आँखें तेरी हैं जाम की तरह,
एक बार देखूं तो नशा छा जाये,
होंठ तेरे जैसे खिलते कँवल,
बोले तो हर चीज़ महक जाये,
बाल हैं तेरे नागिन जैसे,
जैसे आसमान पे काली घटा छाए,
गालों पे वो गुलाब की सुर्खी,
मुझ को देख के जब तू शरमाये,
तुझको चलता देख के दिलबर,
चाँद भी बदली में छुप जाये।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
🍃🌾🌴🌸🌿🌷💐
"आशाएं ऐसी हो जो-
मंज़िल तक ले जाएँ,
"मंज़िल ऐसी हो जो-
जीवन जीना सीखा दे..!
जीवन ऐसा हो जो-
संबंधों की कदर करे,
"और संबंध ऐसे हो जो-
याद करने को मजबूर कर दे"
🌷 Good Morning Friends🌷
एक डॉक्टर ने रिसर्च कर के एक आइसक्रीम का आविष्कार किया..
जो कोई स्त्री 100 ml रोज खाए तो 40 साल की स्त्री 20 साल की लगेगी...!!!
मित्र: तब तो खूब बिकती होगी...???
पूरा मार्किट कवर कर लिया होगा. बहुत डिमांड होगी... ?
डाक्टर: भाई बिके तो तब, जब कोई स्त्री खुद को 40 की समझे ...!!!!!!
😜😃😂🤣
ऐ मेरे स्कूल मुझे, जरा फिर से तो बुलाना..
कमीज के बटन ऊपर नीचे लगाना,
वो अपने बाल खुद न संवार पाना,
पीटी शूज को चाक से चमकाना,
वो काले जूतों को पैंट से पोंछते जाना...
😔 ऐ मेरे स्कूल मुझे, जरा फिर से तो बु
ऐ मेरे स्कूल मुझे, जरा फिर से तो बुलाना..
कमीज के बटन ऊपर नीचे लगाना,
वो अपने बाल खुद न संवार पाना,
पीटी शूज को चाक से चमकाना,
वो काले जूतों को पैंट से पोंछते जाना...
😔 ऐ मेरे स्कूल मुझे, जरा फिर से तो बुलाना...
😊 😊 😊 😊 😊
वो बड़े नाखुनों को दांतों से चबाना,
और लेट आने पर मैदान का चक्कर लगाना,
वो प्रेयर के समय क्लास में ही रुक जाना,
पकड़े जाने पर पेट दर्द का बहाना बनाना...
😔 ऐ मेरे स्कूल मुझे, जरा फिर से तो बुलाना...
😊 😊 😊 😊 😊
वो टिन के डिब्बे को फ़ुटबाल बनाना,
ठोकर मार मार कर उसे घर तक ले जाना,
साथी के बैठने से पहले बेंच सरकाना,
और उसके गिरने पे जोर से खिलखिलाना...
😔 ऐ मेरे स्कूल मुझे, जरा फिर से तो बुलाना...
😊 😊 😊 😊 😊
गुस्से में एक-दूसरे की कमीज पे स्याही छिड़काना,
वो लीक करते पेन को बालों से पोंछते जाना,
बाथरूम में सुतली बम पे अगरबत्ती लगाकर छुपाना,
और उसके फटने पे कितना मासूम बन जाना...
😔 ऐ मेरे स्कूल मुझे' जरा फिर से तो बुलाना...
😊 😊 😊 😊 😊
वो गेम्स के पीरियड के लिए मास्टरजी को पटाना,
कार्य-अनुभव को टालने के लिए उनसे गिड़गिड़ाना,
जाड़ो में बाहर धूप में क्लास लगवाना,
और उनसे घर-परिवार के किस्से सुनते जाना...
😔 ऐ मेरे स्कूल मुझे, जरा फिर से तो बुलाना...
😊 😊 😊 😊 😊
वो बेर वाली के बेर चुपके से चुराना,
लाल–पीला चूरन खाकर एक दूसरे को जीभ दिखाना,
खट्टी मीठी इमली देख जमकर लार टपकाना,
साथी से आइसक्रीम खिलाने की मिन्नतें करते जाना...
😔 ऐ मेरे स्कूल मुझे, जरा फिर से तो बुलाना...
😊 😊 😊 😊 😊
वो लंच से पहले ही टिफ़िन चट कर जाना,
अचार की खुशबू पूरे क्लास में फैलाना,
वो पानी पीने में जमकर देर लगाना,
बाथरूम में लिखे शब्दों को बार-बार पढ़ के सुनाना...
😔 ऐ मेरे स्कूल मुझे, जरा फिर से तो बुलाना...
😊 😊 😊 😊 😊
वो परीक्छा से पहले गुरूजी के चक्कर लगाना,
लगातार बस इम्पोर्टेन्ट ही पूछते जाना,
वो उनका पूरी किताब में निशान लगवाना,
और हमारा ढेर सारे कोर्स को देखकर सर का चकराना...
😔 ऐ मेरे स्कूल मुझे, जरा फिर से तो बुलाना...
😊 😊 😊 😊 😊
वो मेरे स्कूल का मुझे, यहाँ तक पहुँचाना,
और मेरा खुद में खो उसको भूल जाना,
बाजार में किसी परिचित से टकराना,
वो जवान गुरूजी का बूढ़ा चेहरा सामने आना...
ऐ दोस्त तुम सब अपने स्कूल एक बार जरुर जाना...
😔 ऐ मेरे स्कूल मुझे, जरा फिर से तो बुलाना...
विवाह क्या है ?
• विवाह ..; वह खूबसूरत जंगल हैं ... जहॉ ... " बहादुर शेरो " का शिकार ... हिरणियॉ करती है .!! 😜😜
• शादी मतलब ... अजी सुनते हो , से लेकर ... बहरे हो गए हो क्या
विवाह क्या है ?
• विवाह ..; वह खूबसूरत जंगल हैं ... जहॉ ... " बहादुर शेरो " का शिकार ... हिरणियॉ करती है .!! 😜😜
• शादी मतलब ... अजी सुनते हो , से लेकर ... बहरे हो गए हो क्या ..... ????? तक का सफर .!! 😊😊
• शादी मतलब ... तेरे जैसा कोई नहीं ... से लेकर ... तेरे जैसे बहुत देखे हैं ... तक का सफर .!! 😊😊
• शादी मतलब ... आप रहने दीजिए ... से लेकर ... मेहरबानी करके , आप तो रहने ही दो ... तक का सफर ... 😊😊
• शादी मतलब ... कहाँ गई थी जान ... से लेकर ... कहाँ मर गई थीं ... तक का सफर ... 😊😊
• शादी मतलब ... आप मुझे नसीब से मिले हो ... से लेकर ... नसीब फूटे थे , जो तुम मिले ... तक का सफर ... 😊😊
😝😝😆😆😅😅
🙏दोस्तों रात सपने में दादीजी आई....
🙏दे गई भादी मावस की बधाई....
🙏मेंने कहा में अकेला नहीं हु माई....
🙏मेरे संग हे मेरा परिवार और इस ग्रुप के बहन और भाई...
🙏हे दादीजी दे दो उन सब के लिए भी बधाई....
🙏दादीजी ब
🙏दोस्तों रात सपने में दादीजी आई....
🙏दे गई भादी मावस की बधाई....
🙏मेंने कहा में अकेला नहीं हु माई....
🙏मेरे संग हे मेरा परिवार और इस ग्रुप के बहन और भाई...
🙏हे दादीजी दे दो उन सब के लिए भी बधाई....
🙏दादीजी बोली जो बोलेगा प्रेम से "जय दादी की" भाई....
🙏उनको मिल जाएगी घर बैठे बधाई.....
🙏जो भक्त मेरे द्वारे आकर, देगा अपनी धोक लगाईं.....
🙏उसके घर आनंद ही आनंद और आएगी खुशियाँ भाई.....
💞🌷जय श्री दादीजी की🌷💞
आप सभी भगतो को भादी मावस की हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई माँ राणी सती दादी आप सभी भगतो की मनोकामनाएं पूर्ण करें यही दादी से प्रार्थना करता हूँ 🙏जय दादी जी की 🙏🌹🙏🏼
स्कूल टीचर ने बोर्ड पर लिखा:
9×1=9
9×2=18
9×3=27
9×4=36
9×5=45
9×6=54
9×7=63
9×8=72
9×9=81
9×10=89
लिखने के बाद बच्चों को देखा तो बच्चे शिक्षक पर हंस रहे थे, क्योंकि आखिरी लाइन गलत थी।
फिर शिक्षक ने कहा:
"मैंने आखिरी लाइ
स्कूल टीचर ने बोर्ड पर लिखा:
9×1=9
9×2=18
9×3=27
9×4=36
9×5=45
9×6=54
9×7=63
9×8=72
9×9=81
9×10=89
लिखने के बाद बच्चों को देखा तो बच्चे शिक्षक पर हंस रहे थे, क्योंकि आखिरी लाइन गलत थी।
फिर शिक्षक ने कहा:
"मैंने आखिरी लाइन किसी उद्देश्य से गलत लिखी है क्यूंकि मैं तुम सभी को कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण सिखाना चाहता हूं।
दुनिया तुम्हारे साथ ऐसा ही व्यवहार करेगी..!
तुम देख सकते हो कि मैंने ऊपर 9 बार सही लिखा है पर किसी ने भी मेरी तारीफ नहीं की..??
पर मेरी सिर्फ एक ही गलती पर तुम लोग हंसे और मुझे क्रिटिसाइज भी किया।"
तो यही नसीहत है :
दुनिया कभी भी आपके लाख अच्छे कार्यों को एप्रीशिएट (appreciate) नहीं करेगी, परन्तु आपके द्वारा की गई एक गलती को क्रिटिसाइज (criticize) जरूर करेगी।
-ये एक कटु सत्य है
🙏 🙏👌👌
स्त्री हूँ मैं
सब सम्भाल लेती हूँ।
आँगन की रंगोली हो..
या दफ्तर की फाइलें.,
परिवार की चिंता हो..
या बॉस की डाँट.,
साड़ी के पल्लू से बाँध लेती हूँ !!
स्त्री हूँ न, सब संभाल लेती हूँ !!
ननद के राज़,देवर की शरार
स्त्री हूँ मैं
सब सम्भाल लेती हूँ।
आँगन की रंगोली हो..
या दफ्तर की फाइलें.,
परिवार की चिंता हो..
या बॉस की डाँट.,
साड़ी के पल्लू से बाँध लेती हूँ !!
स्त्री हूँ न, सब संभाल लेती हूँ !!
ननद के राज़,देवर की शरारतें..
बच्चों की अठखेलियाँ, दादी माँ के नुस्खे.,
पति का प्यार,सास ससुर की देखभाल..
ऑफिस में दोस्तों संग धूम मचा लेती हूँ !!
स्त्री हूँ न, सब सम्भाल लेती हूँ !!
सखी की शादी..
ड्रेस डिज़ाइन या हेयर स्टाइल.,
पल में संवार देती हूँ.!
बच्चों के स्कूल प्रोजेक्ट..
पिया जी के मनपसंद खाने का स्वाद.,
चुटकियों में भाग दौड़ के..
सब काम बना लेती हूँ.,
स्त्री हूँ न , सब सम्भाल लेती हूँ !!
खुश होती हूँ, गर्व से झूमती हूँ..
अपनों की ख्वाहिशों में दुनिया सजा लेती हूँ.,
हाँ हर कदम पर मैं सब सम्भाल लेती हूँ !!
पर...... मैं भी टूटती हूँ..
बिखरती हूँ.,
कमज़ोर भी पड़ जाती हूँ..
काश! कोई मुझे भी संभाल ले..!
इस ख़्याल से नम पलकों को..
तकिए से बाँट फिर मुस्कुरा लेती हूँ !!
स्त्री हूँ न, सब संभाल लेती हूँ..!
I wish u Happy Ganesh Chaturthi and I pray to God for your prosperous life.
May you find all the delights of life,
May your all dreams come true.
Happy Ganesh Chaturthi
एक राजा था ।.. उसने एक सर्वे करनेका सोचा कि मेरे राज्य के लोगों की घर गृहस्थि पति से चलती है या पत्नि से..।
उसने एक ईनाम रखा कि " जिसके घर में पतिका हुकम चलता हो उसे मनपसंद घोडा़ ईनाम में मिलेगा और
एक राजा था ।.. उसने एक सर्वे करनेका सोचा कि मेरे राज्य के लोगों की घर गृहस्थि पति से चलती है या पत्नि से..।
उसने एक ईनाम रखा कि " जिसके घर में पतिका हुकम चलता हो उसे मनपसंद घोडा़ ईनाम में मिलेगा और जिसके घर में पत्नि की सरकार हो वह एक सेब ले जाए.. ।
एक के बाद एक सभी नगरजन सेब उठाकर जाने लगे । राजाको चिंता होने लगी.. क्या मेरे राज्य में सभी सेब ही हैं ?
इतने में एक लम्बी लम्बी मुछों वाला, मोटा तगडा़ और लाल लाल आखोंवाला जवान आया और बोला
" राजा जी मेरे घर में मेरा ही हुकम चलता है .. ला ओ घोडा़ मुझे दिजीए .."
राजा खुश हो गए और कहा जा अपना मनपसंद घोडा़ ले जा ..। जवान काला घोडा़ लेकर रवाना हो गया ।
घर गया और फिर थोडी़ देरमें दरबार में वापिस लौट आया।
राजा: " क्या हुआ जवामर्द ? वापिस क्यों आया !
जवान : " महाराज, घरवाली कहती है काला रंग अशुभ होता है, सफेद रंग शांति का प्रतिक होता है तो आप मुझे सफेद रंग का घोडा़ दिजिए
राजा: " घोडा़ रख ..और सेब लेकर चलती पकड़ ।
इसी तरह रात हो गई .. दरबार खाली हो गया लोग सेब लेकर चले गए ।
आधी रात को महामंत्री ने दरवाजा खटखटाया..
राजा : " बोलो महामंत्री कैसे आना हुआ ?
महामंत्री : " महाराज आपने सेब और घोडा़ ईनाम में रखा ,इसकी जगह एक मण अनाज या सोना महोर रखा होता तो लोग लोग कुछ दिन खा सकते या जेवर बना सकते ।
राजा :" मुझे तो ईनाम में यही रखना था लेकिन महारानी ने कहा कि सेब और घोडा़ ही ठीक है इसलिए वही रखा ।
महामंत्री : " महाराज आपके लिए सेब काट दुँ..!!
राजा को हँसी आ गई । और पुछा यह सवाल तुम दरबारमें या कल सुबह भी पुछ सकते थे । तो आधी रात को क्यों आये ??
महामंत्री : " मेरी धर्मपत्नि ने कहा अभी जाओ और पुछ के आओ सच्ची घटना का पता चले ..।
राजा ( बात काटकर ) : " महामंत्री जी , सेब आप खुद ले लोगे या घर भेज दिया जाए ।"
Moral of the story..
समाज चाहे पुरुषप्रधान हो लेकिन संसार स्त्रीप्रधान है
दोस्तो आपका यह दोस्त भी अभी सेब खा रहा है।
😀😀
दिल से जो भी मांगोगे मिलेगा
ये गणेश जी का दरबार है,
देवों के देव वक्रतुंडा महाकाया को
अपने हर भक्त से प्यार है..!!
गणेश चतुर्थी की शुभ कामनाएं
🙋🏻बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
एक दिन की बात है लड़की की माँ खूब परेशान होकर अपने पति को बोली की एक तो हमारा एक समय का खाना पूरा नहीं होता और बेटी दिन ब दिन बड़ी होती जा रही है
गरीबी की हालत में इसकी शादी
🙋🏻बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
एक दिन की बात है लड़की की माँ खूब परेशान होकर अपने पति को बोली की एक तो हमारा एक समय का खाना पूरा नहीं होता और बेटी दिन ब दिन बड़ी होती जा रही है
गरीबी की हालत में इसकी शादी कैसे करेंगे ?
बाप भी विचार में पड़ गया. दोनों ने दिल पर पत्थर रख कर एक फैसला किया की कल बेटी को मार कर गाड़ देंगे .
दुसरे दिन का सूरज निकला , माँ ने लड़की को खूब लाड प्यार किया , अच्छे से नहलाया , बार - बार उसका सर चूमने लगी .
यह सब देख कर लड़की बोली : माँ मुझे कही दूर भेज रहे हो क्या ?
वर्ना आज तक आपने मुझे ऐसे कभी प्यार नहीं किया , माँ केवल चुप रही और रोने लगी ,
तभी उसका बाप हाथ में फावड़ा और चाकू लेकर आया , माँ ने लड़की को सीने से लगाकर बाप के साथ रवाना कर दिया . रास्ते में चलते - चलते बाप के पैर में कांटा चुभ गया , बाप एक दम से नीचे बैठ गया ,
बेटी से देखा नहीं गया उसने तुरंत कांटा निकालकर फटी चुनरी का एक हिस्सा पैर पर बांध दिया .
बाप बेटी दोनों एक जंगल में पहुचे बाप ने फावड़ा लेकर एक गढ्ढा खोदने लगा बेटी सामने बैठे - बेठे देख रही थी , थोड़ी देर बाद गर्मी के कारण बाप को पसीना आने लगा .
बेटी बाप के पास गयी और पसीना पोछने के लिए अपनी चुनरी दी . बाप ने धक्का देकर बोला तू दूर जाकर बैठ। थोड़ी देर बाद जब बाप गढ्ढा खोदते - खोदते थक गया ,
बेटी दूर से बैठे -बैठे देख रही थी, जब उसको लगा की पिताजी शायद थक गये तो पास आकर बोली पिताजी आप थक गये है .
लाओ फावड़ा में खोद देती हु आप थोडा आराम कर लो . मुझसे आप की तकलीफ नहीं देखी जाती .
यह सुनकर बाप ने अपनी बेटी को गले लगा लिया, उसकी आँखों में आंसू की नदियां बहने लगी , उसका दिल पसीज गया ,
बाप बोला : बेटा मुझे माफ़ कर दे , यह गढ्ढा में तेरे लिए ही खोद रहा था . और तू मेरी चिंता करती है , अब जो होगा सो होगा तू हमेशा मेरे कलेजा का टुकड़ा बन कर रहेगी मैं खूब मेहनत करूँगा और तेरी शादी धूम धाम से करूँगा -
सारांश : बेटी तो भगवान की अनमोल भेंट है ,इसलिए कहते हैं बेटा भाग्य से मिलता है और बेटी सौभाग्य से।।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
🙋🏻बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
🙏🌹💐 सावंली💐🌹🙏
बारातखालीलौटचुकीथी, शादी के मेहमान भी सारे लौट_चुके थे..
इस बार शादी दहेज के लिए नहीं ..लड़की के सावले पन की वजह से टूटी थी...लड़की का बाप सबके पैरों मे गिरा था...आखीर बाप था बेटी क
🙏🌹💐 सावंली💐🌹🙏
बारातखालीलौटचुकीथी, शादी के मेहमान भी सारे लौट_चुके थे..
इस बार शादी दहेज के लिए नहीं ..लड़की के सावले पन की वजह से टूटी थी...लड़की का बाप सबके पैरों मे गिरा था...आखीर बाप था बेटी का, और बेटे से ज्यादा बेटी सम्मानित करती है बाप को। और एक बाप हमेशा अपनी बेटी के कारण सम्मानित होना चाहता है। सगाई के दिन तक लड़का को अंजलि (लड़की का नाम) पसंद थी मगर शादी के वक्त उसने लड़की को उसके सावलेपन के कारण छोड़ दिया।
( एक बात कहूँ दोस्तों? बुरा मत मानना, मैं लड़का हूँ ..भले मेरा चेहरा आलू जैसा हो मगर लड़की तो मुझे पनीर जैसी ही गोरी और खूबसूरत चाहिए)
अंजली के पिता खाली कुर्सीयो के बिच बैठकर बहुत देर तक रोते रहे...(घर मे बस दो ही लोग, बाप और बेटी अंजलि। जब अंजलि पांच साल की थी तब माँ चल बसी थी, )
अचानक उन्हें ख्याल आया अपनी बेटी अंजलि का, कहीं बारात लौटने की वजह से मेरी बेटी??????
दौड़कर भागते है अंजलि के कमरे की ओर..मगर ये क्या? अंजलि दो कप चाय लेके मुस्कुराती हुई आ रही थी अपने पापा की ओर। दुल्हन के जोड़े की जगह घर मे काम करते पहन ने वाले कपड़े थे शरीर पर , पापा हैरान उसको इस हालत मे देखकर, गम की जगह मुस्कुराहट निराशा की जगह खुशी, कुछ समझ पाते इससे पहले अंजलि बोल पडी।
बाबा चलो जल्दी से चाय पिओ, और फटाफट ये किराये की पांडाल और कुर्सीया बर्तन सब पहुँचा देते है जिनका है वरना बेकार मे किराया बढ़ता रहेगा,
इधर पापा के लिए अंजलि पहेली बन चुकी थी। बस पापा तो अपनी बेटी को खुश देखना चाहते थे वजह कोई भी हो। इसलिए वजह नही पूछा उन्होंने ।
फिर वह बेटी से बोलते है की...बेटी..चल गाँव वापस जाते है यंहा शहर मे अब दम घुटता है
अंजलि मान जाती है। फिर कुछ दिनों बाद वह शहर छोड़ गाँव वापस आ जाते हैं । गाँव मे वह मछली पकड़ने का काम करते थे मगर अंजलि के मां के गुजर जाने के बाद उनकी यादों से पिछा छुड़ाने के लिए शहर जाके मजदूरी का काम करते थे।
अब फिर उन्होंने वही पेशा अपनाया था, अंजलि भी रोज अपने बाबा के साथ मछली मारने जाने लगी, इधर उस लड़के का एक खूबसूरत गोरी लड़की से शादी तय हो चुका था, लड़का बेहद खुश था, मगर उसे भी शौक था कि दोस्तों के साथ शहर से दूर घूमने का, बस एक दिन ऐसे ही घूमने निकले थे और नदी किनारे मजाक मस्ती कर रहे थे दोस्तो के साथ की पैर फिसलकर गहरे पानी मे लड़का गीर जाता है। नदी का बहाव तेज भी था और गहरा भी, लड़के को बहा ले जाती है नदी, उसके दोस्त बहुत कोशिश करते हैं बचाने की मगर सब व्यर्थ ।
इधर एक सुबह अंजलि के पापा के पापा अकेले नदी जाते है एकदम तडके भोर, तो वंहा रात को बिछाये उनके जाल पे लड़का फँसा मिलता है। वह तुरंत अंधेरे मे ही लड़के को अपने कंधे पे उठाके अपने घर लाते हैं। जंहा बहुत मसक्कत के बाद लड़के को होश आता है। मगर सामने अंजलि और उसके पापा को देखकर बहुत शर्मा जाता है और तुरंत यादश्त जाने की एक्टीगं करता है।
पापा - बेटी ...लड़के को कुछ पता नहीं शायद ये अपनी यादस्त खो चुका है। और इसे कुछ चोटे भी आई है। मैं शहर पहुँचा देता हूँ इसको,
अंजलि - रहने दीजिए दो चार दिन पापा...जब घाव भर जायेगी तो तब छोड़ देना,
पापा - तू जानती है ये कौन है?
अंजलि - मुस्कुराके अपने बाबा से लिपटकर कहती है...क्यों नहीं बाबा, जानती हूँ । मगर वह पुरानी बातें जो बित चुकी है। अब नया ये है की इनके घाव का इलाज किया जाये। वैसे भी इन्हें अब सावलेपन से कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए क्योंकि ये अपनी यादस्त खो चुके हैं। ये हमारे घर आये घायल मेहमान है इसलिए इन्हें पूरी तरह ठीक करना हमारा धर्म है।
मगर अंजलि के पापा ने मुस्कुराहट के बिच भी बेटी के पलकों पे कुछ नमी महसूस जरूर कि थी, इधर लड़का सारी बाते सुन लेता है। वह बेहद हैरान था इस वक्त।
लड़का का इलाज शुरू होता है। इधर हर समय लड़की लड़के की देखभाल करती है। अंजलि के ख्याल रखने के तरिके को देखकर, लड़के को बहुत प्यार हो जाता है अंजलि से। हंसी मजाक तकरार होती रहती है दोनों में ।
एक दिन जब लड़के का घाव भर जाता है तो लड़का अंजलि से कहता है की।
मैं कौन हूँ कहा से आया मेरा नाम क्या है कुछ नहीं जानता मगर तुम्हारा अपनापन देखकर मुझे यहीं रहने को दिल करता है हमेशा के लिए।
अंजलि- आप चिंता न करो हमारे बाबा आपको कल शहर छोड़ देंगे और आपको गाड़ी के छत पर बिठाके निचे लिख देंगे की एक खूबसूरत नौजवान के माता पिता के घर का पता बताने वाले को एक लाख दिया जायेगा😂
लड़का - मेरा मजाक उड़ा रही हो?😢
अंजलि - अरे नहीं नहीं, हमारी इतनी औकात कहा जो हम किसी का मजाक उडा़ सके।
लड़का - तुमने कभी किसी से प्यार किया है अंजलि?
अंजलि - नहीं
हाँ मगर किसी एक को मैंने अपनी दुनिया मानी थी मगर उसने मुझे अपना बनाने से इंकार कर दिया ।
लड़का - जरूर वह कोई पागल ही होगा जिसने तुम्हें ठुकराने की गलती की है
अंजलि - नहीं नहीं वह एक समझदार लड़का था। पागल होता तो मुझे जरूर अपना बनाता,
लड़का - यदि वह लड़का फिर से दोबारा अपनी गलती को स्वीकार करके तुम्हें अपनाने आ जाये तो क्या उसे माफ करके उसके साथ शादी करोगी?
इधर अंजलि के पापा दुसरे कमरे से दोनों की बातें सुन रहे थे।
अंजलि - गलती उनकी कुछ भी नहीं थी तो मैं कैसे बिना गलती के उन्हें माफ कर दूँ। गलती तो मेरी थी।
लड़का खुश होकर कहता है की इसका मतलब तुम उस लड़के से शादी कर सकती हो?
अंजलि - बिलकुल नहीं । अब दोबारा उनसे शादी के बारे मे सोच भी नहीं सकती
लड़का - मगर क्यों? अब फिर क्या उलझन है?
अंजली कुछ देर खामोश रहती है और खिड़की की ओर देखने लगती है शायद कुछ कहने से पहले खुद को सम्भालना चाहती थी, शायद पलकों पे दर्द पिघल रहा था। अंदर उसके पापा भी हैरान चकित होके वजह सुनने को बेताब है।
लड़का पास जाके अंजलि को अपनी तरफ करता है मगर अंजलि की पलकों पे आशुओ का सैलाब देखकर कुछ कहने की हिम्मत नहीं होतो...
अंजली अपनी पलको को उँगली से साफ करते हुए कहते है की...उस दिन मैंने अपने बाबा को उस इंसान के पैरों पे सर रखके मेरे लिए गिडगिडाकर रोते हुये देखी थी...मेरे उस बाप को जो मेरा अभीमान मेरा घमंड है। पता है उस दिन मैं तशल्ली से अकेले मे रोयी...
बारात लौट चुकी थी। लोग आस्ते आस्ते जा चुके थे मगर एक शख्स ऐसा भी था जो अपनी बेटी के लिए सबके पैर पकड़ पकड़ के थक सा गया था वह सिर्फ अकेला बैठा था अपनी तक्दीर पर रोने के लिए। खिड़की से बहुत देर तक मेरे उस बेबस बाबा को नमी आखो से देखती रही जो मेरा सबकुछ था। मैंने अचानक अपनी पलकों को पोंछा फिर ठीक से धोया और दुल्हन के वस्त्र खोलकर दूसरी पहन ली, फिर चाय बनाई
कितना मुश्किल था उस वक्त खुद के आशुओ को रोकना। क्योंकि उस दिन मेरी जिंदगी लौटी थी मुझे एक लाश समझकर । जरूरी था मूस्कुराना, क्योंकि सामने वह शख्स था जो मेरी आशु देखता तो शायद जी नहीं पाता,
मुझे मुस्कुराना था अपने बाबा के लिए क्योंकि मेरी खूबसूरत सल्तनत के मेरे बाबा मेरे राजा है और मैं उनकी राजकुमारी। मुझे सावली मानकर एक शख्स ने ठुकरा दिया मगर मेरे बाबा मेरे लिए वह शख्स थे जब मेरे पाँच साल की उम्र मां गुजर गयी तब भी इन्होंने दूसरी शादी नहीं की कहीं उनकी राजकुमारी को कोई दूसरी औरत आके न सताये..
अंदर अंजलि के पापा का बुरा हाल था, पहली बार वह अपनी बेटी के मुँह से वह दर्द की कहानी सुन रहे थे जिस दर्द को बाप की खातिर झूठे मुस्कान की चादर से बेटी ने ढक के रखा था,मर्द था वह बाप मगर बेटी के दर्द ने मोम की तरह पिघला के रख दिया था,
इधर अंजली रोते रोते आगे कहती है की...हर बेटी के अच्छे बाप की जिंदगी और मौत बेटी के पलकों पे छुपी होती है। जंहा बेटी मुस्कुराई वहाँ एक पिता को दोगुनी जिंदगी मिलती है और जंहा बेटी रोयी बाप एक तरह से मर ही जाता है। मैं सावली थी उनके लिए मगर मै अपने पापा के लिए एक परी एक राजकुमारी हूँ ।
उन्होंने बारात लौटी दी मेरी दहलीज से मगर मेरे पापा ने उस शहर को ठोकर मार दी जहाँ उनकी राजकुमारी का अपमान हुआ था। अब सोचो न आप ही कैसे कर लूँ शादी दोबारा उस शख्स से जिसने मेरे खुदा को अपने कदमों मे झुकाया हो ।
माना सावली हूँ मैं मगर हूँ तो एक बेटी ही न?
लड़का पलके झूकाये सुनता रहा। सर उठाया तो कमबख्त भी रो रहा था एक सावली लड़की के दर्द को सुनकर। लड़के कुछ नहीं सुझा तो अपने आप एक हाथ उठाकर अंजलि को सल्यूट कर बैठा और धीमे से कहा।
क्या मै तुम्हें एक बार गले से लगा सकता हूँ? अंजलि कुछ नहीं कहती मगर लड़का तुरंत अंजलि से गले लगकर बस इतना ही कहता है...की खुदा करे मुझे एक सावली लड़की मिले
दुआ है मेरी कि मुझे तुम मिले😢 फिर अंजलि को उसी हालत पे छोड़ के अंजली के पिता के कमरे मे लड़का आता है। जंहा अंजलि के पिता बैठकर रो रहे थे लड़के को देखकर अचानक खड़े हो जाते है मगर तब तब लड़का उनके पैरों मे गिरकर माफी माँगता है और खड़े होके कहता है की..मेरी यादस्त बिलकुल ठीक है मगर आप ये बात अंजलि को मत बताना वरना ये गुनाह पहले गुनाह से बड़ा होगा, शायद यादस्त मेरी उस वक्त गयी थी जब मैंने अंजलि को ठुकराया था आपको झूकाया था।
मैं कोई सफाई नहीं दूंगा अपनी बेगुनाही की। हाँ मैंने गुनाह किया है मगर कोई मुझे सजा तो दे कहते कहते लड़का रोने लगता है। मुझे मेरे गुनाहो की सजा के रूप मे अंजलि दे दिजीए। मुझे आपकी परी चाहिए आपकी राजकुमारी चाहिए।
अंजली के पापा - जाओ बेटा घर जाओ...आपके अपने तलाश कर रहे होंगे। मैं ठहरा एक बाप, मै तो हमेशा उसे खुश देखना चाहता हूँ। मगर इस बार एक बाप खामोश रहेगा इस बार मैंने पूरा हक दिया है मेरी परी को की...वह खुद ढूँढे अपनी खुशी। क्योंकि एक बार दहलीज से उसकी खुशियों को मुँह मुड़कर लौटते देखा है मैंने ।
अबकी बार ऐसा हुआ तो शायद मै.....
तभी लड़का उनके मुँह मे हाथ रखके कहता है...नहीं बाबा नहीं...आपको जिंदा रहना होगा अंजलि के लिए और अंजलि की खुशी ही आप हो। मैं इंतजार करूँगा की कब मेरे गुनाहो की पैरवी होती है। उस दिन जज भी अंजलि होगी और वकील भी अंजलि। सजा दे या रिहा करे... मैं बस उसका ही हूँ 😢😢 इतना कहके लड़का कहता है आगे...बाबा अब आज्ञा दीजिए हमें । हम निकलते है और एक दिन यंहाँ रहा तो मैं जी नहीं सकूँगा अंजली का गुनाहगार बनके। लड़का निकल जाता है इतना कहके। अंजलि दूर तक जाते देखती रहती है अपनी जिंदगी को। मगर पलकों मे एक उम्मीद की नमी थी उसके वापस आने की,
क्योंकि अंजलि लड़के और अपने बाबा की बात सुन चुकी थी
बाबा - अंजलि तू एक बार और सोच ले क्योंकि वह पश्चाताप की आग मे जल रहा है। तेरी खुशी किसमे है पता नहीं मगर मेरी खुशी तो तू है और तेरे बाबा का दिल कहता है । चल फिर तुझे सजा दू दुल्हन के रूप मे उसी लड़के के साथ जिसने तूझे सावली कहा था😢😢😢
अंजली - बाबा । हम तो बस आपको खुश देखना चाहते है। लोग जितना भी नफरत क्यों न करे हमसे। जीतना भी सतायेगा क्यों न हमें कोई फर्क नहीं पड़ता मगर जिस दिन आपको दुखी देखा मैंने
उस दिन टूट जाउगी मै😢😢😢
इधर अंजली बाप की खुशी मे तैयार हो जाती है
उधर लड़का अपने मा बाप को लाता है
इधर लड़का जिद करता है की शादी शहर मे हो उसी घर मे हो जहाँ से मैंने मेरी सावली को ठुकराया था।
सब मान जाते है।
हाँ लड़का पश्चाताप करना चाहता था। उस कलंक को मिटाना चाहता था जिसके वजह से उसकी सावली दुःखी हो गयी थी
🙏🙏🙏