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एक दिन एक कुत्ता जंगल में रास्ता खो गया..
तभी उसने देखा, एक शेर उसकी तरफ आ रहा है..।
कुत्ते की सांस रूक गयी..
"आज तो काम तमाम मेरा..!" उसने सोचा..
MBA ka lesson yaad aa gaya aur
फिर उसने सामने कुछ सूखी हड्डियाँ पड़ी देखि..
वो आ
एक दिन एक कुत्ता जंगल में रास्ता खो गया..
तभी उसने देखा, एक शेर उसकी तरफ आ रहा है..।
कुत्ते की सांस रूक गयी..
"आज तो काम तमाम मेरा..!" उसने सोचा..
MBA ka lesson yaad aa gaya aur
फिर उसने सामने कुछ सूखी हड्डियाँ पड़ी देखि..
वो आते हुए शेर की तरफ पीठ कर के बैठ गया और एक सूखी हड्डी को चूसने लगा..
और जोर जोर से बोलने लगा,
"वाह ! शेर को खाने का मज़ा ही कुछ और है.. एक और मिल जाए तो पूरी दावत हो जायेगी !"
और उसने जोर से डकार मारा.. इस बार शेर सोच में पड़ गया..
उसने सोचा- "ये कुत्ता तो शेर का शिकार करता है ! जान बचा कर भागो !"
और शेर वहां से जान बचा के भागा..
पेड़ पर बैठा एक बन्दर यह सब तमाशा देख रहा था..
उसने सोचा यह मौका अच्छा है शेर को सारी कहानी बता देता
हूँ ..
शेर से दोस्ती हो जायेगी और उससे ज़िन्दगी भर के लिए जान का खतरा दूर हो जायेगा..
वो फटाफट शेर के पीछे भागा..
कुत्ते ने बन्दर को जाते हुए देख लिया और समझ गया की कोई लोचा है..
उधर बन्दर ने शेर को सब बता दिया की कैसे कुत्ते ने उसे बेवकूफ बनाया है..
शेर जोर से दहाडा, -"चल मेरे साथ, अभी उसकी लीला ख़तम करता हूँ".. और बन्दर को अपनी पीठ पर बैठा कर शेर कुत्ते की तरफ लपका..
Can you imagine the quick "management" by the DOG...???
कुत्ते ने शेर को आते देखा तो एक बार को उसके आगे जान का संकट आ गया मगर फिर हिम्मत कर कुत्ता उसकी तरफ पीठ करके बैठ गया l
Another lesson of MBA applied aur जोर जोर से बोलने लगा,-
"इस बन्दर को भेजे 1 घंटा हो गया..
साला एक शेर को फंसा कर नहीं ला सकता !"
यह सुनते ही शेर ने बंदर को पटका और वापस भाग गया ।'
Be a Smart Worker rather than a Hard Worker
😎
गुरूजी विद्यालय से घर लौट रहे थे ।
रास्ते में एक नदी पड़ती थी ।
नदी पार करने लगे तो ना जाने क्या सूझा ,
एक पत्थर पर बैठ अपने झोले में से पेन और कागज निकाल अपने वेतन का हिसाब निकालने लगे ।
अ
गुरूजी विद्यालय से घर लौट रहे थे ।
रास्ते में एक नदी पड़ती थी ।
नदी पार करने लगे तो ना जाने क्या सूझा ,
एक पत्थर पर बैठ अपने झोले में से पेन और कागज निकाल अपने वेतन का हिसाब निकालने लगे ।
अचानक…..,
हाथ से पेन फिसला और डुबुक ….
पानी में डूब गया । गुरूजी परेशान ।
आज ही सुबह पूरे पांच रूपये खर्च कर खरीदा था ।
कातर दृष्टि से कभी इधर कभी उधर देखते ,
पानी में उतरने का प्रयास करते ,
फिर डर कर कदम खींच लेते ।
एकदम नया पेन था ,
छोड़ कर जाना भी मुनासिब न था ।
अचानक…….
पानी में एक तेज लहर उठी ,
और साक्षात् वरुण देव सामने थे ।
गुरूजी हक्के -बक्के ।
कुल्हाड़ी वाली कहानी याद आ गई ।
वरुण देव ने कहा , ”गुरूजी, क्यूँ इतने परेशान हैं ।
प्रमोशन , तबादला , वेतनवृद्धि ,क्या चाहिए ?
गुरूजी अचकचाकर बोले , ” प्रभु ! आज ही सुबह एक पेन खरीदा था ।
पूरे पांच रूपये का ।
देखो ढक्कन भी मेरे हाथ में है ।
यहाँ पत्थर पर बैठा लिख रहा था कि पानी में गिर गया
प्रभु बोले , ” बस इतनी सी बात ! अभी निकाल लाता हूँ ।”
प्रभु ने डुबकी लगाई ,
और चाँदी का एक चमचमाता पेन लेकर बाहर आ गए ।
बोले – ये है आपका पेन ?
गुरूजी बोले – ना प्रभु । मुझ गरीब को कहाँ ये चांदी का पेन नसीब । ये मेरा नाहीं ।
प्रभु बोले – कोई नहीं , एक डुबकी और लगाता हूँ
डुबुक …..
इस बार प्रभु सोने का रत्न जडित पेन लेकर आये।
बोले – “लीजिये गुरूजी , अपना पेन ।”
गुरूजी बोले – ” क्यूँ मजाक करते हो प्रभु ।
इतना कीमती पेन और वो भी मेरा । मैं टीचर हूँ ।
थके हारे प्रभु ने कहा , ” चिंता ना करो गुरुदेव ।
अबके फाइनल डुबकी होगी ।
डुबुक ….
बड़ी देर बाद प्रभु उपर आये ।
हाथ में गुरूजी का जेल पेन लेकर ।
बोले – ये है क्या ?
गुरूजी चिल्लाए – हाँ यही है , यही है ।
प्रभु ने कहा – आपकी इमानदारी ने मेरा दिल जीत लिया गुरूजी ।
आप सच्चे गुरु हैं । आप ये तीनों पेन ले लो ।
गुरूजी ख़ुशी – ख़ुशी घर को चले ।
.
.
कहानी अभी बाकी है दोस्तों —
गुरूजी ने घर आते ही सारी कहानी पत्नी जी को सुनाई
चमचमाते हुवे कीमती पेन भी दिखाए ।
पत्नी को विश्वास ना हुवा ,
बोली तुम किसी का चुरा कर लाये हो ।
बहुत समझाने पर भी जब पत्नी जी ना मानी
तो गुरूजी उसे घटना स्थल की ओर ले चले ।
दोनों उस पत्थर पर बैठे ,
गुरूजी ने बताना शुरू किया कि कैसे – कैसे सब हुवा
पत्नी एक एक कड़ी को किसी शातिर पुलिसिये की तरह जोड़ रही थी कि
अचानक …….
डुबुक !!!
पत्नी का पैर फिसला , और वो गहरे पानी में समा गई ।
गुरूजी की आँखों के आगे तारे नाचने लगे ।
ये क्या हुवा !
जोर -जोर से रोने लगे ।
तभी अचानक ……
पानी में ऊँची ऊँची लहरें उठने लगी ।
नदी का सीना चीरकर साक्षात वरुण देव प्रकट हुवे ।
बोले – क्या हुआ गुरूजी ? अब क्यूँ रो रहे हो ?
गुरूजी ने रोते हु story प्रभु को सुनाई ।
प्रभु बोले – रोओ मत। धीरज रखो ।
मैं अभी आपकी पत्नी को निकाल कर लाता हूँ।
प्रभु ने डुबकी लगाईं ,
और …..
..
थोड़ी देर में
वो सनी लियोनी को लेकर प्रकट हुवे ।
बोले –गुरूजी ।
क्या यही आपकी पत्नी जी है ??
गुरूजी ने एक क्षण सोचा ,
और चिल्लाए –
हाँ यही है , यही है ।
अब चिल्लाने की बारी प्रभु की थी ।
बोले – दुष्ट मास्टर ।
ठहर तुझे श्राप देता हूँ ।
गुरूजी बोले – माफ़ करें प्रभु ।
मेरी कोई गलती नहीं ।
अगर मैं इसे मना करता तो आप
अगली डुबकी में प्रियंका चोपड़ा को लाते ।
मैं फिर भी मना करता तो आप मेरी पत्नी को लाते ।
फिर आप खुश होकर तीनों मुझे दे देते ।
अब आप ही बताओ भगवन ,
इस महंगाई के जमाने ने भी रुला दिया
अब मैं तीन – तीन बीबीयाँ कैसे पालता ।
सो सोचा , सनी से ही काम चला लूँगा ।
और इस ठंड में आप भी डुबकियां लगा लगा कर थक गये होंगे ।
जाइये विश्राम करिए ।
छपाक …
एक आवाज आई ।
प्रभु बेहोश होकर पानी में गिर गए थे ।
गुरूजी सनी का हाथ थामे सावधानीपूर्वक धीरे – धीरे नदी पार कर रहे थे ।
😆😃😆😃😄😉😁😀😂😗😶😛😜😊😋😏😎😚
लालची औरत
😂😂😂😂😂
थाईलैंड की एक होटल कंपनी के मालिक ने अपने ग्राहकों के सामने एक शर्त रखी कि मगरमच्छों से भरे तालाब में जो आदमी मगरमच्छों से बचकर बाहर निकल जाएगा उसको 5 करोड रुपए इनाम के तौर पर
लालची औरत
😂😂😂😂😂
थाईलैंड की एक होटल कंपनी के मालिक ने अपने ग्राहकों के सामने एक शर्त रखी कि मगरमच्छों से भरे तालाब में जो आदमी मगरमच्छों से बचकर बाहर निकल जाएगा उसको 5 करोड रुपए इनाम के तौर पर दिया जाएगा और अगर उस आदमी को मगरमच्छ ने खा लिया तो उसके परिवार को दो करोड रुपया दिया जाएगा !
यह सुनकर सभी लोग भयभीत हो गए ! किसी में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह तालाब में कूद सके !
तभी एक जोरदार आवाज आती है........... लोगों ने शोर मचाना शुरू कर दिया, यह क्या, किसी आदमी ने तालाब में छलांग लगा दी थी !
लोगों की सांसे थम गई और सभी लोग उस आदमी की तरफ देखने लगे !
वह आदमी पूरी तरह से तालाब में जद्दोजहद कर रहा था ! बिजली की फुर्ती से, वह पानी को चीर कर आगे बढ़ रहा था ! सभी लोग उसको बहुत ध्यान से देख रहे थे ! अब यह आदमी मगरमच्छ का निवाला बनेगा ! वह देखो मगरमच्छ उस आदमी के पीछे ! मगर उस आदमी ने हिम्मत नहीं हारी वह पूरी तरह जद्दोजहद कर रहा था बाहर निकलने की ! तभी वह आदमी पानी को चीरता हुआ, दूसरे किनारे से बाहर निकल जाता है !
उस आदमी को पूरी तरह सांस भी नहीं आ रही थी ! सभी लोग भाग कर उसकी तरफ गए ! लोगों ने ताली बजाना शुरू कर दिया ! जब उस आदमी को
थोड़ा होश आया और उसे पता चल गया कि वह करोड़पति बन गया है, उसके मुंह से पहली आवाज निकली, ''पहले यह बताओ मुझे धक्का किसने दिया था ?''
तभी तलाब के पास खड़ी भीड़ में, एक औरत ने हाथ खड़ा किया ! वह औरत, उस आदमी की बीवी थी ! उसने कहा, ''तुम काम के तो हो नहीं, अगर बच गए तो 5 करोड़, मर जाते तो 2 करोड़ दोनों तरफ फायदा तो मुझे ही होना था !''
😃😃😊😊😊😊😊
तब से यह कहावत बन गई, ''एक कामयाब व्यक्ति के पीछे, एक औरत का हाथ होता है''
एक नगर में एक मशहूर चित्रकार रहता था । चित्रकार ने एक बहुत सुन्दर तस्वीर बनाई और उसे नगर के चौराहे मे लगा दिया और नीचे लिख दिया कि जिस किसी को , जहाँ भी इस में कमी नजर आये वह वहाँ निशान लगा दे । जब
एक नगर में एक मशहूर चित्रकार रहता था । चित्रकार ने एक बहुत सुन्दर तस्वीर बनाई और उसे नगर के चौराहे मे लगा दिया और नीचे लिख दिया कि जिस किसी को , जहाँ भी इस में कमी नजर आये वह वहाँ निशान लगा दे । जब उसने शाम को तस्वीर देखी उसकी पूरी तस्वीर पर निशानों से ख़राब हो चुकी थी । यह देख वह बहुत दुखी हुआ । उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करे वह दुःखी बैठा हुआ था ।
तभी उसका एक मित्र वहाँ से गुजरा उसने उस के दुःखी होने का कारण पूछा तो उसने उसे पूरी घटना बताई । उसने कहा एक काम करो कल दूसरी तस्वीर बनाना और उस मे लिखना कि जिस किसी को इस तस्वीर मे जहाँ कहीं भी कोई कमी नजर आये उसे सही कर दे । उसने अगले दिन यही किया । शाम को जब उसने अपनी तस्वीर देखी तो उसने देखा की तस्वीर पर किसी ने कुछ नहीं किया । वह संसार की # रीति समझ गया ।
"कमी निकालना , निंदा करना , बुराई करना आसान लेकिन उन कमियों को दूर करना अत्यंत कठिन होता ह This is life........ जब दुनिया यह कह्ती है कि ‘हार मान लो’ तो आशा धीरे से कान में कह्ती है कि.,,,, ‘एक बार फिर प्रयास करो’ और यह ठीक भी है..,,, "जिंदगी आईसक्रीम की तरह है, टेस्ट करो तो भी पिघलती है;.,,, वेस्ट करो तो भी पिघलती है,,,,,, इसलिए जिंदगी को टेस्ट करना सीखो, वेस्ट तो हो ही रही है.,,,, Life is very beautiful !!!
🌹 *एक लघु कथा*🌹
*एक गर्भवती स्त्री ने अपने पति से कहा, "आप क्या आशा करते हैं लड़का होगा या लड़की?"*
*पति-"अगर हमारा लड़का होता है, तो मैं उसे गणित पढाऊगा, हम खेलने जाएंगे, मैं उसे मछली पकड़ना सिखा
🌹 *एक लघु कथा*🌹
*एक गर्भवती स्त्री ने अपने पति से कहा, "आप क्या आशा करते हैं लड़का होगा या लड़की?"*
*पति-"अगर हमारा लड़का होता है, तो मैं उसे गणित पढाऊगा, हम खेलने जाएंगे, मैं उसे मछली पकड़ना सिखाऊगा।"*
*पत्नी - "अगर लड़की हुई तो...?"*
*पति- "अगर हमारी लड़की होगी तो, मुझे उसे कुछ सिखाने की जरूरत ही नही होगी"*
*"क्योंकि, उन सभी में से एक होगी जो सब कुछ मुझे दोबारा सिखाएगी, कैसे पहनना, कैसे खाना, क्या कहना या नही कहना।"*
*"एक तरह से वो, मेरी दूसरी मां होगी। वो मुझे अपना हीरो समझेगी, चाहे मैं उसके लिए कुछ खास करूँ या ना करूँ।"*
*"जब भी मै उसे किसी चीज़ के लिए मना करूँगा तो मुझे समझेगी। वो हमेशा अपने पति की मुझ से तुलना करेगी।"*
*"यह मायने नही रखता कि वह कितने भी साल की हो पर वो हमेशा चाहेगी की मै उसे अपनी baby doll की तरह प्यार करूँ।"*
*"वो मेरे लिए संसार से लड़ेगी, जब कोई मुझे दुःख देगा वो उसे कभी माफ नहीं करेगी।"*
*पत्नी - "कहने का मतलब है कि, आपकी बेटी जो सब करेगी वो आपका बेटा नहीं कर पाएगा।"*
*पति- "नहीं, नहीं क्या पता मेरा बेटा भी ऐसा ही करेगा, पर वो सिखेगा।"*
*"परंतु बेटी, इन गुणों के साथ पैदा होगी। किसी बेटी का पिता होना हर व्यक्ति के लिए गर्व की बात है।"*
*पत्नी - "पर वो हमेशा हमारे साथ नही रहेगी...?"*
*पति- "हां, पर हम हमेशा उसके दिल में रहेंगे।"*
*"इससे कोई फर्क नही पडेगा चाहे वो कही भी जाए, बेटियाँ परी होती हैं"*
*"जो सदा बिना शर्त के प्यार और देखभाल के लिए जन्म लेती है।"*
बेटियाँ सब के मुकद्दर में, कहाँ होती हैं
जो घर ईश्वर को पसंद हो, वहां होती हैं
एक हसीन लडकी राजा के दरबार में डांस कर रही थी...
( राजा बहुत बदसुरत था )
लडकी ने राजा से एक सवाल की इजाजत मांगी
राजा ने
एक हसीन लडकी राजा के दरबार में डांस कर रही थी...
( राजा बहुत बदसुरत था )
लडकी ने राजा से एक सवाल की इजाजत मांगी
राजा ने कहा , " चलो पुछो ."
लडकी ने कहा , "जब हुस्न बंट रहा था तब आप कहां थे..??
राजा ने गुस्सा नही किया बल्कि मुस्कुराते हुवे कहा
जब तुम हुस्न की लाइन् में खडी हुस्न ले रही थी , ~
तो में किस्मत की लाइन में खडा किस्मत ले रहा था
और आज तुझ जैसीे हुस्न वालीयां मेरी गुलाम की तरह नाच रही है...........
इसलीय शायर खुब कहते है,
हुस्न ना मांग नसीब मांग ए दोस्त ,
हुस्न वाले तो अक्सर नसीब वालों के गुलाम हुआ करते है...
जो भाग्य में है , वह भाग कर आएगा,
जो नहीं है , वह आकर भी भाग जाएगा....!!!!!
🌷🕉🌷 कागज 🌷🕉🌷
राधिका और नवीन को आज तलाक के कागज मिल गए थे। दोनो साथ ही कोर्ट से बाहर निकले। दोनो के परिजन साथ थे और उनके चेहरे पर विजय और सुकून के निशान साफ झलक रहे थे। चार साल की लंबी लड़ाई के ब
🌷🕉🌷 कागज 🌷🕉🌷
राधिका और नवीन को आज तलाक के कागज मिल गए थे। दोनो साथ ही कोर्ट से बाहर निकले। दोनो के परिजन साथ थे और उनके चेहरे पर विजय और सुकून के निशान साफ झलक रहे थे। चार साल की लंबी लड़ाई के बाद आज फैसला हो गया था।
दस साल हो गए थे शादी को मग़र साथ मे छः साल ही रह पाए थे। चार साल तो तलाक की कार्यवाही में लग गए। राधिका के हाथ मे दहेज के समान की लिस्ट थी जो अभी नवीन के घर से लेना था और नवीन के हाथ मे गहनों की लिस्ट थी जो राधिका से लेने थे।
साथ मे कोर्ट का यह आदेश भी था कि नवीन दस लाख रुपये की राशि एकमुश्त राधिका को चुकाएगा। राधिका और नवीन दोनो एक ही टेम्पो में बैठकर नवीन के घर पहुंचे। दहेज में दिए समान की निशानदेही राधिका को करनी थी। इसलिए चार वर्ष बाद ससुराल जा रही थी। आखरी बार बस उसके बाद कभी नही आना था उधर।
सभी परिजन अपने अपने घर जा चुके थे। बस तीन प्राणी बचे थे।नवीन, राधिका और राधिका की माता जी।
नवीन घर मे अकेला ही रहता था। मां-बाप और भाई आज भी गांव में ही रहते हैं। राधिका और नवीन का इकलौता बेटा जो अभी सात वर्ष का है कोर्ट के फैसले के अनुसार बालिग होने तक वह राधिका के पास ही रहेगा। नवीन महीने में एक बार उससे मिल सकता है।
घर मे परिवेश करते ही पुरानी यादें ताज़ी हो गई। कितनी मेहनत से सजाया था इसको राधिका ने। एक एक चीज में उसकी जान बसी थी। सब कुछ उसकी आँखों के सामने बना था।एक एक ईंट से धीरे धीरे बनते घरोंदे को पूरा होते देखा था उसने। सपनो का घर था उसका। कितनी शिद्दत से नवीन ने उसके सपने को पूरा किया था। नवीन थकाहारा सा सोफे पर पसर गया। बोला "ले लो जो कुछ भी चाहिए मैं तुझे नही रोकूंगा" राधिका ने अब गौर से नवीन को देखा। चार साल में कितना बदल गया है। बालों में सफेदी झांकने लगी है। शरीर पहले से आधा रह गया है। चार साल में चेहरे की रौनक गायब हो गई।
वह स्टोर रूम की तरफ बढ़ी जहाँ उसके दहेज का अधिकतर समान पड़ा था। सामान ओल्ड फैशन का था इसलिए कबाड़ की तरह स्टोर रूम में डाल दिया था। मिला भी कितना था उसको दहेज। प्रेम विवाह था दोनो का। घर वाले तो मजबूरी में साथ हुए थे।
प्रेम विवाह था तभी तो नजर लग गई किसी की। क्योंकि प्रेमी जोड़ी को हर कोई टूटता हुआ देखना चाहता है।
बस एक बार पीकर बहक गया था नवीन। हाथ उठा बैठा था उसपर। बस वो गुस्से में मायके चली गई थी।
फिर चला था लगाने सिखाने का दौर । इधर नवीन के भाई भाभी और उधर राधिका की माँ। नोबत कोर्ट तक जा पहुंची और तलाक हो गया।
न राधिका लौटी और न नवीन लाने गया।
राधिका की माँ बोली" कहाँ है तेरा सामान? इधर तो नही दिखता। बेच दिया होगा इस शराबी ने ?" "चुप रहो माँ"
राधिका को न जाने क्यों नवीन को उसके मुँह पर शराबी कहना अच्छा नही लगा।
फिर स्टोर रूम में पड़े सामान को एक एक कर लिस्ट में मिलाया गया। बाकी कमरों से भी लिस्ट का सामान उठा लिया गया। राधिका ने सिर्फ अपना सामान लिया नवीन के समान को छुवा भी नही। फिर राधिका ने नवीन को गहनों से भरा बैग पकड़ा दिया। नवीन ने बैग वापस राधिका को दे दिया " रखलो, मुझे नही चाहिए काम आएगें तेरे मुसीबत में ।" गहनों की किम्मत 15 लाख से कम नही थी। "क्यूँ, कोर्ट में तो तुम्हरा वकील कितनी दफा गहने-गहने चिल्ला रहा था"
"कोर्ट की बात कोर्ट में खत्म हो गई, राधिका। वहाँ तो मुझे भी दुनिया का सबसे बुरा जानवर और शराबी साबित किया गया है।" सुनकर राधिका की माँ ने नाक भों चढ़ाई।
"नही चाहिए। वो दस लाख भी नही चाहिए" "क्यूँ?" कहकर नवीन सोफे से खड़ा हो गया। "बस यूँ ही" राधिका ने मुँह फेर लिया। "इतनी बड़ी जिंदगी पड़ी है कैसे काटोगी? ले जाओ,,, काम आएगें।" इतना कह कर नवीन ने भी मुंह फेर लिया और दूसरे कमरे में चला गया। शायद आंखों में कुछ उमड़ा होगा जिसे छुपाना भी जरूरी था।
राधिका की माता जी गाड़ी वाले को फोन करने में व्यस्त थी। राधिका को मौका मिल गया। वो नवीन के पीछे उस कमरे में चली गई। वो रो रहा था। अजीब सा मुँह बना कर। जैसे भीतर के सैलाब को दबाने दबाने की जद्दोजहद कर रहा हो। राधिका ने उसे कभी रोते हुए नही देखा था। आज पहली बार देखा न जाने क्यों दिल को कुछ सुकून सा मिला।
मग़र ज्यादा भावुक नही हुई। सधे अंदाज में बोली "इतनी फिक्र थी तो क्यों दिया तलाक?"
"मैंने नही तलाक तुमने दिया" "दस्तखत तो तुमने भी किए" "माफी नही माँग सकते थे?" "मौका कब दिया तुम्हारे घर वालों ने। जब भी फोन किया काट दिया।" "घर भी आ सकते थे"?
"हिम्मत नही थी?" राधिका की माँ आ गई। वो उसका हाथ पकड़ कर बाहर ले गई। "अब क्यों मुँह लग रही है इसके? अब तो रिश्ता भी खत्म हो गया"
मां-बेटी बाहर बरामदे में सोफे पर बैठकर गाड़ी का इंतजार करने लगी। राधिका के भीतर भी कुछ टूट रहा था। दिल बैठा जा रहा था। वो सुन्न सी पड़ती जा रही थी। जिस सोफे पर बैठी थी उसे गौर से देखने लगी। कैसे कैसे बचत कर के उसने और नवीन ने वो सोफा खरीदा था। पूरे शहर में घूमी तब यह पसन्द आया था।" फिर उसकी नजर सामने तुलसी के सूखे पौधे पर गई। कितनी शिद्दत से देखभाल किया करती थी। उसके साथ तुलसी भी घर छोड़ गई।
घबराहट और बढ़ी तो वह फिर से उठ कर भीतर चली गई। माँ ने पीछे से पुकारा मग़र उसने अनसुना कर दिया। नवीन बेड पर उल्टे मुंह पड़ा था। एक बार तो उसे दया आई उस पर। मग़र वह जानती थी कि अब तो सब कुछ खत्म हो चुका है इसलिए उसे भावुक नही होना है।
उसने सरसरी नजर से कमरे को देखा। अस्त व्यस्त हो गया है पूरा कमरा। कहीं कंही तो मकड़ी के जाले झूल रहे हैं। कितनी नफरत थी उसे मकड़ी के जालों से? फिर उसकी नजर चारों और लगी उन फोटो पर गई जिनमे वो नवीन से लिपट कर मुस्करा रही थी। कितने सुनहरे दिन थे वो।
इतने में माँ फिर आ गई। हाथ पकड़ कर फिर उसे बाहर ले गई।
बाहर गाड़ी आ गई थी। सामान गाड़ी में डाला जा रहा था। राधिका सुन सी बैठी थी। नवीन गाड़ी की आवाज सुनकर बाहर आ गया।
अचानक नवीन कान पकड़ कर घुटनो के बल बैठ गया।
बोला--" मत जाओ,,, माफ कर दो" शायद यही वो शब्द थे जिन्हें सुनने के लिए चार साल से तड़प रही थी। सब्र के सारे बांध एक साथ टूट गए। राधिका ने कोर्ट के फैसले का कागज निकाला और फाड़ दिया ।
और मां कुछ कहती उससे पहले ही लिपट गई नवीन से। साथ मे दोनो बुरी तरह रोते जा रहे थे।
दूर खड़ी राधिका की माँ समझ गई कि कोर्ट का आदेश दिलों के सामने कागज से ज्यादा कुछ नही।
एक महिला रोज मंदिर जाती थी ! एक दिन उस महिला ने पुजारी से कहा अब मैं मंदिर नही आया करूँगी !
इस पर पुजारी ने पूछा -- क्यों ?
तब महिला बोली -- मैं देखती हूँ लोग मंदिर परिसर में अपने फोन से अपने व्यापार की
एक महिला रोज मंदिर जाती थी ! एक दिन उस महिला ने पुजारी से कहा अब मैं मंदिर नही आया करूँगी !
इस पर पुजारी ने पूछा -- क्यों ?
तब महिला बोली -- मैं देखती हूँ लोग मंदिर परिसर में अपने फोन से अपने व्यापार की बात करते हैं ! कुछ ने तो मंदिर को ही गपशप करने का स्थान चुन रखा है ! कुछ पूजा कम पाखंड,दिखावा ज्यादा करते हैं !
इस पर पुजारी कुछ देर तक चुप रहे फिर कहा -- सही है ! परंतु अपना अंतिम निर्णय लेने से पहले क्या आप मेरे कहने से कुछ कर सकती हैं !
महिला बोली -आप बताइए क्या करना है ?
पुजारी ने कहा -- एक गिलास पानी भर लीजिए और 2 बार मंदिर परिसर के अंदर परिक्रमा लगाइए । शर्त ये है कि गिलास का पानी गिरना नहीं चाहिये !
महिला बोली -- मैं ऐसा कर सकती हूँ !
फिर थोड़ी ही देर में उस महिला ने ऐसा ही कर दिखाया ! उसके बाद मंदिर के पुजारी ने महिला से 3 सवाल पूछे -
1.क्या आपने किसी को फोन पर बात करते देखा?
2.क्या आपने किसी को मंदिर में गपशप करते देखा?
3.क्या किसी को पाखंड करते देखा?
महिला बोली -- नहीं मैंने कुछ भी नहीं देखा !
फिर पुजारी बोले --- जब आप परिक्रमा लगा रही थीं तो आपका पूरा ध्यान गिलास पर था कि इसमें से पानी न गिर जाए इसलिए आपको कुछ दिखाई नहीं दिया|
अब जब भी आप मंदिर आयें तो अपना ध्यान सिर्फ़ परम पिता परमात्मा में ही लगाना फिर आपको कुछ दिखाई नहीं देगा| सिर्फ भगवान ही सर्वत्र दिखाई देगें|
नई टीचर
लड़कियों के स्कूल में आने वाली नई टीचर बेहद खूबसूरत और शैक्षणिक तौर पर भी मजबूत थी लेकिन उसने अभी तक शादी नहीं की थी...
सब लड़कियां उसके इर्द-गिर्द जमा हो गईं और मज़ाक करने लगी कि मैडम आपन
नई टीचर
लड़कियों के स्कूल में आने वाली नई टीचर बेहद खूबसूरत और शैक्षणिक तौर पर भी मजबूत थी लेकिन उसने अभी तक शादी नहीं की थी...
सब लड़कियां उसके इर्द-गिर्द जमा हो गईं और मज़ाक करने लगी कि मैडम आपने अभी तक शादी क्यों नहीं की...?
मैडम ने दास्तान कुछ यूं शुरू की- एक महिला की पांच बेटियां थीं, पति ने उसको धमकी दी कि अगर इस बार भी बेटी हुई तो उस बेटी को बाहर किसी सड़क या चौक पर फेंक आऊंगा, ईश्वर की मर्जी वो ही जाने कि छटी बार भी बेटी ही पैदा हुई और पति ने बेटी को उठाया और रात के अंधेरे में शहर के बीचों-बीच चौक पर रख आया, मां पूरी रात उस नन्हीं सी जान के लिए दुआ करती रही और बेटी को ईश्वर के सुपुर्द कर दिया।
दूसरे दिन सुबह पिता जब चौक से गुजरा तो देखा कि कोई बच्ची को नहीं ले गया है, बाप बेटी को वापस घर लाया लेकिन दूसरी रात फिर बेटी को चौक पर रख आया लेकिन रोज़ यही होता रहा, हर बार पिता बाहर रख आता और जब कोई लेकर नहीं जाता तो मजबूरन वापस उठा लाता, यहां तक कि उसका पिता थक गया और ईश्वर की मर्जी पर राज़ी हो गया।
फिर ईश्वर ने कुछ ऐसा किया कि एक साल बाद मां फिर पेट से हो गई और इस बार उनको बेटा हुआ, लेकिन कुछ ही दिन बाद बेटियों में से एक की मौत हो गई, यहां तक कि माँ पांच बार पेट से हुई और पांच बेटे हुए लेकिन हर बार उसकी बेटियों में से एक इस दुनियां से चली जाती ।
सिर्फ एक ही बेटी ज़िंदा बची और वो वही बेटी थी जिससे बाप जान छुड़ाना चाह रहा था, मां भी इस दुनियां से चली गई इधर पांच बेटे और एक बेटी सब बड़े हो गए।
टीचर ने कहा- पता है वो बेटी जो ज़िंदा रही कौन है ? "वो मैं हूं" और मैंने अभी तक शादी इसलिए नहीं की, कि मेरे पिता इतने बूढ़े हो गए हैं कि अपने हाथ से खाना भी नहीं खा सकते और कोई दूसरा नहीं जो उनकी सेवा करें। बस मैं ही उनकी खिदमत किया करती हूं और वो पांच बेटे कभी-कभी आकर पिता का हालचाल पूछ जाते हैं ।
पिता हमेशा शर्मिंदगी के साथ रो-रो कर मुझ से कहा करते हैं, मेरी प्यारी बेटी जो कुछ मैंने बचपन में तेरे साथ किया उसके लिए मुझे माफ करना।
😂😂😂😂😂😂😊
अकबर : मुझे इस राज्य से 5 मूर्ख ढूंढ कर दिखाओ.!!
बीरबल ने खोज शुरू की.
एक महीने बाद वापस आये सिर्फ 2 लोगों के साथ।
अकबर ने कहा मैने 5 मूर्ख लाने के लिये कहा था !!
बीरबल ने कहां हुजुर लाया हूँ। प
😂😂😂😂😂😂😊
अकबर : मुझे इस राज्य से 5 मूर्ख ढूंढ कर दिखाओ.!!
बीरबल ने खोज शुरू की.
एक महीने बाद वापस आये सिर्फ 2 लोगों के साथ।
अकबर ने कहा मैने 5 मूर्ख लाने के लिये कहा था !!
बीरबल ने कहां हुजुर लाया हूँ। पेश करने का मौका दिया जाय..
आदेश मिल गया।😂
बीरबल ने कहा- हुजुर यह पहला मूर्ख है। मैने इसे बैलगाडी पर बैठ कर भी बैग सर पर ढोते हुए देखा और पूछने पर जवाब मिला के कहीं बैल के उपर ज्यादा लोड
ना हो जाए इसलिये बैग सिर पर ढो रहा हुँ!!
इस हिसाब से यह पहला मूर्ख है!!😂
दूसरा मूर्ख यह आदमी है जो आप के सामने खडा है. मैने देखा इसके घर के ऊपर छत पर घास निकली थी. अपनी भैंस को छत पर ले जाकर घास खिला रहा था. मैने देखा और पूछा तो जवाब मिला कि घास छत पर जम जाती है तो भैंस को ऊपर ले जाकर घास खिला देता हूँ. हुजुर
जो आदमी अपने घर की छत पर जमी घास को काटकर फेंक नहीं सकता और भैंस को उस छत पर ले जाकर घास खिलाता है, तो उससे बडा मूर्ख और कौन हो सकता है!!!
तीसरा मूर्ख: बीरबल ने आगे कहा. जहाँपनाह अपने राज्य मे इतना काम है. पूरी नीति मुझे सम्हालना है. फिर भी मै मूर्खों को ढूढने में एक महीना बर्बाद कर रहा हूॅ इसलिये तीसरा मूर्ख मै
ही हूँ.
चौथा मूर्ख.. जहाँपनाह. पूरे राज्य की जिम्मेदारी आप के ऊपर है.
दिमाग वालों से ही सारा काम होने वाला है. मूर्खों से कुछ होने वाला नहीं है. फिर भी आप मूर्खों को ढूढ रहे हैं. इस लिये चौथा मूर्ख जहाँपनाह आप हुए।
पांचवा मूर्ख...जहाँ पनाह मै बताना चाहता हूँ कि दुनिया भर के काम धाम को छोड़कर. घर परिवार को छोड़कर. पढाई लिखाई पर ध्यान ना देकर, फेसबुक पर पूरा ध्यान लगा कर और पाँचवें मूर्ख को जानने के लिए अब भी पोस्ट पढ़ रहा है वही पाँचवा मूर्ख है
🙈🙉🙊🙊💩😂😂😂😂😂😂😜
"बुद्धिमान कौन "
एक गाँव में एक बनिया रहता था, उसकी ख्याति दूर दूर तक फैली थी।
एक बार वहाँ के राजा ने उसे चर्चा पर बुलाया। काफी देर चर्चा के बाद उसने कहा –
“महाशय, आप बहुत बड़े सेठ है, इतना बड़ा का
"बुद्धिमान कौन "
एक गाँव में एक बनिया रहता था, उसकी ख्याति दूर दूर तक फैली थी।
एक बार वहाँ के राजा ने उसे चर्चा पर बुलाया। काफी देर चर्चा के बाद उसने कहा –
“महाशय, आप बहुत बड़े सेठ है, इतना बड़ा कारोबार है पर आपका लडका इतना मूर्ख क्यों है ? उसे भी कुछ सिखायें।
उसे तो सोने चांदी में मूल्यवान क्या है यह भी नही पता॥” यह कहकर वह जोर से हंस पडा..
बनिए को बुरा लगा, वह घर गया व लडके से पूछा “सोना व चांदी में अधिक मूल्यवान क्या है ?”
“सोना”, बिना एकपल भी गंवाए उसके लडके ने कहा।
“तुम्हारा उत्तर तो ठीक है, फिर राजा ने ऐसा क्यूं कहा-? सभी के बीच मेरी खिल्ली भी उठाई।”
लडके के समझ मे आ गया, वह बोला “राजा गाँव के पास एक खुला दरबार लगाते हैं,
जिसमें सभी प्रतिष्ठित व्यक्ति भी शामिल होते हैं। यह दरबार मेरे स्कूल जाने के मार्ग मे ही पडता है।
मुझे देखते हि बुलवा लेते हैं, अपने एक हाथ मे सोने का व दूसरे मे चांदी का सिक्का रखकर, जो अधिक मूल्यवान है वह ले लेने को कहते हैं...
ओर मैं चांदी का सिक्का ले लेता हूं। सभी ठहाका लगाकर हंसते हैं व मजा लेते हैं। ऐसा तकरीबन हर दूसरे दिन होता है।”
“फिर तुम सोने का सिक्का क्यों नही उठाते, चार लोगों के बीच अपनी फजिहत कराते हो व साथ मे मेरी भी।”
लडका हंसा व हाथ पकडकर पिता को अंदर ले गया ऒर कपाट से एक पेटी निकालकर दिखाई जो चांदी के सिक्कों से भरी हुई थी।
यह देख बनिया हतप्रभ रह गया।
लडका बोला “जिस दिन मैंने सोने का सिक्का उठा लिया उस दिन से यह खेल बंद हो जाएगा।
वो मुझे मूर्ख समझकर मजा लेते हैं तो लेने दें, यदि मैं बुद्धिमानी दिखाउंगा तो कुछ नही मिलेगा।”
बनिए का बेटा हु अक़्ल से काम लेता हूँ
गाँव के स्कूल में पढने वाली छुटकी आज बहुत खुश थी, उसका दाखिला शहर के एक अच्छे स्कूल में क्लास 6 में हो गया था।
आज स्कूल का पहला दिन था और वो समय से पहले ही तैयार हो कर बस का इंतज़ार कर रही थी। बस
गाँव के स्कूल में पढने वाली छुटकी आज बहुत खुश थी, उसका दाखिला शहर के एक अच्छे स्कूल में क्लास 6 में हो गया था।
आज स्कूल का पहला दिन था और वो समय से पहले ही तैयार हो कर बस का इंतज़ार कर रही थी। बस आई और छुटकी बड़े उत्साह के साथ उसमे सवार हो गयी।
करीब 1 घंटे बाद जब बस स्कूल पहुंची तो सारे बच्चे उतर कर अपनी-अपनी क्लास में जाने लगे…छुटकी भी बच्चों से पूछते हुए अपनी क्लास में पहुंची।
क्लास के बच्चे गाव से आई इस लडकी को देखकर उसका मजाक उड़ाने आगे।
“साइलेंस!”, टीचर बोली, “ चुप हो जाइए आप सब…”
“ये छुटकी है, और आज से ये आपके साथ ही पढेगी।” उसके बाद टीचर ने बच्चों को सरप्राइज टेस्ट के लिए तैयार होने को कह दिया।
“चलिए, अपनी-अपनी कॉपी निकालिए और जल्दी से “दुनिया के 7 आश्चर्य लिख डालिए।”, टीचर ने निर्देश दिया।
सभी बच्चे जल्दी जल्दी उत्तर लिखने लगे, छुटकी भी धीरे-धीरे अपना उत्तर लिखने लगी।
जब सबने अपनी कॉपी जमा कर दी तब टीचर ने छुटकी से पूछा, “क्या हुआ बेटा, आपको जितना पता है उतना ही लिखिए, इन बच्चों को तो मैंने कुछ दिन पहले ही दुनिया के सात आश्चर्य बताये थे।”
“जी, मैं तो सोच रही थी कि इतनी सारी चीजें हैं…इनमे से कौन सी सात चीजें लिखूं….”, छुटकी टीचर को अपनी कॉपी थमाते हुए बोली।
टीचर ने सबकी कापियां जोर-जोर से पढनी शुरू कीं..ज्यादातर बच्चों ने अपने उत्तर सही दिए थे…
ताजमहल
चीचेन इट्ज़ा
क्राइस्ट द रिडीमर की प्रतिमा
कोलोसियम
चीन की विशाल दीवार
माचू पिच्चू
पेत्रा
टीचर खुश थीं कि बच्चों को उनका पढ़ाया याद था। बच्चे भी काफी उत्साहित थे और एक दुसरे को बधाई दे रहे थे…
अंत में टीचर ने छुटकी की कॉपी उठायी, और उसका उत्तर भी सबके सामने पढना शुरू किया….
दुनिया के 7 आश्चर्य हैं:
देख पाना
सुन पाना
किसी चीज को महसूस कर पाना
हँस पाना
प्रेम कर पाना
सोच पाना
दया कर पाना
छुटकी के उत्तर सुन पूरी क्लास में सन्नाटा छा गया। टीचर भी आवाक खड़ी थी….आज गाँव से आई एक बच्ची ने उन सभी को भगवान् के दिए उन अनमोल तोहफों का आभाष करा दिया था जिनके तरफ उन्होंने कभी ध्यान ही नहीं दिया था!
किसी गांव में एक चूहा था..! जो एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था..! एक दिन चूहे ने देखा.! कि उस कसाई और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं..! चूहे ने सोचा..! कि शायद कुछ खाने का सामान है..! तो उत्सुकत
किसी गांव में एक चूहा था..! जो एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था..! एक दिन चूहे ने देखा.! कि उस कसाई और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं..! चूहे ने सोचा..! कि शायद कुछ खाने का सामान है..! तो उत्सुकतावश देखने पर उसने पाया..! कि वो एक चूहेदानी थी..! डर के मारे ख़तरा भाँपने पर..! उस चुहे ने पिछवाड़े में जा कर कबूतर को यह बात बताई..! कि घर में चूहेदानी आ गयी है..! तब कबूतर ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा..! कि मुझे क्या..! मुझे कौन सा उस में फँसना है..? निराश होकर चूहा ये बात मुर्गे को बताने गया..! मुर्गे ने भी उसकी खिल्ली उड़ाते हुए कहा, " जा भाई..! जा यहां से..! ये मेरी समस्या नहीं है..! अब बेचारा हताश चूहे ने बाड़े में जा कर यह बात बकरे को ये बात बताई..! और बकरा यह सून कर हँसते हँसते लोटपोट होने लगा..! अपना मजाक बनता देख, चूहा उस घर को छोड़ जंगल की ओर निकल गया..!
ठीक उसी रात चूहेदानी में "खटाक" की आवाज़ हुई..! जिस में गलती से एक ज़हरीला साँप फंस गया था..! अँधेरे में उसकी पूँछ को चूहा समझ कर..! उस कसाई की पत्नी ने जैसे ही उसे निकाला..! तभी साँप ने उसे डस लिया..! तबीयत बिगड़ने पर उस कसाई ने हकीम को बुलवाया..! हकीम ने उसे दवाई के साथ कबूतर का सूप पिलाने की सलाह दी..! कबूतर अब पतीले में उबल रहा था..! यह खबर सुनकर उस कसाई के कई रिश्तेदार मिलने आ पहुँचे..! जिनके भोजन प्रबंध हेतु अगले दिन उसी मुर्गे को काटा गया..! कुछ दिनों बाद उस कसाई की पत्नी सही सलामत हो गयी..! तो खुशी में उस कसाई ने अपने कुछ शुभचिंतकों के लिए एक दावत रखी..! फिर खुशी के माहौल बकरे को काटा गया..! लेकिन इधर चूहा अब दूर जा चुका था..! बहुत दूर..!
समझे मित्रो..! अगली बार कोई आपको अपनी समस्या बतायेे..! और आप को लगे..! कि ये मेरी समस्या नहीं है..! तो रुकिए और दुबारा सोचिये..! हो सकता है वही समस्या कल आपके पल्ले आ जाय..! जब समाज का हर एक अंग..! हर एक तबका..! हर एक नागरिक खतरे में है..! तभी तो पूरा देश खतरे में है..! आप सब अपने-अपने दायरे से बाहर निकलिये..! स्वयं तक सीमित मत रहिये..! सामाजिक बनिये..! आज जो समस्या किसी दूसरे की है..! हो सकता है कल वही समस्या आपके साथ उत्पन्न हो जाय..!
पंचतंत्र की पांच प्रसिद्ध कहानियाँ
Story No. 1 – पानी और प्यासा कौआ (A Thirsty crow)
गर्मियों के दिन थे. दोपहर के समय बहुत ही सख्त गर्मी पड़ रही थी. एक कौआ पानी की तलाश में इधर – उधर भटक रहा था. लेकिन उसे कही भी प
पंचतंत्र की पांच प्रसिद्ध कहानियाँ
Story No. 1 – पानी और प्यासा कौआ (A Thirsty crow)
गर्मियों के दिन थे. दोपहर के समय बहुत ही सख्त गर्मी पड़ रही थी. एक कौआ पानी की तलाश में इधर – उधर भटक रहा था. लेकिन उसे कही भी पानी नहीं मिला. अंत में वह थका हुआ एक बाग में पहुँचा. वह पेड़ की शाखा पर बैठा हुआ था की अचानक उसकी नजर वृक्ष के नीचे पड़े एक घड़े पर गई. वह उड़कर घड़े के पास चला गया.
वहां उसने देखा कि घड़े में थोड़ा पानी है. वह पानी पीने के लिए नीचे झुका लेकिन उसकी चोंच पानी तक न पहुँच सकी. ऐसा इसलिए हो रहा था क्योंकि घड़े में पानी बहुत कम था.
परन्तु वह कौआ हताश नहीं हुआ बल्कि पानी पीने के लिए उपाय सोचने लगा. तभी उसे एक उपाय सूझा. उसने आस – पास बिखरे हुए कंकर उठाकर घड़े में डालने शुरू कर दिए. लगातार पानी में कंकड़ डालने से पानी ऊपर आ गया. फिर उसने आराम से पानी पिया और उड़ गया.
Story No. 2 – एक चालाक लोमड़ी (A Clever Fox)
एक लोमड़ी बहुत भूखी थी. वह अपनी भूख मिटने के लिए भोजन की खोज में इधर – उधर घूमने लगी. जब उसे सारे जंगल में भटकने के बाद भी कुछ न मिला तो वह गर्मी और भूख से परेशान होकर एक पेड़ के नीचे बैठ गई. अचानक उसकी नजर ऊपर गई. पेड़ पर एक कौआ बैठा हुआ था. उसके मुंह में रोटी का एक टुकड़ा था. कौवे को देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी भर आया. वह कौवे से रोटी छीनने का उपाय सोचने लगी.
तभी उसने कौवे को कहा, ” क्यों भई कौआ भैया ! सुना है तुम गीत बहुत अच्छे गाते हो. क्या मुझे गीत नहीं सुनाओगे ?. कौआ अपनी प्रशंसा को सुनकर बहुत खुश हुआ. वह लोमड़ी की बातो में आ गया. गाना गाने के लिए उसने जैसे ही अपना मुँह खोला, रोटी का टुकड़ा नीचे गिर गया. लोमड़ी ने झट से वह टुकड़ा उठाया और वहां से भाग गई. अब कौआ अपनी मूर्खता पर पछताने लगा.
Story No. 3 – दो बिल्लियाँ और बन्दर ( Two cats and a monkey)
एक नगर में दो बिल्लियाँ रहती थी. एक दिन उन्हें रोटी का एक टुकड़ा मिला. वे दोनों आपस में लड़ने लगी. वे उस रोटी के टुकड़े को दो समान भागों में बाँटना चाहती थी लेकिन उन्हें कोई ढंग नहीं मिल पाया.
उसी समय एक बन्दर उधर से निकल रहा था. वह बहुत ही चालाक था. उसने बिल्लियों से लड़ने का कारण पूछा. बिल्लियों ने उसे सारी बात सुनाई. वह तराजू ले आया और बोला, ” लाओ, मैं तुम्हारी रोटी को बराबर बाँट देता हूँ. उसने रोटी के दो टुकड़े लेकर एक – एक पलड़े में रख दिए. वह बन्दर तराजू में जब रोटी को तोलता तो जिस पलड़े में रोटी अधिक होती, बन्दर उसे थोड़ी – सी तोड़ कर खा लेता.
इस प्रकार थोड़ी – सी रोटी रह गई. बिल्लियों ने अपनी रोटी वापस मांगी. लेकिन बन्दर ने शेष बची रोटी भी मुँह में डाल ली. फिर बिल्लियाँ उसका मुँह देखती रह गई.
Story No. 4 – अंगूर खट्टे है (The Grapes Are Sour)
एक बार एक लोमड़ी बहुत भूखी थी. वह भोजन की तलाश में इधर – उधर भटकती रही लेकिन कही से भी उसे कुछ भी खाने को नहीं मिला. अंत में थक हारकर वह एक बाग़ में पहुँच गयी. वहां उसने अंगूर की एक बेल देखी. जिसपर अंगूर के गुच्छे लगे थे.
वह उन्हें देखकर बहुत खुश हुई. वह अंगूरों को खाना चाहती थी, पर अंगूर बहुत ऊँचे थे. वह अंगूरों को पाने के लिए ऊँची – ऊँची छलांगे लगाने लगी. किन्तु वह उन तक पहुँच न सकी. वह ऐसा करते – करते बहुत थक चुकी थी. आखिर वह बाग से बाहर जाते हुए कहने लगी कि अंगूर खट्टे है. अगर मैं इन्हें खाऊँगी तो बीमार हो जाउंगी.
Story No. 5 – लालची कुत्ता (A Greedy Dog)
एक गाँव में एक कुत्ता था. वह बहुत लालची था. वह भोजन की खोज में इधर – उधर भटकता रहा. लेकिन कही भी उसे भोजन नहीं मिला. अंत में उसे एक होटल के बाहर से मांस का एक टुकड़ा मिला. वह उसे अकेले में बैठकर खाना चाहता था. इसलिए वह उसे लेकर भाग गया.
एकांत स्थल की खोज करते – करते वह एक नदी के किनारे पहुँच गया. अचानक उसने अपनी परछाई नदी में देखी. उसने समझा की पानी में कोई दूसरा कुत्ता है जिसके मुँह में भी मांस का टुकड़ा है.
उसने सोचा क्यों न इसका टुकड़ा भी छीन लिया जाए तो खाने का मजा दोगुना हो जाएगा. वह उस पर जोर से भौंका. भौंकने से उसका अपना मांस का टुकड़ा भी नदी में गिर पड़ा. अब वह अपना टुकड़ा भी खो बैठा. अब वह बहुत पछताया तथा मुँह लटकाता हुआ गाँव को वापस आ गया.
💌 #नजर 💕
🏡✍एक बार की बात है , एक नवविवाहित जोड़ा किसी किराए के घर में रहने पहुंचा . अगली सुबह , जब वे नाश्ता कर रहे थे , तभी पत्नी ने खिड
💌 #नजर 💕
🏡✍एक बार की बात है , एक नवविवाहित जोड़ा किसी किराए के घर में रहने पहुंचा . अगली सुबह , जब वे नाश्ता कर रहे थे , तभी पत्नी ने खिड़की से देखा कि सामने वाली छत पर कुछ कपड़े फैले हैं , – “ लगता है इन लोगों को कपड़े साफ़ करना भी नहीं आता …ज़रा देखो तो कितने मैले लग रहे हैं ? “
पति ने उसकी बात सुनी पर अधिक ध्यान नहीं दिया .
एक -दो दिन बाद फिर उसी जगह कुछ कपड़े फैले थे . पत्नी ने उन्हें देखते ही अपनी बात दोहरा दी ….” कब सीखेंगे ये लोग की कपड़े कैसे साफ़ करते हैं …!!”
पति सुनता रहा पर इस बार भी उसने कुछ नहीं कहा .
पर अब तो ये आये दिन की बात हो गयी , जब भी पत्नी कपडे फैले देखती भला -बुरा कहना शुरू हो जाती .
लगभग एक महीने बाद वे यूँहीं बैठ कर नाश्ता कर रहे थे . पत्नी ने हमेशा की तरह नजरें उठायीं और सामने वाली छत की तरफ देखा , ” अरे वाह , लगता है इन्हें अकल आ ही गयी …आज तो कपडे बिलकुल साफ़ दिख रहे हैं , ज़रूर किसी ने टोका होगा !”
पति बोला , ” नहीं उन्हें किसी ने नहीं टोका .”
” तुम्हे कैसे पता ?” , पत्नी ने आश्चर्य से पूछा .
” आज मैं सुबह जल्दी उठ गया था और मैंने इस खिड़की पर लगे कांच को बाहर से साफ़ कर दिया , इसलिए तुम्हे कपडे साफ़ नज़र आ रहे हैं . “, पति ने बात पूरी की ...😃😃
💕 ज़िन्दगी में भी यही बात लागू होती है : बहुत बार हम दूसरों को कैसे देखते हैं ये इस पर निर्भर करता है की हम खुद अन्दर से कितने साफ़ हैं !
😂😂 एक मज़ेदार कहानी 😂😂
एक गांव मे अंधे पति-पत्नी रहते थे । इनके यहाँ एक सुन्दर बेटा पैदा हुआ। पर वो अंधा नही था।
एक बार पत्नी रोटी बना रही थी। उस समय बिल्ली रसोई में घुस कर बनाई रोटियां खा गई।
बिल
😂😂 एक मज़ेदार कहानी 😂😂
एक गांव मे अंधे पति-पत्नी रहते थे । इनके यहाँ एक सुन्दर बेटा पैदा हुआ। पर वो अंधा नही था।
एक बार पत्नी रोटी बना रही थी। उस समय बिल्ली रसोई में घुस कर बनाई रोटियां खा गई।
बिल्ली की रसोईं मे आने की रोज की आदत बन गई इस कारण दोनों को कई दिनों तक भूखा सोना पड़ा।
एक दिन किसी प्रकार से मालूम पड़ा कि रोटियाँ बिल्ली खा जाती है।
अब पत्नी जब रोटी बनाती उस समय पति दरवाजे के पास बाँस का फटका लेकर जमीन पर पटकता।
इससे बिल्ली का आना बंद हो गया।
जब लङका बङा हुआ और उसकी शादी हुई।
बहू जब पहली बार रोटी बना रही थी तो उसका पति बाँस का फटका लेकर बैठ गया औऱ फट फट करने लगा।
कई दिन बीत जाने के बाद पत्नी ने उससे पूछा कि तुम रोज रसोई के दरवाजे पर बैठ कर बाँस का फटका क्यों पीटते हो?
पति ने जवाब दिया कि ये हमारे घर की परम्परा (रिवाज) है इसलिए मैं ऐसा कर रहा हूँ।
कहानी का सार:
माँ बाप तो अंधे थे, जो बिल्ली को देख नहीं पाते थे, उनकी मजबूरी थी इसलिये फटका लगाते थे। पर बेटा तो आँख का अंधा नही था पर अकल का अंधा था, इसलिये वह भी वैसा करता था जैसा माँ-बाप करते थे।
ऐसी ही दशा आज के अपने समाज की है।
पहले शिक्षा का अभाव था इसलिए पाखण्डी लोग जिनका स्वयं का भला हो रहा था, पाखण्डवादी मूल्यों को अपनाया और फैलाया। जिनके पीछे किसी प्रकार का लाजिक नहीं है।
लेकिन आज पढ़लिख कर, शिक्षित होने के बाद भी अपने समाज के लोग उन्हीं पाखंडपूर्ण परम्पराओं व रूढ़िवादिता के वशीभूत हो कर जीवन जी रहे हैं। ऐसे समाज व व्यक्तियों को आँख का अंधा कहा जाता है।
👉🏼इसलिये किसी भी परम्परा को सबसे पहले समझो, जानो और सही प्रतीत हो तब मानो, तभी समाज में परिवर्तन होगा नहीं तो वही...... ढाक के तीन पात,,,,,
"अत्त दीपो भव" अर्थात् अपना दीपक स्वयम् बनो !
एक बार एक बूढ़े आदमी ने अफवाह फैलाई कि उसके पड़ोस में रहने वाला नौजवान चोर है।
यह बात दूर - दूर तक फैल गई आस-पास के लोग उस नौजवान से बचने लगे। नौजवान परेशान हो गया कोई उस पर विश्वास ही नहीं करता था।
त
एक बार एक बूढ़े आदमी ने अफवाह फैलाई कि उसके पड़ोस में रहने वाला नौजवान चोर है।
यह बात दूर - दूर तक फैल गई आस-पास के लोग उस नौजवान से बचने लगे। नौजवान परेशान हो गया कोई उस पर विश्वास ही नहीं करता था।
तभी गाँव में चोरी की एक वारदात हुई और शक उस नौजवान पर गया उसे गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन कुछ दिनों के बाद सबूत के अभाव में वह निर्दोष साबित हो गया।
निर्दोष साबित होने के बाद वह नौजवान चुप नहीं बैठा उसने बूढ़े आदमी पर गलत आरोप लगाने के लिए मुकदमा दायर कर दिया।
पंचायत में बूढ़े आदमी ने अपने बचाव में सरपंच से कहा:- मैंने जो कुछ कहा था वह एक टिप्पणी से अधिक कुछ नहीं था किसी को नुकसान पहुंचाना मेरा मकसद नहीं था।
सरपंच ने बूढ़े आदमी से कहा:- आप एक कागज के टुकड़े पर वो सब बातें लिखें जो आपने उस नौजवान के बारे में कहीं थीं और जाते समय उस कागज के टुकड़े-टुकड़े करके घर के रस्ते पर फ़ेंक दें फिर कल फैसला सुनने के लिए आ जाएँ।
बूढ़े व्यक्ति ने वैसा ही किया।
अगले दिन सरपंच ने बूढ़े आदमी से कहा कि फैसला सुनने से पहले आप बाहर जाएँ और उन कागज के टुकड़ों को, जो आपने कल बाहर फ़ेंक दिए थे, इकट्ठा कर ले आएं।
बूढ़े आदमी ने कहा मैं ऐसा नहीं कर सकता उन टुकड़ों को तो हवा कहीं से कहीं उड़ा कर ले गई होगी अब वे नहीं मिल सकेंगें मैं कहाँ-कहाँ उन्हें खोजने के लिए जाऊंगा ?
सरपंच ने कहा:- ठीक इसी तरह एक सरल सी टिप्पणी भी किसी का मान-सम्मान उस सीमा तक नष्ट कर सकती है, जिसे वह व्यक्ति किसी भी दशा में दोबारा प्राप्त करने में सक्षम नहीं हो सकता।
इसलिए यदि किसी के बारे में कुछ अच्छा नहीं कह सकते, तो चुप रहें। वाणी पर हमारा नियंत्रण होना चाहिए ।
👏🏽👏👏🏽👏👏🏽
बेवक़ूफ़ गृहणी:
एक गृहणी वो रोज़ाना की तरह आज फिर ईश्वर का नाम लेकर उठी थी ।
किचन में आई और चूल्हे पर चाय का पानी चढ़ाया।
फिर बच्चों को नींद से जगाया ताकि वे स्कूल के लिए तैयार हो सकें ।
कुछ ही
बेवक़ूफ़ गृहणी:
एक गृहणी वो रोज़ाना की तरह आज फिर ईश्वर का नाम लेकर उठी थी ।
किचन में आई और चूल्हे पर चाय का पानी चढ़ाया।
फिर बच्चों को नींद से जगाया ताकि वे स्कूल के लिए तैयार हो सकें ।
कुछ ही पलों मे वो अपने सास ससुर को चाय देकर आयी फिर बच्चों का नाश्ता तैयार किया और इस बीच उसने बच्चों को ड्रेस भी पहनाई।
फिर बच्चों को नाश्ता कराया।
इस बीच स्कूल का रिक्शा आ गया और वो बच्चों को रिक्शा तक छोड़ने चली गई ।
फिर मेज़ से जूठे बर्तन इकठ्ठा किये ।
इस बीच पतिदेव की आवाज़ आई की मेरे कपङे निकाल दो ।
उनको ऑफिस जाने लिए कपङे निकाल कर दिए।
अभी पति के लिए उनकी पसंद का नाश्ता तैयार करके टेबिल पर लगाया ही था की छोटी ननद आई और ये कहकर ये कहकर गई की भाभी आज मुझे भी कॉलेज जल्दी जाना, मेरा भी नाश्ता लगा देना।
तभी देवर की भी आवाज़ आई की भाभी नाश्ता तैयार हो गया क्या?
अभी लीजिये नाश्ता तैयार है।
पति और देवर ने नाश्ता किया और अखबार पढ़कर अपने अपने ऑफिस के लिए निकल चले ।
उसने मेज़ से खाली बर्तन समेटे और सास ससुर के लिए उनका परहेज़ का नाश्ता तैयार करने लगी ।
दोनों को नाश्ता कराने के बाद फिर बर्तन इकट्ठे किये और उनको भी किचिन में लाकर धोने लगी ।
इस बीच सफाई वाली भी आ गयी ।
उसने बर्तन का काम सफाई वाली को सौंप कर खुद बेड की चादरें वगेरा इकट्ठा करने पहुँच गयी और फिर सफाई वाली के साथ मिलकर सफाई में जुट गयी ।
अब तक 11 बज चुके थे, अभी वो पूरी तरह काम समेट भी ना पायी थी की काल बेल बजी ।
दरवाज़ा खोला तो सामने बड़ी ननद और उसके पति व बच्चे सामने खड़े थे ।
उसने ख़ुशी ख़ुशी सभी को आदर के साथ घर में बुलाया और उनसे बाते करते करते उनके आने से हुई ख़ुशी का इज़हार करती रही ।
ननद की फ़रमाईश के मुताबिक़ नाश्ता तैयार करने के बाद अभी वो नन्द के पास बेठी ही थी की सास की आवाज़ आई की बहु खाने का क्या प्रोग्राम हे ।
उसने घडी पर नज़र डाली तो 12 बज रहे थे ।
उसकी फ़िक्र बढ़ गयी वो जल्दी से फ्रिज की तरफ लपकी और सब्ज़ी निकाली और फिर से दोपहर के खाने की तैयारी में जुट गयी ।
खाना बनाते बनाते अब दोपहर का दो बज चुके थे ।
बच्चे स्कूल से आने वाले थे, लो बच्चे आ गये ।
उसने जल्दी जल्दी बच्चों की ड्रेस उतारी और उनका मुंह हाथ धुलवाकर उनको खाना खिलाया ।
इस बीच छोटी नन्द भी कॉलेज से आगयी और देवर भी आ चुके थे ।
उसने सभी के लिए मेज़ पर खाना लगाया और खुद रोटी बनाने में लग गयी ।
खाना खाकर सब लोग फ्री हुवे तो उसने मेज़ से फिर बर्तन जमा करने शुरू करदिये ।
इस वक़्त तीन बज रहे थे ।
अब उसको खुदको भी भूख का एहसास होने लगा था ।
उसने हॉट पॉट देखा तो उसमे कोई रोटी नहीं बची थी ।
उसने फिर से किचिन की और रुख किया तभी पतिदेव घर में दाखिल होते हुये बोले की आज देर होगयी भूख बहुत लगी हे जल्दी से खाना लगादो ।
उसने जल्दी जल्दी पति के लिए खाना बनाया और मेज़ पर खाना लगा कर पति को किचिन से गर्म रोटी बनाकर ला ला कर देने लगी ।
अब तक चार बज चुके थे ।
अभी वो खाना खिला ही रही थी की पतिदेव ने कहा की आजाओ तुमभी खालो ।
उसने हैरत से पति की तरफ देखा तो उसे ख्याल आया की आज मैंने सुबह से कुछ खाया ही नहीं ।
इस ख्याल के आते ही वो पति के साथ खाना खाने बैठ गयी ।
अभी पहला निवाला उसने मुंह में डाला ही था की आँख से आंसू निकल आये
पति देव ने उसके आंसू देखे तो फ़ौरन पूछा की तुम क्यों रो रही हो ।
वो खामोश रही और सोचने लगी की इन्हें कैसे बताऊँ की ससुराल में कितनी मेहनत के बाद ये रोटी का निवाला नसीब होता हे और लोग इसे मुफ़्त की रोटी कहते हैं ।
पति के बार बार पूछने पर उसने सिर्फ इतना कहा की कुछ नहीं बस ऐसे ही आंसू आगये ।
पति मुस्कुराये और बोले कि तुम औरते भी बड़ी "बेवक़ूफ़" होती हो, बिना वजह रोना शुरू करदेती हो।
सभी गृहणियों को सादर समर्पित..🙏🏼
आरती नामक एक युवती का विवाह हुआ और वह अपने पति और सास के साथ अपने ससुराल में रहने लगी। कुछ ही दिनों बाद आरती को आभास होने लगा कि उसकी सास के साथ पटरी नहीं बैठ रही है। सास पुराने ख़यालों की थी और ब
आरती नामक एक युवती का विवाह हुआ और वह अपने पति और सास के साथ अपने ससुराल में रहने लगी। कुछ ही दिनों बाद आरती को आभास होने लगा कि उसकी सास के साथ पटरी नहीं बैठ रही है। सास पुराने ख़यालों की थी और बहू नए विचारों वाली।
आरती और उसकी सास का आये दिन झगडा होने लगा।
दिन बीते, महीने बीते. साल भी बीत गया. न तो सास टीका-टिप्पणी करना छोड़ती और न आरती जवाब देना। हालात बद से बदतर होने लगे। आरती को अब अपनी सास से पूरी तरह नफरत हो चुकी थी. आरती के लिए उस समय स्थिति और बुरी हो जाती जब उसे भारतीय परम्पराओं के अनुसार दूसरों के सामने अपनी सास को सम्मान देना पड़ता। अब वह किसी भी तरह सास से छुटकारा पाने की सोचने लगी.
एक दिन जब आरती का अपनी सास से झगडा हुआ और पति भी अपनी माँ का पक्ष लेने लगा तो वह नाराज़ होकर मायके चली आई।
आरती के पिता आयुर्वेद के डॉक्टर थे. उसने रो-रो कर अपनी व्यथा पिता को सुनाई और बोली – “आप मुझे कोई जहरीली दवा दे दीजिये जो मैं जाकर उस बुढ़िया को पिला दूँ नहीं तो मैं अब ससुराल नहीं जाऊँगी…”
बेटी का दुःख समझते हुए पिता ने आरती के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा – “बेटी, अगर तुम अपनी सास को ज़हर खिला कर मार दोगी तो तुम्हें पुलिस पकड़ ले जाएगी और साथ ही मुझे भी क्योंकि वो ज़हर मैं तुम्हें दूंगा. इसलिए ऐसा करना ठीक नहीं होगा.”
लेकिन आरती जिद पर अड़ गई – “आपको मुझे ज़हर देना ही होगा ….
अब मैं किसी भी कीमत पर उसका मुँह देखना नहीं चाहती !”
कुछ सोचकर पिता बोले – “ठीक है जैसी तुम्हारी मर्जी। लेकिन मैं तुम्हें जेल जाते हुए भी नहीं देख सकता इसलिए जैसे मैं कहूँ वैसे तुम्हें करना होगा ! मंजूर हो तो बोलो ?”
“क्या करना होगा ?”, आरती ने पूछा.
पिता ने एक पुडिया में ज़हर का पाउडर बाँधकर आरती के हाथ में देते हुए कहा – “तुम्हें इस पुडिया में से सिर्फ एक चुटकी ज़हर रोज़ अपनी सास के भोजन में मिलाना है।
कम मात्रा होने से वह एकदम से नहीं मरेगी बल्कि धीरे-धीरे आंतरिक रूप से कमजोर होकर 5 से 6 महीनों में मर जाएगी. लोग समझेंगे कि वह स्वाभाविक मौत मर गई.”
पिता ने आगे कहा -“लेकिन तुम्हें बेहद सावधान रहना होगा ताकि तुम्हारे पति को बिलकुल भी शक न होने पाए वरना हम दोनों को जेल जाना पड़ेगा ! इसके लिए तुम आज के बाद अपनी सास से बिलकुल भी झगडा नहीं करोगी बल्कि उसकी सेवा करोगी।
यदि वह तुम पर कोई टीका टिप्पणी करती है तो तुम चुपचाप सुन लोगी, बिलकुल भी प्रत्युत्तर नहीं दोगी ! बोलो कर पाओगी ये सब ?”
आरती ने सोचा, छ: महीनों की ही तो बात है, फिर तो छुटकारा मिल ही जाएगा. उसने पिता की बात मान ली और ज़हर की पुडिया लेकर ससुराल चली आई.
ससुराल आते ही अगले ही दिन से आरती ने सास के भोजन में एक चुटकी ज़हर रोजाना मिलाना शुरू कर दिया।
साथ ही उसके प्रति अपना बर्ताव भी बदल लिया. अब वह सास के किसी भी ताने का जवाब नहीं देती बल्कि क्रोध को पीकर मुस्कुराते हुए सुन लेती।
रोज़ उसके पैर दबाती और उसकी हर बात का ख़याल रखती।
सास से पूछ-पूछ कर उसकी पसंद का खाना बनाती, उसकी हर आज्ञा का पालन करती।
कुछ हफ्ते बीतते बीतते सास के स्वभाव में भी परिवर्तन आना शुरू हो गया. बहू की ओर से अपने तानों का प्रत्युत्तर न पाकर उसके ताने अब कम हो चले थे बल्कि वह कभी कभी बहू की सेवा के बदले आशीष भी देने लगी थी।
धीरे-धीरे चार महीने बीत गए. आरती नियमित रूप से सास को रोज़ एक चुटकी ज़हर देती आ रही थी।
किन्तु उस घर का माहौल अब एकदम से बदल चुका था. सास बहू का झगडा पुरानी बात हो चुकी थी. पहले जो सास आरती को गालियाँ देते नहीं थकती थी, अब वही आस-पड़ोस वालों के आगे आरती की तारीफों के पुल बाँधने लगी थी।
बहू को साथ बिठाकर खाना खिलाती और सोने से पहले भी जब तक बहू से चार प्यार भरी बातें न कर ले, उसे नींद नही आती थी।
छठा महीना आते आते आरती को लगने लगा कि उसकी सास उसे बिलकुल अपनी बेटी की तरह मानने लगी हैं। उसे भी अपनी सास में माँ की छवि नज़र आने लगी थी।
जब वह सोचती कि उसके दिए ज़हर से उसकी सास कुछ ही दिनों में मर जाएगी तो वह परेशान हो जाती थी।
इसी ऊहापोह में एक दिन वह अपने पिता के घर दोबारा जा पहुंची और बोली – “पिताजी, मुझे उस ज़हर के असर को ख़त्म करने की दवा दीजिये क्योंकि अब मैं अपनी सास को मारना नहीं चाहती … !
वो बहुत अच्छी हैं और अब मैं उन्हें अपनी माँ की तरह चाहने लगी हूँ!”
पिता ठठाकर हँस पड़े और बोले – “ज़हर ? कैसा ज़हर ? मैंने तो तुम्हें ज़हर के नाम पर हाजमे का चूर्ण दिया था … हा हा हा !!!”
"बेटी को सही रास्ता दिखाये, माँ बाप का पूर्ण फर्ज अदा करे"
😂😂😂(((((रिपोर्ट कार्ड )))))😂😂😂
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पापा आफिस में पहुंचे ही थे कि स्कूल से फोन आया! सुरीली आवाज में एक मैम बोलीं - "सर! आप की बेटी जो सेकंड क्लास में है, मैं उसकी क्लास टीचर बोल रहीं हूँ। आज पैरंट्स टी
😂😂😂(((((रिपोर्ट कार्ड )))))😂😂😂
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पापा आफिस में पहुंचे ही थे कि स्कूल से फोन आया! सुरीली आवाज में एक मैम बोलीं - "सर! आप की बेटी जो सेकंड क्लास में है, मैं उसकी क्लास टीचर बोल रहीं हूँ। आज पैरंट्स टीचर मीटिंग है। रिपोर्ट कार्ड दिखाया जाएगा। आप अपनी बेटी के साथ टाईम से पहुंचें।".. बेचारे पापा क्या करते। आदेश के पाबंद... तुरंत छुट्टी लेकर, घर से बेटी को लेकर स्कूल पहुंच गए। सामने गुलाबी साड़ी पहने,छोटी सी बिंदी लगाए, नयी उम्र की, गोरी सी लेकिन बेहद तेज मैम बैठी थी। पापा कुछ बोल पाते कि इससे पहले लगभग डांटते हुए बोलीं -" आप अभी रुकिए, मैं आप से अलग बात करूंगी।"
पापा ने बेटी की तरफ देखा, और दोनों चुपचाप पीछे जाकर बैठ गए। "मैम बहुत गुस्से में लगती हैं" - बेटी ने धीरे से कहा। "तुम्हारा रिपोर्ट कार्ड तो ठीक है" - उसी तरह पापा भी धीरे से बोले। "पता नहीं पापा, मैंने तो देखा नहीं। "-बेटी ने अपना बचाव किया। "मुझे भी लगता है, आज तुम्हारी मैम तुम्हारे साथ मेरी भी क्लास लेंगी।" - पापा खुद को तैयार करते हुए बोले।
वो दोनों आपस में फुसफुसा ही रहे थे कि तभी मैम खाली होकर बोलीं - "हाँ! अब आप दोनों भी आ जाइए।पापा किसी तरह उस शहद भरी मिर्ची सी आवाज के पास पहुंचे। और बेटी पापा के के पीछे छुप कर खड़ी हो गई।
मैम- देखिए! आप की बेटी की शिकायत तो बहुत है लेकिन पहले आप इसकी परीक्षा की कापियां और रिपोर्ट देखिए। और बताइए इसको कैसे पढ़ाया जाये।
... मैम ने सारांश में लगभग सारी बात कह दी..
मैम- पहले इंग्लिश की कापी देखिए.. फेल है आप की बेटी।
... पापा ने एक नजर बेटी को देखा, जो सहमी सी खड़ी थी.. फिर मुस्कुरा कर बोले...
पापा - अंग्रेजी एक विदेशी भाषा है। इस अम्र में बच्चे अपनी ही भाषा नहीं समझ पाते।
... इतना मैम को चिढ़ने के लिए काफी था...
मैम- अच्छा! और ये देखिए! ये हिंदी में भी फेल है। क्यों?
... पापा ने फिर बेटी की तरफ देखा.. मानो उसकी नजरें साॅरी बोल रहीं हों...
पापा - हिंदी एक कठिन भाषा है। ध्वनि आधारित है। इसको जैसा बोला जाता है, वैसा लिखा जाता है। अब आप के इंग्लिश स्कूल में कोई शुद्ध हींदी बोलने वाला नहीं होगा...
.....पापा की बात मैम बीच में काटते हुए बोलीं...
मैम - अच्छा... तो आप और बच्चों के बारे में क्या कहेंगे जो....
इस बार पापा ने मैम की बात काट कर बोले..
पापा - और बच्चे क्यों फेल हुए ये मैं नहीं बता सकता... मै तो....
मैम चिढ़ते हुए बोली - "आप पूरी बात तो सुन लिया करो, मेरा मतलब था कि और बच्चे कैसे पास हो गये..." फेल नहीं"...अच्छा छोड़ो ये दूसरी कापी देखो आप। आज के बच्चे जब मोबाइल और लैपटॉप की रग रग से वाकिफ हैं तो आप की बच्ची कम्प्यूटर में कैसे फेल हो गई?
.... पापा इस बार कापी को गौर से देखते हुए, गंभीरता से बोले - "ये कोई उम्र है कम्प्यूटर पढ़ने और मोबाइल चलाने की। अभी तो बच्चों को फील्ड में खेलना चाहिए।
... मैम का पारा अब सातवें आसमान पर था... वो कापियां समेटते हुए बोली-" सांइस की कापी दिखाने से तो कोई फायदा है नहीं। क्योंकि मैं भी जानती हूँ कि अल्बर्ट आइंस्टीन बचपन फेल होते थे।"
... पापा चुपचाप थे...
मैम ने फिर शिकायत आगे बढ़ाई - "ये क्लास में डिस्पलिन में नहीं रहती, बात करती है, शोर करती है, इधर-उधर घूमती है।
पापा ने मैम को बीच में रोक कर, खोजती हुई निगाह से बोले...
पापा - वो सब छोड़िए! आप कुछ भूल रहीं हैं। इसमें गणित की कापी कहां है। उसका रिजल्ट तो बताइए।
मैंम-(मुंह फेरते हुए) हां, उसे दिखाने की जरूरत नहीं है।
पापा - फिर भी, जब सारी कापियां दिखा दी तो वही क्यों बाकी रहे।
मैम ने इस बार बेटी की तरफ देखा और अनमने मन से गणित की कापी निकाल कर दे दी।
.... गणित का नम्बर, और विषयों से अलग था.... 100%.....
मैम अब भी मुंह फेरे बैठी थीं, लेकिन पापा पूरे जोश में थे।
पापा - हाँ तो मैंम, मेरी बेटी को इंग्लिश कौन पढ़ाता है?
:
मैम- (धीरे से) मैं!
:
पापा - और हिंदी कौन पढ़ाता है?
:
मैम- "मै"
:
पापा - और कम्प्यूटर कौन पढ़ाता है?
:
मैम- वो भी "मैं"
:
पापा - अब ये भी बता दीजिए कि गणित कौन पढ़ाता है?
:
मैम कुछ बोल पाती, पापा उससे पहले ही जवाब देकर खड़े हो गए...
पापा - "मैं"...
:
मैम - (झेंपते हुए) हां पता है।
:
पापा- तो अच्छा टीचर कौन है????? दुबारा मुझसे मेरी बेटी की शिकायत मत करना। बच्ची है। शरारत तो करेगी ही।
:
मैम तिलमिला कर खड़ी हो गई और जोर से बोलीं-"""मिलना तुम दोनों आज घर पर, दोनों बाप बेटी की अच्छे से खबर लेती हूं"""!!!!
:
:
:
(((कुछ समझे? )))
😂😂😂😂😂😂
एक बार एक केकड़ा समुद्र किनारे अपनी मस्ती में चला जा रहा था और बीच बीच में रुक कर अपने पैरों के निशान देख कर खुश होता। आगे बढ़ता पैरों के निशान देखता और खुश होता,
इतने में एक लहर आई और उसके पैरों के
एक बार एक केकड़ा समुद्र किनारे अपनी मस्ती में चला जा रहा था और बीच बीच में रुक कर अपने पैरों के निशान देख कर खुश होता। आगे बढ़ता पैरों के निशान देखता और खुश होता,
इतने में एक लहर आई और उसके पैरों के सभी निशान मिट गये, इस पर केकड़े को बड़ा गुस्सा आया, उसने लहर से कहा -
ए लहर मैं तो तुझे अपना मित्र मानता था, पर ये तूने क्या किया, मेरे बनाये सुंदर पैरों के निशानों को ही मिटा दिया कैसी दोस्त हो तुम।
तब लहर बोली वो देखो पीछे से मछुआरे पैरों के निशान देख कर केकड़ों को पकड़ने आ रहे हैं। हे मित्र, तुमको वो पकड़ न लें, बस इसीलिए मैंने निशान मिटा दिए। ये सुनकर केकड़े की आँखों में आँसू आ गये।
सच यही है, कई बार हम सामने वाले की बातों को समझ नहीं पाते और अपनी सोच अनुसार उसे गलत समझ लेते हैं जबकि हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, अतः मन में बैर और वैमनष्यता लाने से बेहतर है कि हम दिल से सोचें दिल की सुने फिर निष्कर्ष निकालें।
एक गरीब परिवार में एक सुन्दर सी बेटी ने जन्म लिया..
बाप दुखी हो गया बेटा पैदा होता तो कम से कम काम में तो हाथ बटाता,,
उसने बेटी को पाला जरूर, मगर दिल से नही....
वो पढने जाती थी तो ना ही स्कूल की फीस
एक गरीब परिवार में एक सुन्दर सी बेटी ने जन्म लिया..
बाप दुखी हो गया बेटा पैदा होता तो कम से कम काम में तो हाथ बटाता,,
उसने बेटी को पाला जरूर, मगर दिल से नही....
वो पढने जाती थी तो ना ही स्कूल की फीस टाइम से जमा करता,
और ना ही कापी किताबों पर ध्यान देता था...
अक्सर दारू पी कर घर में कोहराम मचाता था........
उस लडकी की माँ बहुत अच्छी व बहुत भोली भाली थी
वो अपनी बेटी को बडे लाड प्यार से रखती थी..
वो पति से छुपा-छुपा कर बेटी की फीस जमा करती और कापी किताबों का खर्चा देती थी..
अपना पेट काटकर फटे पुराने कपडे पहन कर गुजारा कर लेती थी, मगर बेटी का पूरा खयाल रखती थी...
पति अक्सर घर से कई कई दिनों के लिये गायब हो जाता था. जितना कमाता था दारू मे ही फूक देता था...
वक्त का पहिया घूमता गया बेटी धीरे-धीरे समझदार हो गयी..
दसवीं क्लास में उसका एडमीसन होना था.
माँ के पास इतने पैसै ना थे जो बेटी का स्कूल में दाखिला करा पाती..
बेटी डरडराते हुये पापा से बोली:
पापा मैं पढना चाहती हूं मेरा हाईस्कूल में एडमीसन करा दीजिए
मम्मी के पास पैसै नही है...
बेटी की बात सुनते ही बाप आग वबूला हो गया और चिल्लाने लगा बोला:
तू कितनी भी पड लिख जाये तुझे तो चौका चूल्हा ही सम्भालना है क्या करेगी तू ज्यादा पड लिख कर..
उस दिन उसने घर में आतंक मचाया व सबको मारा पीटा
बाप का व्यहार देखकर बेटी ने मन ही मन में सोच लिया कि अब वो आगे की पढाई नही करेगी....
एक दिन उसकी माँ बाजार गयी बेटी ने पूछा: माँ कहॉ गयी थी
माँ ने उसकी बात को अनसुना करते हुये कहा : बेटी कल मै तेरा स्कूल में दाखिला कराउगी
बेटी ने कहा: नही माँ मै अब नही पडूगी मेरी वजह से तुम्हे कितनी परेशानी उठानी पडती है
पापा भी तुमको मारते पीटते हैं कहते कहते रोने लगी..
माँ ने उसे सीने से लगाते हुये कहा: बेटी मै बाजार से कुछ रुपये लेकर आयी हूं मै कराउगी तेरा दखिला..
बेटी ने माँ की ओर देखते हुये पूछा: माँ तुम इतने पैसै कहॉ से लायी हो??
मॉ ने उसकी बात को फिर अनसुना कर दिया..
वक्त वीतता गया माँ ने जी तोड मेहनत करके बेटी को पढाया लिखाया
बेटी ने भी माँ की मेहनत को देखते हुये मन लगा कर दिन रात पढाई की और आगे बडती चली गयी......
इधर बाप दारू पी पी कर बीमार पड गया डाक्टर के पास ले गये
डाक्टर ने कहा इनको टी.बी. है एक दिन तबियत ज्यादा गम्भीर होने पर बेहोशी की हालत में अस्पताल में भर्ती कराया..
.
कुछ दिनो बाद उसे जब होश आया तो डाक्टरनी का चेहरा देखकर उसके होश उड गये
वो डाक्टरनी कोई और नही वल्कि उसकी अपनी बेटी थी..
शर्म से पानी पानी बाप कपडे से अपना चेहरा छुपाने लगा और रोने लगा हाथ जोडकर बोला:
बेटी मुझे माफ करना मैं तुझे समझ ना सका...
बाप को रोते देखकर बेटी ने बाप को गले लगा लिया.
दोस्तों गरीबी और अमीरी से कोई फर्क नहीं पडता, अगर इन्सान का इरादा हो तो आसमान में भी छेद हो सकता है
एक दिन बेटी माँ से बोली: माँ तुमने मुझे आजतक नहीं बताया कि मेरे हाईस्कूल के एडमीसन के लिये पैसै कहाँ से लायी थी??
बेटी के बार बार पूछने पर माँ ने जो बात बतायी उसे सुनकर बेटी की रूह काँप गयी....
माँ ने अपने शरीर का खून बेच कर बेटी का एडमीसन कराया था....
दोस्तों तभी तो माँ को भगवान का दर्जा दिया गया है माँ जितना औलाद के लिये त्याग कर सकती है उतना दुनियाँ में कोई और नही..
🍀🍀🍀भुली बीसरी यादे ☘☘
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हमारे बचपन में कपड़े तीन टाइप के ही होते थे •••
स्कूल का ••• घर का ••• और किसी खास मौके का •••
अब तो ••• कैज़
🍀🍀🍀भुली बीसरी यादे ☘☘
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हमारे बचपन में कपड़े तीन टाइप के ही होते थे •••
स्कूल का ••• घर का ••• और किसी खास मौके का •••
अब तो ••• कैज़ुअल, फॉर्मल, नॉर्मल, स्लीप वियर, स्पोर्ट वियर, पार्टी वियर, स्विमिंग, जोगिंग, संगीत ड्रेस, फलाना - ढिमका •••
जिंदगी आसान बनाने चले थे ••• पर वह कपड़ों की तरह कॉम्प्लिकेटेड हो गयी है •••🤕🤕🤔🤔
बचपन में पैसा जरूर कम था पर साला उस बचपन में दम था"
.
"पास में महंगे से मंहगा मोबाइल है पर बचपन वाली गायब वो स्माईल है"
.
"न गैलेक्सी, न वाडीलाल, न नैचुरल था, पर घर पर जमीं आइसक्रीम का मजा ही कुछ ओर था"
.
अपनी अपनी बाईक और कारों में घूम रहें हैं हम पर किराये की उस साईकिल का मजा ही कुछ और था
"बचपन में पैसा जरूर कम था पर यारो उस बचपन में दम था
कभी हम भी बहुत अमीर हुआ करते थे हमारे भी जहाज चला करते थे।
हवा में भी। पानी में भी।
दो दुर्घटनाएं हुई। सब कुछ ख़त्म हो गया।
पहली दुर्घटना
जब क्लास में हवाई जहाज उड़ाया। टीचर के सिर से टकराया।
स्कूल से निकलने की नौबत आ गई। बहुत फजीहत हुई।
कसम दिलाई गई। औऱ जहाज बनाना और उडाना सब छूट गया।
दूसरी दुर्घटना
बारिश के मौसम में, मां ने अठन्नी दी।
चाय के लिए दूध लाना था। कोई मेहमान आया था।
हमने अठन्नी गली की नाली में तैरते अपने जहाज में बिठा दी।
तैरते जहाज के साथ हम शान से चल रहे थे।
ठसक के साथ। खुशी खुशी।
अचानक तेज बहाब आया। और जहाज डूब गया।
साथ में अठन्नी भी डूब गई। ढूंढे से ना मिली।
मेहमान बिना चाय पीये चले गये। फिर जमकर ठुकाई हुई।
घंटे भर मुर्गा बनाया गया। औऱ हमारा पानी में जहाज तैराना भी बंद हो गया।
आज जब प्लेन औऱ क्रूज के सफर की बातें चलती हैं , तो उन दिनों की याद दिलाती हैं।
वो भी क्या जमाना था !
और आज के जमाने में मेरे बेटी ने पंद्रह हजार का मोबाइल गुमाया तो..
मां बोली : कोई बात नहीं ! पापा दूसरा दिला देंगे।
हमें अठन्नी पर मिली सजा याद आ गई।
फिर भी आलम यह है कि आज भी हमारे सर मां-बाप के चरणों में श्रद्धा से झुकते हैं।
औऱ हमारे बच्चे 'यार पापा ! यार मम्मी ! कहकर.. बात करते हैं।
हम प्रगतिशील से.. प्रगतिवान.. हो गये हैं।
कोई लौटा दे.. मेरे बीते हुए दिन।
☔🙏
माँ बाप की लाइफ गुजर जाती है *बेटे की लाइफ बनाने में......*
और बेटा status_ रखता है--- " My wife is my Life"
✍ बाहर बारिश हो रही थी, और अन्दर क्लास चल रही थी.
तभी टीचर ने बच्चों से पूछा - अगर तुम सभी को 100-100 रुपया दिए जाए तो तुम सब क्या क्या खरीदोगे ?
किसी ने कहा - मैं वीडियो गेम खरीदुंगा..
किसी ने कहा - मैं क्रि
✍ बाहर बारिश हो रही थी, और अन्दर क्लास चल रही थी.
तभी टीचर ने बच्चों से पूछा - अगर तुम सभी को 100-100 रुपया दिए जाए तो तुम सब क्या क्या खरीदोगे ?
किसी ने कहा - मैं वीडियो गेम खरीदुंगा..
किसी ने कहा - मैं क्रिकेट का बेट खरीदुंगा..
किसी ने कहा - मैं अपने लिए प्यारी सी गुड़िया खरीदुंगी..
तो, किसी ने कहा - मैं बहुत सी चॉकलेट्स खरीदुंगी..
एक बच्चा कुछ सोचने में डुबा हुआ था
टीचर ने उससे पुछा - तुम क्या सोच रहे हो, तुम क्या खरीदोगे ?
बच्चा बोला -टीचर जी मेरी माँ को थोड़ा कम दिखाई देता है तो मैं अपनी माँ के लिए एक चश्मा खरीदूंगा !
टीचर ने पूछा - तुम्हारी माँ के लिए चश्मा तो तुम्हारे पापा भी खरीद सकते है तुम्हें अपने लिए कुछ नहीं खरीदना ?
बच्चे ने जो जवाब दिया उससे टीचर का भी गला भर आया !
बच्चे ने कहा -- मेरे पापा अब इस दुनिया में नहीं है
मेरी माँ लोगों के कपड़े सिलकर मुझे पढ़ाती है, और कम दिखाई देने की वजह से वो ठीक से कपड़े नहीं सिल पाती है इसीलिए मैं मेरी माँ को चश्मा देना चाहता हुँ, ताकि मैं अच्छे से पढ़ सकूँ बड़ा आदमी बन सकूँ, और माँ को सारे सुख दे सकूँ.!
टीचर -- बेटा तेरी सोच ही तेरी कमाई है ! ये 100 रूपये मेरे वादे के अनुसार और, ये 100 रूपये और उधार दे रहा हूँ। जब कभी कमाओ तो लौटा देना और, मेरी इच्छा है, तू इतना बड़ा आदमी बने कि तेरे सर पे हाथ फेरते वक्त मैं धन्य हो जाऊं !
20 वर्ष बाद..........
बाहर बारिश हो रही है, और अंदर क्लास चल रही है !
अचानक स्कूल के आगे जिला कलेक्टर की बत्ती वाली गाड़ी आकर रूकती है स्कूल स्टाफ चौकन्ना हो जाता हैं !
स्कूल में सन्नाटा छा जाता हैं !
मगर ये क्या ?
जिला कलेक्टर एक वृद्ध टीचर के पैरों में गिर जाते हैं, और कहते हैं -- सर मैं .... उधार के 100 रूपये लौटाने आया हूँ !
पूरा स्कूल स्टॉफ स्तब्ध !
वृद्ध टीचर झुके हुए नौजवान कलेक्टर को उठाकर भुजाओं में कस लेता है, और रो पड़ता हैं !
दोस्तों --
*मशहूर होना, पर मगरूर मत बनना।*
*साधारण रहना, कमज़ोर मत बनना।*
*वक़्त बदलते देर नहीं लगती..*
शहंशाह को फ़कीर, और फ़क़ीर को शहंशाह बनते,
*देर नही लगती ....*
🙏🏻😊😊🙏🏻🙏🏻😊😊🙏🏻
🎈ज़िन्दगी की शाम ढलने को है 🎈
⛳कभी इस लड़ाकू औरत से बात नहीं करूँगा! पता नहीं समझती क्या है खुद को! जब देखो झगड़ा।" सुकून से रहने नहीं देती। बड़बड़ाते हुए वह घर से बाहर निकल गया।
☕ नजदीक के चाय के स्टॉल
🎈ज़िन्दगी की शाम ढलने को है 🎈
⛳कभी इस लड़ाकू औरत से बात नहीं करूँगा! पता नहीं समझती क्या है खुद को! जब देखो झगड़ा।" सुकून से रहने नहीं देती। बड़बड़ाते हुए वह घर से बाहर निकल गया।
☕ नजदीक के चाय के स्टॉल पर पहुँच कर चाय ऑर्डर की और सामने रखे स्टूल पर बैठ गया।
"इतनी सर्दी में बाहर चाय पी रहे हो!"
उसने गर्दन घुमा कर देखा तो साथ के स्टूल पर बैठे बुजुर्ग उससे मुख़ातिब थे।
"आप भी तो इतनी सर्दी और इस उम्र में बाहर हैं!"
बुजुर्ग ने मुस्कुरा कर कहा मैं निपट अकेला। न कोई गृहस्थी, न साथी। तुम तो शादीशुदा लगते हो ।
पत्नी घर में जीने नहीं देती। हर समय चिकचिक। बाहर न भटकूँ तो क्या करूँ ! गर्म चाय के घूँट अंदर जाते ही दिल की कड़वाहट निकल पड़ी।
बुजुर्ग अब थोड़ा संजीदा होकर बोले:
"पत्नी जीने नहीं देती! बरखुरदार ज़िन्दगी ही पत्नी से होती है। दस बरस हो गए हमारी पत्नी को गए हुए।"
बुजुर्ग ने ठंडी साँस के साथ अपनी वेदना छलकाते हुए कहा --- जब ज़िंदा थी, कभी कद्र नहीं की। आज कम्बख़्त चली गयी तो भूलाई नहीं जाती । घर काटने को होता है। बच्चे अपने अपने काम में मस्त।"
आलीशान घर, धन दौलत सब है! पर उसके बिना कुछ मज़ा नहीं...यूँ ही कभी कहीं, कभी कहीं भटकता रहता हूँ।"
"कुछ अच्छा नही लगता, उसके जाने के बाद, पता चला वो धड़कन थी --- मेरे जीवन की ही नहीं मेरे घर की भी सब बेजान हो गया हैं ... बुज़ुर्ग की आँखों में दर्द और आंसुओं का समंदर था।
उसने चाय वाले को पैसे दिए। नज़र भर बुज़ुर्ग को देखा। एक मिनट गंवाए बिना घर की ओर मुड़ गया।
चिंतित पत्नी दरवाजे पर ही खड़ी थी।
"कहाँ चले गए थे? जैकेट भी नहीं पहना, ठण्ड लग जाएगी तो?"
"तुम भी तो बिना स्वेटर के दरवाजे पर खड़ी हो।"
💕दोनों ने आँखों से एक दूसरे के प्यार को पढ़ लिया।
🎈ज़िन्दगी कैसी है पहेली हाय ... कभी तो रुलाये कभी ये हँसाये ! 🎈