहुत सुन्दर प्रसंग रामचरितमानस➖
जब तें रामु ब्याहि घर आए।
नित नव मंगल मोद बधाए॥🚩
भुवन चारिदस भूधर भारी।
सुकृत मेघ बरष
➖बहुत सुन्दर प्रसंग रामचरितमानस➖
जब तें रामु ब्याहि घर आए।
नित नव मंगल मोद बधाए॥🚩
भुवन चारिदस भूधर भारी।
सुकृत मेघ बरषहिं सुख बारी॥🚩
रिधि सिधि संपति नदीं सुहाई।
उमगि अवध अंबुधि कहुँ आई॥🚩
मनिगन पुर नर नारि सुजाती।
सुचि अमोल सुंदर सब भाँती॥🚩
कहि न जाइ कछु नगर बिभूती।
जनु एतनिअ बिरंचि करतूती॥🚩
सब बिधि सब पुर लोग सुखारी।
रामचंद मुख चंदु निहारी॥🚩
मुदित मातु सब सखीं सहेली।
फलित बिलोकि मनोरथ बेली॥🚩
राम रूपु गुन सीलु सुभाऊ।
प्रमुदित होइ देखि सुनि राऊ॥🚩
भावार्थ:-जब से श्री रामचन्द्रजी विवाह करके घर आए, तब से (अयोध्या में) नित्य नए मंगल हो रहे हैं और आनंद के बधावे बज रहे हैं। चौदहों लोक रूपी बड़े भारी पर्वतों पर पुण्य रूपी मेघ सुख रूपी जल बरसा रहे हैं॥🚩
रिधि सिधि संपति नदीं सुहाई।
उमगि अवध अंबुधि कहुँ आई॥🚩
मनिगन पुर नर नारि सुजाती।
सुचि अमोल सुंदर सब भाँती॥🚩
भावार्थ:-ऋद्धि-सिद्धि और सम्पत्ति रूपी सुहावनी नदियाँ उमड़-उमड़कर अयोध्या रूपी समुद्र में आ मिलीं। नगर के स्त्री-पुरुष अच्छी जाति के मणियों के समूह हैं, जो सब प्रकार से पवित्र, अमूल्य और सुंदर हैं॥🚩
कहि न जाइ कछु नगर बिभूती।
जनु एतनिअ बिरंचि करतूती॥🚩
सब बिधि सब पुर लोग सुखारी।
रामचंद मुख चंदु निहारी॥🚩
भावार्थ:-नगर का ऐश्वर्य कुछ कहा नहीं जाता। ऐसा जान पड़ता है, मानो ब्रह्माजी की कारीगरी बस इतनी ही है। सब नगर निवासी श्री रामचन्द्रजी के मुखचन्द्र को देखकर सब प्रकार से सुखी हैं॥🚩
मुदित मातु सब सखीं सहेली।
फलित बिलोकि मनोरथ बेली॥🚩
राम रूपु गुन सीलु सुभाऊ।
प्रमुदित होइ देखि सुनि राऊ॥🚩
भावार्थ:-सब माताएँ और सखी-सहेलियाँ अपनी मनोरथ रूपी बेल को फली हुई देखकर आनंदित हैं। श्री रामचन्द्रजी के रूप, गुण, शील और स्वभाव को देख-सुनकर राजा दशरथजी बहुत ही आनंदित होते हैं॥🚩
➖जय हो प्रभु राम की➖जय हो राजाराम की➖
🌺🌼...ओ मेरे राम प्यारे ...🌼🌺
मेरे राम मुझको देना सहारा ,
कही छूट जाये न दामन तुम्हारा ॥
मेरे राम मुझको देना सहारा,
कही छूट जाये न दामन तुम्हारा।।
दामन तुम्हारा, दामन तुम्हारा,
दामन तुम्हारा दा
🌺🌼...ओ मेरे राम प्यारे ...🌼🌺
मेरे राम मुझको देना सहारा ,
कही छूट जाये न दामन तुम्हारा ॥
मेरे राम मुझको देना सहारा,
कही छूट जाये न दामन तुम्हारा।।
दामन तुम्हारा, दामन तुम्हारा,
दामन तुम्हारा दामन,
कही छूट जाये न दामन तुम्हारा।।
इशारो से मुझको बुलाती ये दुनिया,
तेरे रास्ते से हटाती ये दुनिया,
तेरा नाम मुझको है प्राणो से प्यारा,
कही छूट जाये न दामन तुम्हारा।।
आओ कही हो ना जाये देरी,
भाग्य बना है अपनी प्रीत में बैरि,
आके दिखा दो राम प्रीत का नजारा,
कही छूट जाये न दामन तुम्हारा।।
बचपन से प्रीत राम तुमसे ही जोड़ी,
कही टूट जाये ना प्रीत की डोरी,
जल्दी से आओ राम तेरा सहारा,
कही छूट जाये न दामन तुम्हारा।।
तेरे सिवा दिल में समाये न कोई,
लगन का ये दीपक बुझाए कोई,
तू ही मेरी कश्ती राम तूही किनारा,
कही छूट जाये न दामन तुम्हारा।।
मेरे राम मुझको देना सहारा,
कही छूट जाये न दामन तुम्हारा।।
दामन तुम्हारा, दामन तुम्हारा,
दामन तुम्हारा दामन,
कही छूट जाये न दामन तुम्हारा।।
💞🌺🌼...जय जय सीताराम...🌼🌺