Pray, The Sindoor Adorns The Forehead Of Every Woman. Let God Bless You For A Long And A Happy Married Life. Happy Karwa Chauth!
I told my heart not to beat since u were filled in it,
It kept my word and stop the beat.
Since the blood was passing through the heart,
The passes of each drop said your name my love!
Thanks for praying for me.
Happy Karva Chauth to my lovely wife !!!
When I say I love you It doesn't mean just 3 words of love, it means
I care for you
I trust you
I believe you
I miss you
Love sometimes changes some moment and sometimes whole life.
Day Seems to be Long And Moon Doesn’T Show, Thirsty Hungry, Yet On To Go. Salute to all Indian Womens For Their Sacrifice And Love. An Incarnation Of Goddesses From Heaven Above Happy Karwachauth
गाँव के स्कूल में पढने वाली छुटकी आज बहुत खुश थी, उसका दाखिला शहर के एक अच्छे स्कूल में क्लास 6 में हो गया था।
आज स्कूल का पहला दिन था और वो समय से पहले ही तैयार हो कर बस का इंतज़ार कर रही थी। बस
गाँव के स्कूल में पढने वाली छुटकी आज बहुत खुश थी, उसका दाखिला शहर के एक अच्छे स्कूल में क्लास 6 में हो गया था।
आज स्कूल का पहला दिन था और वो समय से पहले ही तैयार हो कर बस का इंतज़ार कर रही थी। बस आई और छुटकी बड़े उत्साह के साथ उसमे सवार हो गयी।
करीब 1 घंटे बाद जब बस स्कूल पहुंची तो सारे बच्चे उतर कर अपनी-अपनी क्लास में जाने लगे…छुटकी भी बच्चों से पूछते हुए अपनी क्लास में पहुंची।
क्लास के बच्चे गाव से आई इस लडकी को देखकर उसका मजाक उड़ाने आगे।
“साइलेंस!”, टीचर बोली, “ चुप हो जाइए आप सब…”
“ये छुटकी है, और आज से ये आपके साथ ही पढेगी।” उसके बाद टीचर ने बच्चों को सरप्राइज टेस्ट के लिए तैयार होने को कह दिया।
“चलिए, अपनी-अपनी कॉपी निकालिए और जल्दी से “दुनिया के 7 आश्चर्य लिख डालिए।”, टीचर ने निर्देश दिया।
सभी बच्चे जल्दी जल्दी उत्तर लिखने लगे, छुटकी भी धीरे-धीरे अपना उत्तर लिखने लगी।
जब सबने अपनी कॉपी जमा कर दी तब टीचर ने छुटकी से पूछा, “क्या हुआ बेटा, आपको जितना पता है उतना ही लिखिए, इन बच्चों को तो मैंने कुछ दिन पहले ही दुनिया के सात आश्चर्य बताये थे।”
“जी, मैं तो सोच रही थी कि इतनी सारी चीजें हैं…इनमे से कौन सी सात चीजें लिखूं….”, छुटकी टीचर को अपनी कॉपी थमाते हुए बोली।
टीचर ने सबकी कापियां जोर-जोर से पढनी शुरू कीं..ज्यादातर बच्चों ने अपने उत्तर सही दिए थे…
ताजमहल
चीचेन इट्ज़ा
क्राइस्ट द रिडीमर की प्रतिमा
कोलोसियम
चीन की विशाल दीवार
माचू पिच्चू
पेत्रा
टीचर खुश थीं कि बच्चों को उनका पढ़ाया याद था। बच्चे भी काफी उत्साहित थे और एक दुसरे को बधाई दे रहे थे…
अंत में टीचर ने छुटकी की कॉपी उठायी, और उसका उत्तर भी सबके सामने पढना शुरू किया….
दुनिया के 7 आश्चर्य हैं:
देख पाना
सुन पाना
किसी चीज को महसूस कर पाना
हँस पाना
प्रेम कर पाना
सोच पाना
दया कर पाना
छुटकी के उत्तर सुन पूरी क्लास में सन्नाटा छा गया। टीचर भी आवाक खड़ी थी….आज गाँव से आई एक बच्ची ने उन सभी को भगवान् के दिए उन अनमोल तोहफों का आभाष करा दिया था जिनके तरफ उन्होंने कभी ध्यान ही नहीं दिया था!
किसी गांव में एक चूहा था..! जो एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था..! एक दिन चूहे ने देखा.! कि उस कसाई और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं..! चूहे ने सोचा..! कि शायद कुछ खाने का सामान है..! तो उत्सुकत
किसी गांव में एक चूहा था..! जो एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था..! एक दिन चूहे ने देखा.! कि उस कसाई और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं..! चूहे ने सोचा..! कि शायद कुछ खाने का सामान है..! तो उत्सुकतावश देखने पर उसने पाया..! कि वो एक चूहेदानी थी..! डर के मारे ख़तरा भाँपने पर..! उस चुहे ने पिछवाड़े में जा कर कबूतर को यह बात बताई..! कि घर में चूहेदानी आ गयी है..! तब कबूतर ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा..! कि मुझे क्या..! मुझे कौन सा उस में फँसना है..? निराश होकर चूहा ये बात मुर्गे को बताने गया..! मुर्गे ने भी उसकी खिल्ली उड़ाते हुए कहा, " जा भाई..! जा यहां से..! ये मेरी समस्या नहीं है..! अब बेचारा हताश चूहे ने बाड़े में जा कर यह बात बकरे को ये बात बताई..! और बकरा यह सून कर हँसते हँसते लोटपोट होने लगा..! अपना मजाक बनता देख, चूहा उस घर को छोड़ जंगल की ओर निकल गया..!
ठीक उसी रात चूहेदानी में "खटाक" की आवाज़ हुई..! जिस में गलती से एक ज़हरीला साँप फंस गया था..! अँधेरे में उसकी पूँछ को चूहा समझ कर..! उस कसाई की पत्नी ने जैसे ही उसे निकाला..! तभी साँप ने उसे डस लिया..! तबीयत बिगड़ने पर उस कसाई ने हकीम को बुलवाया..! हकीम ने उसे दवाई के साथ कबूतर का सूप पिलाने की सलाह दी..! कबूतर अब पतीले में उबल रहा था..! यह खबर सुनकर उस कसाई के कई रिश्तेदार मिलने आ पहुँचे..! जिनके भोजन प्रबंध हेतु अगले दिन उसी मुर्गे को काटा गया..! कुछ दिनों बाद उस कसाई की पत्नी सही सलामत हो गयी..! तो खुशी में उस कसाई ने अपने कुछ शुभचिंतकों के लिए एक दावत रखी..! फिर खुशी के माहौल बकरे को काटा गया..! लेकिन इधर चूहा अब दूर जा चुका था..! बहुत दूर..!
समझे मित्रो..! अगली बार कोई आपको अपनी समस्या बतायेे..! और आप को लगे..! कि ये मेरी समस्या नहीं है..! तो रुकिए और दुबारा सोचिये..! हो सकता है वही समस्या कल आपके पल्ले आ जाय..! जब समाज का हर एक अंग..! हर एक तबका..! हर एक नागरिक खतरे में है..! तभी तो पूरा देश खतरे में है..! आप सब अपने-अपने दायरे से बाहर निकलिये..! स्वयं तक सीमित मत रहिये..! सामाजिक बनिये..! आज जो समस्या किसी दूसरे की है..! हो सकता है कल वही समस्या आपके साथ उत्पन्न हो जाय..!
इक ज़रा सी बात पे रिश्ते बिखर गये..
मैं भी वो नहीँ रही, वो भी बदल गये !!
गर्दिशे हालात थी या मेरा कुसूर था...
इक मोड़ आया राह में रस्ते बदल गये !!
उनको भी तलाश थी शायद बहाने की...
अपने बनाये उसूलों से हम भी म
इक ज़रा सी बात पे रिश्ते बिखर गये..
मैं भी वो नहीँ रही, वो भी बदल गये !!
गर्दिशे हालात थी या मेरा कुसूर था...
इक मोड़ आया राह में रस्ते बदल गये !!
उनको भी तलाश थी शायद बहाने की...
अपने बनाये उसूलों से हम भी मुकर गये !!
सोचा था कि जियेंगे तो साथ जियेंगे...
वो ख्वाहिशें बदल गईं, सपने बदल गये !!
फिसलती इन राहों पर सँभल रहे थे हम...
आखिर तो इंसान थे, हम भी फिसल गये !!
यार का दामन इन्हें नसीब कहाँ था...
जो अश्क आँख से गिरे, मिट्टी में मिल गये !!
पिंटू : दादी नींद नहीं आ रही है | TV देख लूँ....???
दादी: मुझसे बातें कर ले..
पिंटू : दादी क्या हम हमेशा 6 ही रहेगें..? आप, मम्मी, पापा, दीदी, मैं और मेरी बिल्ली.
दादी : नहीं बेटा, आप के लिये कल डॉगी भी आ रह
पिंटू : दादी नींद नहीं आ रही है | TV देख लूँ....???
दादी: मुझसे बातें कर ले..
पिंटू : दादी क्या हम हमेशा 6 ही रहेगें..? आप, मम्मी, पापा, दीदी, मैं और मेरी बिल्ली.
दादी : नहीं बेटा, आप के लिये कल डॉगी भी आ रहा है | तो 7 हो जायेंगे |
पिंटू : पर...दादी डॉगी तो बिल्ली को खा जायेगा, तो फिर 6 हो जायेंगे !!!!
दादी : नहीं बेटा, आपकी शादी हो जायेगी तो फिर 7 हो जायेंगे |
पिंटू : फिर बहन चली जायेगी शादी करके तो फिर 6 हो जायेंगे !!
दादी : बेटा.. फिर आपका बेटा.. हो जायेगा तो फिर 7 हो जायेंगे..|
पिंटू : तब तक आप मर जाओगी वापस से 6 हो जायेंगे...!!!
दादी : नासपीटे...!!! जा TV देख !!!
😂😜😜😂😂😂😂😜😜
पंचतंत्र की पांच प्रसिद्ध कहानियाँ
Story No. 1 – पानी और प्यासा कौआ (A Thirsty crow)
गर्मियों के दिन थे. दोपहर के समय बहुत ही सख्त गर्मी पड़ रही थी. एक कौआ पानी की तलाश में इधर – उधर भटक रहा था. लेकिन उसे कही भी प
पंचतंत्र की पांच प्रसिद्ध कहानियाँ
Story No. 1 – पानी और प्यासा कौआ (A Thirsty crow)
गर्मियों के दिन थे. दोपहर के समय बहुत ही सख्त गर्मी पड़ रही थी. एक कौआ पानी की तलाश में इधर – उधर भटक रहा था. लेकिन उसे कही भी पानी नहीं मिला. अंत में वह थका हुआ एक बाग में पहुँचा. वह पेड़ की शाखा पर बैठा हुआ था की अचानक उसकी नजर वृक्ष के नीचे पड़े एक घड़े पर गई. वह उड़कर घड़े के पास चला गया.
वहां उसने देखा कि घड़े में थोड़ा पानी है. वह पानी पीने के लिए नीचे झुका लेकिन उसकी चोंच पानी तक न पहुँच सकी. ऐसा इसलिए हो रहा था क्योंकि घड़े में पानी बहुत कम था.
परन्तु वह कौआ हताश नहीं हुआ बल्कि पानी पीने के लिए उपाय सोचने लगा. तभी उसे एक उपाय सूझा. उसने आस – पास बिखरे हुए कंकर उठाकर घड़े में डालने शुरू कर दिए. लगातार पानी में कंकड़ डालने से पानी ऊपर आ गया. फिर उसने आराम से पानी पिया और उड़ गया.
Story No. 2 – एक चालाक लोमड़ी (A Clever Fox)
एक लोमड़ी बहुत भूखी थी. वह अपनी भूख मिटने के लिए भोजन की खोज में इधर – उधर घूमने लगी. जब उसे सारे जंगल में भटकने के बाद भी कुछ न मिला तो वह गर्मी और भूख से परेशान होकर एक पेड़ के नीचे बैठ गई. अचानक उसकी नजर ऊपर गई. पेड़ पर एक कौआ बैठा हुआ था. उसके मुंह में रोटी का एक टुकड़ा था. कौवे को देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी भर आया. वह कौवे से रोटी छीनने का उपाय सोचने लगी.
तभी उसने कौवे को कहा, ” क्यों भई कौआ भैया ! सुना है तुम गीत बहुत अच्छे गाते हो. क्या मुझे गीत नहीं सुनाओगे ?. कौआ अपनी प्रशंसा को सुनकर बहुत खुश हुआ. वह लोमड़ी की बातो में आ गया. गाना गाने के लिए उसने जैसे ही अपना मुँह खोला, रोटी का टुकड़ा नीचे गिर गया. लोमड़ी ने झट से वह टुकड़ा उठाया और वहां से भाग गई. अब कौआ अपनी मूर्खता पर पछताने लगा.
Story No. 3 – दो बिल्लियाँ और बन्दर ( Two cats and a monkey)
एक नगर में दो बिल्लियाँ रहती थी. एक दिन उन्हें रोटी का एक टुकड़ा मिला. वे दोनों आपस में लड़ने लगी. वे उस रोटी के टुकड़े को दो समान भागों में बाँटना चाहती थी लेकिन उन्हें कोई ढंग नहीं मिल पाया.
उसी समय एक बन्दर उधर से निकल रहा था. वह बहुत ही चालाक था. उसने बिल्लियों से लड़ने का कारण पूछा. बिल्लियों ने उसे सारी बात सुनाई. वह तराजू ले आया और बोला, ” लाओ, मैं तुम्हारी रोटी को बराबर बाँट देता हूँ. उसने रोटी के दो टुकड़े लेकर एक – एक पलड़े में रख दिए. वह बन्दर तराजू में जब रोटी को तोलता तो जिस पलड़े में रोटी अधिक होती, बन्दर उसे थोड़ी – सी तोड़ कर खा लेता.
इस प्रकार थोड़ी – सी रोटी रह गई. बिल्लियों ने अपनी रोटी वापस मांगी. लेकिन बन्दर ने शेष बची रोटी भी मुँह में डाल ली. फिर बिल्लियाँ उसका मुँह देखती रह गई.
Story No. 4 – अंगूर खट्टे है (The Grapes Are Sour)
एक बार एक लोमड़ी बहुत भूखी थी. वह भोजन की तलाश में इधर – उधर भटकती रही लेकिन कही से भी उसे कुछ भी खाने को नहीं मिला. अंत में थक हारकर वह एक बाग़ में पहुँच गयी. वहां उसने अंगूर की एक बेल देखी. जिसपर अंगूर के गुच्छे लगे थे.
वह उन्हें देखकर बहुत खुश हुई. वह अंगूरों को खाना चाहती थी, पर अंगूर बहुत ऊँचे थे. वह अंगूरों को पाने के लिए ऊँची – ऊँची छलांगे लगाने लगी. किन्तु वह उन तक पहुँच न सकी. वह ऐसा करते – करते बहुत थक चुकी थी. आखिर वह बाग से बाहर जाते हुए कहने लगी कि अंगूर खट्टे है. अगर मैं इन्हें खाऊँगी तो बीमार हो जाउंगी.
Story No. 5 – लालची कुत्ता (A Greedy Dog)
एक गाँव में एक कुत्ता था. वह बहुत लालची था. वह भोजन की खोज में इधर – उधर भटकता रहा. लेकिन कही भी उसे भोजन नहीं मिला. अंत में उसे एक होटल के बाहर से मांस का एक टुकड़ा मिला. वह उसे अकेले में बैठकर खाना चाहता था. इसलिए वह उसे लेकर भाग गया.
एकांत स्थल की खोज करते – करते वह एक नदी के किनारे पहुँच गया. अचानक उसने अपनी परछाई नदी में देखी. उसने समझा की पानी में कोई दूसरा कुत्ता है जिसके मुँह में भी मांस का टुकड़ा है.
उसने सोचा क्यों न इसका टुकड़ा भी छीन लिया जाए तो खाने का मजा दोगुना हो जाएगा. वह उस पर जोर से भौंका. भौंकने से उसका अपना मांस का टुकड़ा भी नदी में गिर पड़ा. अब वह अपना टुकड़ा भी खो बैठा. अब वह बहुत पछताया तथा मुँह लटकाता हुआ गाँव को वापस आ गया.
India is nation and Dadar is station,
wha wha
India is nation & dadar is station,
Do not fall in love, First complete your Education..!!
💌 #नजर 💕
🏡✍एक बार की बात है , एक नवविवाहित जोड़ा किसी किराए के घर में रहने पहुंचा . अगली सुबह , जब वे नाश्ता कर रहे थे , तभी पत्नी ने खिड
💌 #नजर 💕
🏡✍एक बार की बात है , एक नवविवाहित जोड़ा किसी किराए के घर में रहने पहुंचा . अगली सुबह , जब वे नाश्ता कर रहे थे , तभी पत्नी ने खिड़की से देखा कि सामने वाली छत पर कुछ कपड़े फैले हैं , – “ लगता है इन लोगों को कपड़े साफ़ करना भी नहीं आता …ज़रा देखो तो कितने मैले लग रहे हैं ? “
पति ने उसकी बात सुनी पर अधिक ध्यान नहीं दिया .
एक -दो दिन बाद फिर उसी जगह कुछ कपड़े फैले थे . पत्नी ने उन्हें देखते ही अपनी बात दोहरा दी ….” कब सीखेंगे ये लोग की कपड़े कैसे साफ़ करते हैं …!!”
पति सुनता रहा पर इस बार भी उसने कुछ नहीं कहा .
पर अब तो ये आये दिन की बात हो गयी , जब भी पत्नी कपडे फैले देखती भला -बुरा कहना शुरू हो जाती .
लगभग एक महीने बाद वे यूँहीं बैठ कर नाश्ता कर रहे थे . पत्नी ने हमेशा की तरह नजरें उठायीं और सामने वाली छत की तरफ देखा , ” अरे वाह , लगता है इन्हें अकल आ ही गयी …आज तो कपडे बिलकुल साफ़ दिख रहे हैं , ज़रूर किसी ने टोका होगा !”
पति बोला , ” नहीं उन्हें किसी ने नहीं टोका .”
” तुम्हे कैसे पता ?” , पत्नी ने आश्चर्य से पूछा .
” आज मैं सुबह जल्दी उठ गया था और मैंने इस खिड़की पर लगे कांच को बाहर से साफ़ कर दिया , इसलिए तुम्हे कपडे साफ़ नज़र आ रहे हैं . “, पति ने बात पूरी की ...😃😃
💕 ज़िन्दगी में भी यही बात लागू होती है : बहुत बार हम दूसरों को कैसे देखते हैं ये इस पर निर्भर करता है की हम खुद अन्दर से कितने साफ़ हैं !
💖💠💖💠💖💠💖💠💖💠💖
🙏एक बार,एक'अत्यंत गरीब" महिला,जो "कान्हा" पर,बेइंतिहा "विश्वास"करती थी !!!
🙏अत्यंत ही,विकट स्थिति में आ गई !!!!!
🙏कई दिनों से खाने के लिए,पूरे परिवार को नहीं मिला !!!
🙏एक दिन,उसने रेडियो के
💖💠💖💠💖💠💖💠💖💠💖
🙏एक बार,एक'अत्यंत गरीब" महिला,जो "कान्हा" पर,बेइंतिहा "विश्वास"करती थी !!!
🙏अत्यंत ही,विकट स्थिति में आ गई !!!!!
🙏कई दिनों से खाने के लिए,पूरे परिवार को नहीं मिला !!!
🙏एक दिन,उसने रेडियो के माध्यम से,"कान्हा"को,अपना सन्देश भेजा, कि वह उसकी मदद करे !!!
🙏यह प्रसारण,एक"नास्तिक, घमण्डी,और अहंकारी"," उद्योगपति" ने,सुना !!!!
🙏और उसने सोचा कि, क्यों न, इस महिला के साथ, कुछ ऐसा "मजाक"किया जाये,कि उसकी "कृष्ण"के प्रति"आस्था", डगमगा जाये !!!!
🙏उसने,अपने"सेक्रेटरी"को कहा, कि वह,"ढेर सारा खाना"और"महीने भर का राशन",उसके घर पर,देकर आ जाये !!!!
🙏और जब वह महिला पूछे,किसने भेजा है ??? तो,कह देना,कि
"शैतान" ने भेजा है !!!
🙏जैसे ही,"महिला"के पास,सामान पंहुचा !!!! पहले तो,उसके" परिवार"ने,तृप्त होकर,भोजन किया !!!!
🙏फिर, वह सारा राशन,"अलमारी" में रखने लगी !!!
🙏जब,"महिला"ने पूछा नहीं कि, यह सब किसने भेजा है ????
🙏तो,"सेक्रेटरी"से रहा नहीं गया, और पूछा !!!!
🙏आपको क्या"जिज्ञासा" नहीं होती कि, यह सब किसने भेजा है ???
🙏👌उस"महिला" ने,"बेहतरीन" जवाब दिया !!!
🙏👌मैं इतना क्यों सोंचू,या पूंछू ????????
🙏👌मुझे, मेरे "कान्हा"पर,"पूरा भरोसा" है !!!!
🙏👌मेरा"कृष्ण",जब आदेश देता है, तो,"शैतानों"को भी,उस"आदेश"का, पालन करना पड़ता है!!
🍃🌹🙏जय बिहारी जी की 🙏🏻🌹🍃
🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒🍒
😂😂 एक मज़ेदार कहानी 😂😂
एक गांव मे अंधे पति-पत्नी रहते थे । इनके यहाँ एक सुन्दर बेटा पैदा हुआ। पर वो अंधा नही था।
एक बार पत्नी रोटी बना रही थी। उस समय बिल्ली रसोई में घुस कर बनाई रोटियां खा गई।
बिल
😂😂 एक मज़ेदार कहानी 😂😂
एक गांव मे अंधे पति-पत्नी रहते थे । इनके यहाँ एक सुन्दर बेटा पैदा हुआ। पर वो अंधा नही था।
एक बार पत्नी रोटी बना रही थी। उस समय बिल्ली रसोई में घुस कर बनाई रोटियां खा गई।
बिल्ली की रसोईं मे आने की रोज की आदत बन गई इस कारण दोनों को कई दिनों तक भूखा सोना पड़ा।
एक दिन किसी प्रकार से मालूम पड़ा कि रोटियाँ बिल्ली खा जाती है।
अब पत्नी जब रोटी बनाती उस समय पति दरवाजे के पास बाँस का फटका लेकर जमीन पर पटकता।
इससे बिल्ली का आना बंद हो गया।
जब लङका बङा हुआ और उसकी शादी हुई।
बहू जब पहली बार रोटी बना रही थी तो उसका पति बाँस का फटका लेकर बैठ गया औऱ फट फट करने लगा।
कई दिन बीत जाने के बाद पत्नी ने उससे पूछा कि तुम रोज रसोई के दरवाजे पर बैठ कर बाँस का फटका क्यों पीटते हो?
पति ने जवाब दिया कि ये हमारे घर की परम्परा (रिवाज) है इसलिए मैं ऐसा कर रहा हूँ।
कहानी का सार:
माँ बाप तो अंधे थे, जो बिल्ली को देख नहीं पाते थे, उनकी मजबूरी थी इसलिये फटका लगाते थे। पर बेटा तो आँख का अंधा नही था पर अकल का अंधा था, इसलिये वह भी वैसा करता था जैसा माँ-बाप करते थे।
ऐसी ही दशा आज के अपने समाज की है।
पहले शिक्षा का अभाव था इसलिए पाखण्डी लोग जिनका स्वयं का भला हो रहा था, पाखण्डवादी मूल्यों को अपनाया और फैलाया। जिनके पीछे किसी प्रकार का लाजिक नहीं है।
लेकिन आज पढ़लिख कर, शिक्षित होने के बाद भी अपने समाज के लोग उन्हीं पाखंडपूर्ण परम्पराओं व रूढ़िवादिता के वशीभूत हो कर जीवन जी रहे हैं। ऐसे समाज व व्यक्तियों को आँख का अंधा कहा जाता है।
👉🏼इसलिये किसी भी परम्परा को सबसे पहले समझो, जानो और सही प्रतीत हो तब मानो, तभी समाज में परिवर्तन होगा नहीं तो वही...... ढाक के तीन पात,,,,,
"अत्त दीपो भव" अर्थात् अपना दीपक स्वयम् बनो !
एक बार एक बूढ़े आदमी ने अफवाह फैलाई कि उसके पड़ोस में रहने वाला नौजवान चोर है।
यह बात दूर - दूर तक फैल गई आस-पास के लोग उस नौजवान से बचने लगे। नौजवान परेशान हो गया कोई उस पर विश्वास ही नहीं करता था।
त
एक बार एक बूढ़े आदमी ने अफवाह फैलाई कि उसके पड़ोस में रहने वाला नौजवान चोर है।
यह बात दूर - दूर तक फैल गई आस-पास के लोग उस नौजवान से बचने लगे। नौजवान परेशान हो गया कोई उस पर विश्वास ही नहीं करता था।
तभी गाँव में चोरी की एक वारदात हुई और शक उस नौजवान पर गया उसे गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन कुछ दिनों के बाद सबूत के अभाव में वह निर्दोष साबित हो गया।
निर्दोष साबित होने के बाद वह नौजवान चुप नहीं बैठा उसने बूढ़े आदमी पर गलत आरोप लगाने के लिए मुकदमा दायर कर दिया।
पंचायत में बूढ़े आदमी ने अपने बचाव में सरपंच से कहा:- मैंने जो कुछ कहा था वह एक टिप्पणी से अधिक कुछ नहीं था किसी को नुकसान पहुंचाना मेरा मकसद नहीं था।
सरपंच ने बूढ़े आदमी से कहा:- आप एक कागज के टुकड़े पर वो सब बातें लिखें जो आपने उस नौजवान के बारे में कहीं थीं और जाते समय उस कागज के टुकड़े-टुकड़े करके घर के रस्ते पर फ़ेंक दें फिर कल फैसला सुनने के लिए आ जाएँ।
बूढ़े व्यक्ति ने वैसा ही किया।
अगले दिन सरपंच ने बूढ़े आदमी से कहा कि फैसला सुनने से पहले आप बाहर जाएँ और उन कागज के टुकड़ों को, जो आपने कल बाहर फ़ेंक दिए थे, इकट्ठा कर ले आएं।
बूढ़े आदमी ने कहा मैं ऐसा नहीं कर सकता उन टुकड़ों को तो हवा कहीं से कहीं उड़ा कर ले गई होगी अब वे नहीं मिल सकेंगें मैं कहाँ-कहाँ उन्हें खोजने के लिए जाऊंगा ?
सरपंच ने कहा:- ठीक इसी तरह एक सरल सी टिप्पणी भी किसी का मान-सम्मान उस सीमा तक नष्ट कर सकती है, जिसे वह व्यक्ति किसी भी दशा में दोबारा प्राप्त करने में सक्षम नहीं हो सकता।
इसलिए यदि किसी के बारे में कुछ अच्छा नहीं कह सकते, तो चुप रहें। वाणी पर हमारा नियंत्रण होना चाहिए ।
👏🏽👏👏🏽👏👏🏽
परीक्षा में गब्बरसिंह का चरित्र चित्रण करने के लिए कहा गया-😀😁
दसवीं के एक छात्र ने लिखा-😉
1. सादगी भरा जीवन- शहर की भीड़ से दूर जंगल में रहते थे, एक ही कपड़े में कई दिन गुजारा करते थे, खैनी के बड़
परीक्षा में गब्बरसिंह का चरित्र चित्रण करने के लिए कहा गया-😀😁
दसवीं के एक छात्र ने लिखा-😉
1. सादगी भरा जीवन- शहर की भीड़ से दूर जंगल में रहते थे, एक ही कपड़े में कई दिन गुजारा करते थे, खैनी के बड़े शौकीन थे.😂
2. अनुशासनप्रिय- कालिया और उसके साथी को प्रोजेक्ट ठीक से न करने पर सीधा गोली मार दिये थे.😂
3. दयालु प्रकृति- ठाकुर को कब्जे में लेने के बाद ठाकुर के सिर्फ हाथ काटकर छोड़ दिया था, चाहते तो गला भी काट सकते थे😂
4. नृत्य संगीत प्रेमी- उनके मुख्यालय में नृत्य संगीत के कार्यक्रम चलते रहते थे. 'महबूबा महबूबा', 'जब तक है जां जाने जहां'. बसंती को देखते ही परख गये थे कि कुशल नृत्यांगना है.😂😂
5. हास्य रस के प्रेमी- कालिया और उसके साथियों को हंसा हंसा कर ही मारे थे. खुद भी ठहाका मारकर हंसते थे, वो इस युग के 'लाफिंग बुद्धा' थे.😂
6. नारी सम्मान- बंसती के अपहरण के बाद सिर्फ उसका नृत्य देखने का अनुरोध किया था,😀😂
7. भिक्षुक जीवन- उनके आदमी गुजारे के लिए बस अनाज मांगते थे, कभी बिरयानी या चिकन टिक्का की मांग नहीं की.. 😂
8. समाज सेवक- रात को बच्चों को सुलाने का काम भी करते थे . सो जा नही तो गब्बर सिंह आ जायेगा
टीचर ने पढा तो आँख भर आई और बोली सारी गलती जय वीरू की 😁😂😂😂😂
बेवक़ूफ़ गृहणी:
एक गृहणी वो रोज़ाना की तरह आज फिर ईश्वर का नाम लेकर उठी थी ।
किचन में आई और चूल्हे पर चाय का पानी चढ़ाया।
फिर बच्चों को नींद से जगाया ताकि वे स्कूल के लिए तैयार हो सकें ।
कुछ ही
बेवक़ूफ़ गृहणी:
एक गृहणी वो रोज़ाना की तरह आज फिर ईश्वर का नाम लेकर उठी थी ।
किचन में आई और चूल्हे पर चाय का पानी चढ़ाया।
फिर बच्चों को नींद से जगाया ताकि वे स्कूल के लिए तैयार हो सकें ।
कुछ ही पलों मे वो अपने सास ससुर को चाय देकर आयी फिर बच्चों का नाश्ता तैयार किया और इस बीच उसने बच्चों को ड्रेस भी पहनाई।
फिर बच्चों को नाश्ता कराया।
इस बीच स्कूल का रिक्शा आ गया और वो बच्चों को रिक्शा तक छोड़ने चली गई ।
फिर मेज़ से जूठे बर्तन इकठ्ठा किये ।
इस बीच पतिदेव की आवाज़ आई की मेरे कपङे निकाल दो ।
उनको ऑफिस जाने लिए कपङे निकाल कर दिए।
अभी पति के लिए उनकी पसंद का नाश्ता तैयार करके टेबिल पर लगाया ही था की छोटी ननद आई और ये कहकर ये कहकर गई की भाभी आज मुझे भी कॉलेज जल्दी जाना, मेरा भी नाश्ता लगा देना।
तभी देवर की भी आवाज़ आई की भाभी नाश्ता तैयार हो गया क्या?
अभी लीजिये नाश्ता तैयार है।
पति और देवर ने नाश्ता किया और अखबार पढ़कर अपने अपने ऑफिस के लिए निकल चले ।
उसने मेज़ से खाली बर्तन समेटे और सास ससुर के लिए उनका परहेज़ का नाश्ता तैयार करने लगी ।
दोनों को नाश्ता कराने के बाद फिर बर्तन इकट्ठे किये और उनको भी किचिन में लाकर धोने लगी ।
इस बीच सफाई वाली भी आ गयी ।
उसने बर्तन का काम सफाई वाली को सौंप कर खुद बेड की चादरें वगेरा इकट्ठा करने पहुँच गयी और फिर सफाई वाली के साथ मिलकर सफाई में जुट गयी ।
अब तक 11 बज चुके थे, अभी वो पूरी तरह काम समेट भी ना पायी थी की काल बेल बजी ।
दरवाज़ा खोला तो सामने बड़ी ननद और उसके पति व बच्चे सामने खड़े थे ।
उसने ख़ुशी ख़ुशी सभी को आदर के साथ घर में बुलाया और उनसे बाते करते करते उनके आने से हुई ख़ुशी का इज़हार करती रही ।
ननद की फ़रमाईश के मुताबिक़ नाश्ता तैयार करने के बाद अभी वो नन्द के पास बेठी ही थी की सास की आवाज़ आई की बहु खाने का क्या प्रोग्राम हे ।
उसने घडी पर नज़र डाली तो 12 बज रहे थे ।
उसकी फ़िक्र बढ़ गयी वो जल्दी से फ्रिज की तरफ लपकी और सब्ज़ी निकाली और फिर से दोपहर के खाने की तैयारी में जुट गयी ।
खाना बनाते बनाते अब दोपहर का दो बज चुके थे ।
बच्चे स्कूल से आने वाले थे, लो बच्चे आ गये ।
उसने जल्दी जल्दी बच्चों की ड्रेस उतारी और उनका मुंह हाथ धुलवाकर उनको खाना खिलाया ।
इस बीच छोटी नन्द भी कॉलेज से आगयी और देवर भी आ चुके थे ।
उसने सभी के लिए मेज़ पर खाना लगाया और खुद रोटी बनाने में लग गयी ।
खाना खाकर सब लोग फ्री हुवे तो उसने मेज़ से फिर बर्तन जमा करने शुरू करदिये ।
इस वक़्त तीन बज रहे थे ।
अब उसको खुदको भी भूख का एहसास होने लगा था ।
उसने हॉट पॉट देखा तो उसमे कोई रोटी नहीं बची थी ।
उसने फिर से किचिन की और रुख किया तभी पतिदेव घर में दाखिल होते हुये बोले की आज देर होगयी भूख बहुत लगी हे जल्दी से खाना लगादो ।
उसने जल्दी जल्दी पति के लिए खाना बनाया और मेज़ पर खाना लगा कर पति को किचिन से गर्म रोटी बनाकर ला ला कर देने लगी ।
अब तक चार बज चुके थे ।
अभी वो खाना खिला ही रही थी की पतिदेव ने कहा की आजाओ तुमभी खालो ।
उसने हैरत से पति की तरफ देखा तो उसे ख्याल आया की आज मैंने सुबह से कुछ खाया ही नहीं ।
इस ख्याल के आते ही वो पति के साथ खाना खाने बैठ गयी ।
अभी पहला निवाला उसने मुंह में डाला ही था की आँख से आंसू निकल आये
पति देव ने उसके आंसू देखे तो फ़ौरन पूछा की तुम क्यों रो रही हो ।
वो खामोश रही और सोचने लगी की इन्हें कैसे बताऊँ की ससुराल में कितनी मेहनत के बाद ये रोटी का निवाला नसीब होता हे और लोग इसे मुफ़्त की रोटी कहते हैं ।
पति के बार बार पूछने पर उसने सिर्फ इतना कहा की कुछ नहीं बस ऐसे ही आंसू आगये ।
पति मुस्कुराये और बोले कि तुम औरते भी बड़ी "बेवक़ूफ़" होती हो, बिना वजह रोना शुरू करदेती हो।
सभी गृहणियों को सादर समर्पित..🙏🏼
आरती नामक एक युवती का विवाह हुआ और वह अपने पति और सास के साथ अपने ससुराल में रहने लगी। कुछ ही दिनों बाद आरती को आभास होने लगा कि उसकी सास के साथ पटरी नहीं बैठ रही है। सास पुराने ख़यालों की थी और ब
आरती नामक एक युवती का विवाह हुआ और वह अपने पति और सास के साथ अपने ससुराल में रहने लगी। कुछ ही दिनों बाद आरती को आभास होने लगा कि उसकी सास के साथ पटरी नहीं बैठ रही है। सास पुराने ख़यालों की थी और बहू नए विचारों वाली।
आरती और उसकी सास का आये दिन झगडा होने लगा।
दिन बीते, महीने बीते. साल भी बीत गया. न तो सास टीका-टिप्पणी करना छोड़ती और न आरती जवाब देना। हालात बद से बदतर होने लगे। आरती को अब अपनी सास से पूरी तरह नफरत हो चुकी थी. आरती के लिए उस समय स्थिति और बुरी हो जाती जब उसे भारतीय परम्पराओं के अनुसार दूसरों के सामने अपनी सास को सम्मान देना पड़ता। अब वह किसी भी तरह सास से छुटकारा पाने की सोचने लगी.
एक दिन जब आरती का अपनी सास से झगडा हुआ और पति भी अपनी माँ का पक्ष लेने लगा तो वह नाराज़ होकर मायके चली आई।
आरती के पिता आयुर्वेद के डॉक्टर थे. उसने रो-रो कर अपनी व्यथा पिता को सुनाई और बोली – “आप मुझे कोई जहरीली दवा दे दीजिये जो मैं जाकर उस बुढ़िया को पिला दूँ नहीं तो मैं अब ससुराल नहीं जाऊँगी…”
बेटी का दुःख समझते हुए पिता ने आरती के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा – “बेटी, अगर तुम अपनी सास को ज़हर खिला कर मार दोगी तो तुम्हें पुलिस पकड़ ले जाएगी और साथ ही मुझे भी क्योंकि वो ज़हर मैं तुम्हें दूंगा. इसलिए ऐसा करना ठीक नहीं होगा.”
लेकिन आरती जिद पर अड़ गई – “आपको मुझे ज़हर देना ही होगा ….
अब मैं किसी भी कीमत पर उसका मुँह देखना नहीं चाहती !”
कुछ सोचकर पिता बोले – “ठीक है जैसी तुम्हारी मर्जी। लेकिन मैं तुम्हें जेल जाते हुए भी नहीं देख सकता इसलिए जैसे मैं कहूँ वैसे तुम्हें करना होगा ! मंजूर हो तो बोलो ?”
“क्या करना होगा ?”, आरती ने पूछा.
पिता ने एक पुडिया में ज़हर का पाउडर बाँधकर आरती के हाथ में देते हुए कहा – “तुम्हें इस पुडिया में से सिर्फ एक चुटकी ज़हर रोज़ अपनी सास के भोजन में मिलाना है।
कम मात्रा होने से वह एकदम से नहीं मरेगी बल्कि धीरे-धीरे आंतरिक रूप से कमजोर होकर 5 से 6 महीनों में मर जाएगी. लोग समझेंगे कि वह स्वाभाविक मौत मर गई.”
पिता ने आगे कहा -“लेकिन तुम्हें बेहद सावधान रहना होगा ताकि तुम्हारे पति को बिलकुल भी शक न होने पाए वरना हम दोनों को जेल जाना पड़ेगा ! इसके लिए तुम आज के बाद अपनी सास से बिलकुल भी झगडा नहीं करोगी बल्कि उसकी सेवा करोगी।
यदि वह तुम पर कोई टीका टिप्पणी करती है तो तुम चुपचाप सुन लोगी, बिलकुल भी प्रत्युत्तर नहीं दोगी ! बोलो कर पाओगी ये सब ?”
आरती ने सोचा, छ: महीनों की ही तो बात है, फिर तो छुटकारा मिल ही जाएगा. उसने पिता की बात मान ली और ज़हर की पुडिया लेकर ससुराल चली आई.
ससुराल आते ही अगले ही दिन से आरती ने सास के भोजन में एक चुटकी ज़हर रोजाना मिलाना शुरू कर दिया।
साथ ही उसके प्रति अपना बर्ताव भी बदल लिया. अब वह सास के किसी भी ताने का जवाब नहीं देती बल्कि क्रोध को पीकर मुस्कुराते हुए सुन लेती।
रोज़ उसके पैर दबाती और उसकी हर बात का ख़याल रखती।
सास से पूछ-पूछ कर उसकी पसंद का खाना बनाती, उसकी हर आज्ञा का पालन करती।
कुछ हफ्ते बीतते बीतते सास के स्वभाव में भी परिवर्तन आना शुरू हो गया. बहू की ओर से अपने तानों का प्रत्युत्तर न पाकर उसके ताने अब कम हो चले थे बल्कि वह कभी कभी बहू की सेवा के बदले आशीष भी देने लगी थी।
धीरे-धीरे चार महीने बीत गए. आरती नियमित रूप से सास को रोज़ एक चुटकी ज़हर देती आ रही थी।
किन्तु उस घर का माहौल अब एकदम से बदल चुका था. सास बहू का झगडा पुरानी बात हो चुकी थी. पहले जो सास आरती को गालियाँ देते नहीं थकती थी, अब वही आस-पड़ोस वालों के आगे आरती की तारीफों के पुल बाँधने लगी थी।
बहू को साथ बिठाकर खाना खिलाती और सोने से पहले भी जब तक बहू से चार प्यार भरी बातें न कर ले, उसे नींद नही आती थी।
छठा महीना आते आते आरती को लगने लगा कि उसकी सास उसे बिलकुल अपनी बेटी की तरह मानने लगी हैं। उसे भी अपनी सास में माँ की छवि नज़र आने लगी थी।
जब वह सोचती कि उसके दिए ज़हर से उसकी सास कुछ ही दिनों में मर जाएगी तो वह परेशान हो जाती थी।
इसी ऊहापोह में एक दिन वह अपने पिता के घर दोबारा जा पहुंची और बोली – “पिताजी, मुझे उस ज़हर के असर को ख़त्म करने की दवा दीजिये क्योंकि अब मैं अपनी सास को मारना नहीं चाहती … !
वो बहुत अच्छी हैं और अब मैं उन्हें अपनी माँ की तरह चाहने लगी हूँ!”
पिता ठठाकर हँस पड़े और बोले – “ज़हर ? कैसा ज़हर ? मैंने तो तुम्हें ज़हर के नाम पर हाजमे का चूर्ण दिया था … हा हा हा !!!”
"बेटी को सही रास्ता दिखाये, माँ बाप का पूर्ण फर्ज अदा करे"