आरती
कूष्माण्डा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥
पिङ्गला ज्वालामुखी निराली। शाकम्बरी माँ भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे। भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्र
आरती
कूष्माण्डा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥
पिङ्गला ज्वालामुखी निराली। शाकम्बरी माँ भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे। भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा। स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदम्बे। सुख पहुँचती हो माँ अम्बे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
माँ के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा। दूर करो माँ संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए। भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
बंद किस्मत के लिये कोई ताली नहीं होती।
सूखी उम्मीदों की कोई डाली नहीं होती।
जो झुक जाये बाबाश्याम के चरणों में
उसकी झोली कभी खाली नहीं होती।
।। जय श्री श्याम।।
नवरात्र के नौ दिन मां को चढ़ाएं यह नौ फूल, होगी मनोकामना पूरी
नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व है. हिंदू धर्म में मां दुर्गा को शक्ति का प्रतीक माना गया है. नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स
नवरात्र के नौ दिन मां को चढ़ाएं यह नौ फूल, होगी मनोकामना पूरी
नवरात्रि के पर्व का विशेष महत्व है. हिंदू धर्म में मां दुर्गा को शक्ति का प्रतीक माना गया है. नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की आराधना की जाती है. मान्यता है कि नवरात्रि पर मां दुर्गा की विधि पूर्वक पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है और भक्त की सारी मनोकामना पूरी होती हैं. नवरात्रि में देवी मां के चरणों में किसी भी तरह का फूल चढ़ाने की जगह, अगर आप उन फूलों को देवी मां को अर्पित करेंगे, जो उनको बेहद प्रिय है. तो चलिए जानते हैं कि माता को नवरात्रि के नौ दिन कौन से फूल चढ़ाने चाहिए.
पहले दिन:-
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नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की आराधना की जाती है. मां शैलपुत्री को गुड़हल का लाल फूल और सफेद कनेर का फूल बहुत पसंद है. इसलिए पहले दिन मां को गुड़हल या कनेर का फूल अर्पित करें.
दूसरे दिन:-
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नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी को गुलदाउदी का फूल और वटवृक्ष के फूल काफी पसंद हैं. इसलिए मां के चरणों में इन फूलों को अर्पित करें. इससे घर-परिवार में खुशहाली आती है.
तीसरे दिन:-
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नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप को पूजा जाता है. इस दिन आप मां चंद्रघंटा को कमल का फूल और शंखपुष्पी का फूल अर्पित कर सकते हैं. ये फूल मां को काफी पसंद हैं. कहा जाता है इससे जीवन में जल्दी सफलता मिलती है.
चौथे दिन:-
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नवरात्रि का चौथा दिन होता है मां दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप के नाम. इस दिन मां की पसंद के अनुसार उनको चमेली का फूल या पीले रंग का कोई भी फूल चढ़ाना चाहिए. इससे मां अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद देती हैं.
पांचवें दिन:-
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नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है. मां को पीले रंग के फूल बहुत पसंद हैं इसलिए उनको पीले रंग के कोई भी फूल अर्पित करने से मां खुश होती हैं और सुख-सम्पन्नता का आशीर्वाद देती हैं.
छठे दिन:-
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नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की आराधना होती है. मां कात्यायनी को गेंदे का फूल और बेर के पेड़ का फूल काफी भाता है. इसलिए उनके चरणों में इन फूलों को चढ़ाने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
सातवें दिन:-
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नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है. मां कालरात्रि को नीले रंग का कृष्ण कमल का फूल बहुत अधिक प्रिय है. इसलिए आप उनको ये फूल और इसे न मिलने की स्थिति में कोई भी नीला फूल चढ़ा सकते हैं.
आठवें दिन:-
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नवरात्रि के आठवें दिन पूजा जाता है मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप को. जिनको मोगरे का फूल खासतौर पर काफी पसंद है. इसलिए मां के चरणों में इस फूल को अर्पित करें. इससे मां की कृपा घर-परिवार पर बनी रहती है.
नौवें दिन:-
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नवरात्रि के नौवें दिन मां दुर्गा के सिद्धिदात्री स्वरूप की आराधना की जाती है. मां को चंपा और गुड़हल का फूल बेहद प्रिय है. मां सिद्धिदात्री के चरणों में इस फूल को चढ़ाने से मां प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद देती है।
खाटू श्याम स्तुति
हाथ जोड़ विनती करूं सुनियो जित लगाए,
दास आ गयो शरण में रखियो इसकी लाज,
धन्य ढूंढारो देश हे खाटू नगर सुजान,
अनुपम छवि श्री श्याम की दर्शन से कल्याण ।
श्याम श्याम तो में
खाटू श्याम स्तुति
हाथ जोड़ विनती करूं सुनियो जित लगाए,
दास आ गयो शरण में रखियो इसकी लाज,
धन्य ढूंढारो देश हे खाटू नगर सुजान,
अनुपम छवि श्री श्याम की दर्शन से कल्याण ।
श्याम श्याम तो में रटूं श्याम हैं जीवन प्राण,
श्याम भक्त जग में बड़े उनको करू प्रणाम,
खाटू नगर के बीच में बण्यो आपको धाम,
फाल्गुन शुक्ल मेला भरे जय जय बाबा श्याम ।
फाल्गुन शुक्ला द्वादशी उत्सव भरी होए,
बाबा के दरबार से खाली जाये न कोए,
उमा पति लक्ष्मी पति सीता पति श्री राम,
लज्जा सब की रखियो खाटू के बाबा श्याम ।
पान सुपारी इलायची इत्तर सुगंध भरपूर,
सब भक्तो की विनती दर्शन देवो हजूर,
आलू सिंह तो प्रेम से धरे श्याम को ध्यान,
श्याम भक्त पावे सदा श्याम कृपा से मान ।
जय श्री श्याम बोलो जय श्री श्याम,
खाटू वाले बाबा जय श्री श्याम,
लीलो घोड़ो लाल लगाम,
जिस पर बैठ्यो बाबो श्याम ।
ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।
खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे।
ॐ जय श्री श्याम हरे..
रतन जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुरे।
तन केसरिया बागो, कुंडल श्रवण पड़े।
ॐ जय श्री श्याम
ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।
खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे।
ॐ जय श्री श्याम हरे..
रतन जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुरे।
तन केसरिया बागो, कुंडल श्रवण पड़े।
ॐ जय श्री श्याम हरे..
गल पुष्पों की माला, सिर पार मुकुट धरे।
खेवत धूप अग्नि पर दीपक ज्योति जले।
ॐ जय श्री श्याम हरे..
मोदक खीर चूरमा, सुवरण थाल भरे।
सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करे।
ॐ जय श्री श्याम हरे..
झांझ कटोरा और घडियावल, शंख मृदंग घुरे।
भक्त आरती गावे, जय-जयकार करे।
ॐ जय श्री श्याम हरे..
जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उबरे।
सेवक जन निज मुख से, श्री श्याम-श्याम उचरे।
ॐ जय श्री श्याम हरे..
श्री श्याम बिहारी जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत भक्तजन, मनवांछित फल पावे।
ॐ जय श्री श्याम हरे..
जय श्री श्याम हरे, बाबा जी श्री श्याम हरे।
निज भक्तों के तुमने, पूरण काज करे।
ॐ जय श्री श्याम हरे..
क्या है कृष्ण होने के मायने ?
♦️पहली गाली पर 'सर काटने' की शक्ति होने बाद भी; यदि 99 और गाली सुनने का 'सामर्थ्य' है, तो वो कृष्ण है।
♦️'सुदर्शन' जैसा शस्त्र होने के बाद भी; यदि हाथ में हमे
क्या है कृष्ण होने के मायने ?
♦️पहली गाली पर 'सर काटने' की शक्ति होने बाद भी; यदि 99 और गाली सुनने का 'सामर्थ्य' है, तो वो कृष्ण है।
♦️'सुदर्शन' जैसा शस्त्र होने के बाद भी; यदि हाथ में हमेशा 'मुरली' है, तो वो कृष्ण है।
♦️'द्वारिका' का वैभव होने के बाद भी; यदि 'सुदामा" मित्र है, तो वो कृष्ण है।
♦️'मृत्यु' के फन पर मौजूद होने पर भी; यदि 'नृत्य' करे तो, वो कृष्ण है।
♦️'सर्वसामर्थ्य' होने पर भी; जो यदि 'सारथी' बने, तो वो कृष्ण है।
♦️ भारत ही नही अपितु पूरे विश्व के 240 देशों जिनके अनुयायी व मंदिर होने के बावजूद मथुरा में अपने भव्य मंदिर का प्रतीक्षा कर रहे वो कृष्ण है।
🙏 पितरों को नमन🙏
वो कल थे तो आज हम हैं उनके ही तो अंश हम हैं..
जीवन मिला उन्हीं से उनके कृतज्ञ हम हैं..
सदियों से चलती आयी श्रंखला की कड़ी हम हैं..
गुण धर्म उनके ही दिये उनके प्रतीक हम हैं..
रीत
🙏 पितरों को नमन🙏
वो कल थे तो आज हम हैं उनके ही तो अंश हम हैं..
जीवन मिला उन्हीं से उनके कृतज्ञ हम हैं..
सदियों से चलती आयी श्रंखला की कड़ी हम हैं..
गुण धर्म उनके ही दिये उनके प्रतीक हम हैं..
रीत रिवाज़ उनके हैं दिये संस्कारों में उनके हम हैं..
देखा नहीं सब पुरखों को पर उनके ऋणी तो हम हैं..
पाया बहुत उन्हीं से पर न जान पाते हम हैं..
दिखते नहीं वो हमको पर उनकी नज़र में हम हैं..
देते सदा आशीष हमको धन्य उनसे हम हैं..
खुश होते उन्नति से दुखी होते अवनति से
देते हमें सहारा उनकी संतान जो हम हैं..
इतने जो दिवस मनाते मित्रता प्रेम आदि के
पितरों को भी याद कर लें.. जिनकी वजह से हम हैं..
आओ नमन कर लें कृतज्ञ हो लें क्षमा माँग लें आशीष ले लें
पितरों से जो चाहते हमारा भला उनके जो अंश हम हैं..
🚩पितर देवता को सादर प्रणाम🚩
प्यार दे कर जो हमें विदा हुए संसार से,
आओ उनका स्वागत करें आज से।
वो हुए पुरखो में शामिल जो कभी थे साथ में,
आज से नमन करेंगे हम मन के द्वार से।
पितर चरण में नमन करें, ध्
🚩पितर देवता को सादर प्रणाम🚩
प्यार दे कर जो हमें विदा हुए संसार से,
आओ उनका स्वागत करें आज से।
वो हुए पुरखो में शामिल जो कभी थे साथ में,
आज से नमन करेंगे हम मन के द्वार से।
पितर चरण में नमन करें, ध्यान धरें दिन रात।
कृपा दृष्टि हम पर करें, सिर पर धर दें हाथ।
ये कुटुम्ब है आपका, आपका है परिवार।
आपके आशीर्वाद से, फले - फूले संसार।
भूल -चूक सब क्षमा करें, करें महर भरपूर।
सुख सम्पति से घर भरें, कष्ट करें सब दूर।
आप हमारे हृदय में, आपकी हम संतान।
आपके नाम से है जुड़ी, मेरी हर पहचान।
सभी पितरो को सादर🌷नमन🌷👏
खाटू श्याम बाबा की कहानी .....🍁🍁🍁🍁
📢राजस्थान के सीकर जिले में श्री खाटू श्याम जी का सुप्रसिद्ध मंदिर है|
खाटू श्याम बाबा कौन हैं :
खाटू श्याम जी का असली नाम बर्बरीक है. महाभारत की
खाटू श्याम बाबा की कहानी .....🍁🍁🍁🍁
📢राजस्थान के सीकर जिले में श्री खाटू श्याम जी का सुप्रसिद्ध मंदिर है|
खाटू श्याम बाबा कौन हैं :
खाटू श्याम जी का असली नाम बर्बरीक है. महाभारत की एक कहानी के अनुसार बर्बरीक का सिर राजस्थान प्रदेश के खाटू नगर में दफना दिया था. इसीलिए बर्बरीक जी का नाम खाटू श्याम बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुआ. वर्तमान में खाटूनगर सीकर जिले के नाम से जाना जाता है. खाटू श्याम बाबा जी कलियुग में श्री कृष्ण भगवान के अवतार के रूप में माने जाते हैं.
खाटू श्याम बाबा की कहानी :
श्याम बाबा घटोत्कच और नागकन्या नाग कन्या मौरवी के पुत्र हैं. पांचों पांडवों में सर्वाधिक बलशाली भीम और उनकी पत्नी हिडिम्बा बर्बरीक के दादा दादी थे. कहा जाता है कि जन्म के समय बर्बरीक के बाल बब्बर शेर के समान थे, अतः उनका नाम बर्बरीक रखा गया.
बर्बरीक बचपन में एक वीर और तेजस्वी बालक थे. बर्बरीक ने भगवान श्री कृष्ण और अपनी माँ मौरवी से युद्धकला, कौशल सीखकर निपुणता प्राप्त कर ली थी. बर्बरीक ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी, जिसके आशीर्वादस्वरुप भगवान ने शिव ने बर्बरीक को 3 चमत्कारी बाण प्रदान किए. इसी कारणवश बर्बरीक का नाम तीन बाणधारी के रूप में भी प्रसिद्ध है. भगवान अग्निदेव ने बर्बरीक को एक दिव्य धनुष दिया था, जिससे वो तीनों लोकों पर विजय प्राप्त करने में समर्थ थे.
जब कौरवों-पांडवों का युद्ध होने का सूचना बर्बरीक को मिली तो उन्होंने भी युद्ध में भाग लेने का निर्णय लिया. बर्बरीक अपनी माँ का आशीर्वाद लिए और उन्हें हारे हुए पक्ष का साथ देने का वचन देकर निकल पड़े. इसी वचन के कारण हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा यह बात प्रसिद्ध हुई.
जब बर्बरीक जा रहे थे तो उन्हें मार्ग में एक ब्राह्मण मिला. यह ब्राह्मण कोई और नहीं, भगवान श्री कृष्ण थे जोकि बर्बरीक की परीक्षा लेना चाहते थे. ब्राह्मण बने श्री कृष्ण ने बर्बरीक से प्रश्न किया कि वो मात्र 3 बाण लेकर लड़ने को जा रहा है ? मात्र 3 बाण से कोई युद्ध कैसे लड़ सकता है. बर्बरीक ने कहा कि उनका एक ही बाण शत्रु सेना को समाप्त करने में सक्षम है और इसके बाद भी वह तीर नष्ट न होकर वापस उनके तरकश में आ जायेगा. अतः अगर तीनों तीर के उपयोग से तो सम्पूर्ण जगत का विनाश किया जा सकता है.
ब्राह्मण ने बर्बरीक (Barbarik) से एक पीपल के वृक्ष की ओर इशारा करके कहा कि वो एक बाण से पेड़ के सारे पत्तों को भेदकर दिखाए. बर्बरीक ने भगवान का ध्यान कर एक बाण छोड़ दिया. उस बाण ने पीपल के सारे पत्तों को छेद दिया और उसके बाद बाण ब्राह्मण बने कृष्ण के पैर के चारों तरफ घूमने लगा. असल में कृष्ण ने एक पत्ता अपने पैर के नीचे छिपा दिया था. बर्बरीक समझ गये कि तीर उसी पत्ते को भेदने के लिए ब्राह्मण के पैर के चक्कर लगा रहा है. बर्बरीक बोले – हे ब्राह्मण अपना पैर हटा लो, नहीं तो ये आपके पैर को वेध देगा.
श्री कृष्ण बर्बरीक के पराक्रम से प्रसन्न हुए. उन्होंने पूंछा कि बर्बरीक किस पक्ष की तरफ से युद्ध करेंगे. बर्बरीक बोले कि उन्होंने लड़ने के लिए कोई पक्ष निर्धारित किया है, वो तो बस अपने वचन अनुसार हारे हुए पक्ष की ओर से लड़ेंगे. श्री कृष्ण ये सुनकर विचारमग्न हो गये क्योकि बर्बरीक के इस वचन के बारे में कौरव जानते थे. कौरवों ने योजना बनाई थी कि युद्ध के पहले दिन वो कम सेना के साथ युद्ध करेंगे. इससे कौरव युद्ध में हराने लगेंगे, जिसके कारण बर्बरीक कौरवों की तरफ से लड़ने आ जायेंगे. अगर बर्बरीक कौरवों की तरफ से लड़ेंगे तो उनके चमत्कारी बाण पांडवों का नाश कर देंगे.
कौरवों की योजना विफल करने के लिए ब्राह्मण बने कृष्ण ने बर्बरीक से एक दान देने का वचन माँगा. बर्बरीक ने दान देने का वचन दे दिया. अब ब्राह्मण ने बर्बरीक से कहा कि उसे दान में बर्बरीक का सिर चाहिए. इस अनोखे दान की मांग सुनकर बर्बरीक आश्चर्यचकित हुए और समझ गये कि यह ब्राह्मण कोई सामान्य व्यक्ति नहीं है. बर्बरीक ने प्रार्थना कि वो दिए गये वचन अनुसार अपने शीश का दान अवश्य करेंगे, लेकिन पहले ब्राह्मणदेव अपने वास्तविक रूप में प्रकट हों.
भगवान कृष्ण अपने असली रूप में प्रकट हुए. बर्बरीक बोले कि हे देव मैं अपना शीश देने के लिए बचनबद्ध हूँ लेकिन मेरी युद्ध अपनी आँखों से देखने की इच्छा है. श्री कृष्ण बर्बरीक ने बर्बरीक की वचनबद्धता से प्रसन्न होकर उसकी इच्छा पूरी करने का आशीर्वाद दिया. बर्बरीक ने अपना शीश काटकर कृष्ण को दे दिया. श्री कृष्ण ने बर्बरीक के सिर को 14 देवियों के द्वारा अमृत से सींचकर युद्धभूमि के पास एक पहाड़ी पर स्थित कर दिया, जहाँ से बर्बरीक युद्ध का दृश्य देख सकें. इसके पश्चात कृष्ण ने बर्बरीक के धड़ का शास्त्रोक्त विधि से अंतिम संस्कार कर दिया.
महाभारत का महान युद्ध समाप्त हुआ और पांडव विजयी हुए. विजय के बाद पांडवों में यह बहस होने लगी कि इस विजय का श्रेय किस योद्धा को जाता है. श्री कृष्ण ने कहा – चूंकि बर्बरीक इस युद्ध के साक्षी रहे हैं अतः इस प्रश्न का उत्तर उन्ही से जानना चाहिए. तब परमवीर बर्बरीक ने कहा कि इस युद्ध की विजय का श्रेय एकमात्र श्री कृष्ण को जाता है, क्योकि यह सब कुछ श्री कृष्ण की उत्कृष्ट युद्धनीति के कारण ही सम्भव हुआ. विजय के पीछे सबकुछ श्री कृष्ण की ही माया थी.
बर्बरीक के इस सत्य वचन से देवताओं ने बर्बरीक पर पुष्पों की वर्षा की और उनके गुणगान गाने लगे. श्री कृष्ण वीर बर्बरीक की महानता से अति प्रसन्न हुए और उन्होंने कहा – हे वीर बर्बरीक आप महान है. मेरे आशीर्वाद स्वरुप आज से आप मेरे नाम श्याम से प्रसिद्ध होओगे. कलियुग में आप कृष्णअवतार रूप में पूजे जायेंगे और अपने भक्तों के मनोरथ पूर्ण करेंगे.
भगवान श्री कृष्ण का वचन सिद्ध हुआ और आज हम देखते भी हैं कि भगवान श्री खाटू श्याम बाबा जी अपने भक्तों पर निरंतर अपनी कृपा बनाये रखते हैं. बाबा श्याम अपने वचन अनुसार हारे का सहारा बनते हैं. इसीलिए जो सारी दुनिया से हारा सताया गया होता है वो भी अगर सच्चे मन से बाबा श्याम के नामों का सच्चे मन से नाम ले और स्मरण करे तो उसका कल्याण अवश्य ही होता है. श्री खाटू श्याम बाबा (Shri Khatu Shyam Baba ji) की महिमा अपरम्पार है, सश्रद्धा विनती है कि बाबा श्याम इसी प्रकार अपने भक्तों पर अपनी कृपा बनाये रखें.🌹🌹🕉🙏
आपकी दोस्ती की एक नज़र चाहिए,
दिल है बेघर उसे एक घर चाहिए,
बस यूँही साथ चलते रहो ऐ दोस्त ,
यह दोस्ती हमें उम्र भर चाहिए..
हैप्पी फ्रेंडशिप डे.
Anniversary is a time to celebrate the joys of today, the memories of yesterday, and the hopes of tomorrow.